रतनलाल कटारिया बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर,संक्रमण से बचाव के लिए 310 बार अलग-अलग मीटिंग की है

ਮਾਫ਼ ਕਰਨਾ, ਇਹ ਖਬਰ ਤੁਹਾਡੀ ਬੇਨਤੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਉਪਲਬਧ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਦੇਖੋ।

यमुनानगर, 19 मई,2021  इसी कडी को जोड़ते हुये, अब ज्यादा प्रभावित 10 राज्यों के 46 डीएम से बात कर उनके जिलों में कोरोना महामारी की स्थिति का आंकलन किया व उन्हें निर्देश दिए कि वह गाँव की सुध ले। गाँव में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएं और यह भी कहा कि तैयारियां सिर्फ कोरोना के इलाज से जुड़ी दवाइयों और साजो सामान के लिए ही नहीं बल्कि लोगों तक अन्य जरूरी सामान की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भी होनी चाहिए।
कटारिया ने कहा दूसरी लहर का अर्थ व्यवस्था पर प्रभाव पहली लहर के मुकाबले सीमित जान पडता है। स्थानीय स्तर पर जरूरत के अनुसार लॉकडाउन, लोगों को घर से काम करने की व्यवस्था के लिये स्वयं को बेहतर तरीके से तैयार करना, ऑनलाइन डिलीवरी, ई-वाणिज्य और डिजिटल भुगतान का अच्छे तरीके से काम करना इसके उदाहरण है जो प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व के कारण सम्भव हुआ है। कटारिया ने कांग्रेस द्वारा सरकार को बदनाम करने के लिए टूलकिट की घोर निंदा की। उन्होंने कहा कांग्रेस व उनके अंतरंग मित्र दल अपनी जमीन तलाशने के लिए मोदी और देश को बदनाम करने में लगे हैं। उन्होंने कहा मोदी की छवि को खराब करने के लिए कांग्रेस इस कदर नीचे गिर गई है कि कोरोना की दूसरी लहर को मोदी वैरिएंट बताना, कुंभ को सुपरस्प्रेडर बताकर हिन्दू भावनाओं को भड़काना व ईद पर चुपी साधना, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मोदी महल बताना व जलते शवो के फोटो विदेशी मीडिया को उपलब्ध कराना जैसे कृत्यो की जितनी निंदा की जाये कम है।
उन्होंने बताया कि किसान आंदोलन को भी कुछ शरारती लोगों के हाथ की कठपुतली बताते हुए कहा कि सरकार ने पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 30 प्रतिशत अधिक गेहूं की खरीद एमएसपी पर की है, इस दौरान एमएसपी के रूप में 72,406 करोड़ रूपये का भुगतान किसानों को किया गया है। जो यह दर्शाता है कि सरकार किसान के अन्न के एक-एक दाने की खरीद कर रही है और वास्तविकता यह है कि किसान भी जी-जान से अपनी खेती करने में व्यस्त है, तभी किसान ने रिकॉर्ड 109.2 लाख टन गेहूं की पैदावार इस वर्ष की है। उन्होंने कहा किसानों को मोहरा बनाकर किसान आंदोलन की आड़ में कुछ मखोटो द्वारा सरकार को बदनाम करने के लिए चलाया गया यह एक षड्यंत्र है।