भारतीय झंडा संहिता, 2002 तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 में निहित नियमों का कड़ाई से पालन हो

haryana govt

Sorry, this news is not available in your requested language. Please see here.

चण्डीगढ़, 27 अगस्त- हरियाणा सरकार ने राज्य के पुलिस महानिदेशक तथा सभी उपायुक्तों को भारतीय झंडा संहिता, 2002 तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 में निहित नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

        एक सरकारी प्रवक्ता ने इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों, सभी संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासकों और केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों तथा विभागों के सचिवों को लिखे पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं एवं आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इसे सम्मान की स्थिति मिलनी चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक सार्वभौमिक लगाव, आदर और वफादारी होती है। लेकिन फिर भी राष्ट्रीय झंडे के संप्रदर्शन पर लागू होने वाले कानूनों, अभ्यास तथा परंपराओं के संबंध में जनता के साथ-साथ केन्द्र सरकार के संगठनों और एजेंसियों में भी जागरूकता का अभाव देखा गया है।

        उन्होंने बताया कि यह भी संज्ञान में आया है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर कागज के झंडों के स्थान पर प्लास्टिक के झंडों का प्रयोग भी किया जा रहा है। चूंकि, प्लास्टिक से बने झंडे कागज के समान जैविक रूप से अपघट्य (बायो-डीग्रेडेबल) नहीं होते। इसलिए ये लंबे समय तक नष्ट नहीं होते और प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय झंडों का सम्मानपूर्वक उचित निपटान सुनिश्चित करना भी एक व्यावहारिक समस्या है। इसलिए संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर भारतीय झंडा संहिता, 2002 के प्रावधान के अनुरूप, जनता द्वारा केवल कागज से बने झंडों का ही प्रयोग किया जाए तथा समारोह के पूरा होने के पश्चात ऐसे कागज के झंडों को न तो विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकान्त में किया जाए।