शिरोमणि अकाली दल द्वारा 550 किसानों की मौतों को मान्यता देने से इंकार करने पर केंद्र की निंदा

HARSIMRAT KAUR
बीबा हरसिमरत कौर बादल द्वारा किसानों को हुए भारी नुकसान की भरपाई के लिए  वित्तीय पैकेज की मांग

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कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर माफी मांगें: सरदारनी हरसिमरत कौर बादल
चंडीगढ़/24जुलाई 2021 शिरोमणी अकाली दल ने आज एनडीए सरकार की निंदा करते हुए कहा है कि वह दिल्ली की सीमाओं पर तीनों खेती काननूों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की मानवीय त्रासदी को मान्यता देने से इंकार करने के लिए निंदा की । इसके साथ ही कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से इस मुददे पर माफी मांगने को कहा।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के इस बयान पर हैरानी जताते हुए केंद्र सरकार के पास दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में मारे गए किसानों का कोई रिकाॅर्ड नही है, पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदारनी हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि ‘‘एनडीए सरकार का यह किसान विरोधी रवैया उन किसानों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार है, जिनसे आठ महीने से न तो कोई बातचीत की, बल्कि मरने वालों को भी मान्यता नही दी गई। शिरोमणी अकाली दल इस मानवीय रवैये की निंदा करता है और कृषि मंत्री से अनुरोध करता है कि वे इस बयान के लिए किसानों से माफी मांगे और देश का आश्वासन दें कि ‘अन्नदाता’ को संसद में फिर इस तरीके से अपमानित नही किया जाएगा’’।
सरदारनी बादल ने कहा कि संसद में यह भी स्पष्ट कर दिया था कि एनडीए सरकार तानाशाह ढ़ंग से काम कर रही है और किसानों के मन की आशंकाओं का पता लगाने का भी कोई प्रयत्न नही कर रही है। ‘श्री तोमर के अनुसार इस मुददे के बारे कोई अध्ययन नही किया गया है, यह साबित करता है कि यह सरकार कारपोरेटस के साथ अपने समझौते पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और तीनों खेती कानूनों पर किसानों से कोई फीडबैक भी नही लेगी’। यह लोकतंत्र के खिलाफ है। अकाली दल ने मांग की है कि सरकार इस दुराग्रही रवैये को छोड़ दे और किसानों की परेशानियों को ध्यान में रखे। यदि सरकार ऐसा करती है तो वह तीनों खेती कानूनों को रदद करने की आवश्यकता स्वतः ही समझ लेगी और यह मांग नही रखेगी कि किसान कानूनों को निरस्त करने की मांग के बजाय तीनों खेती कानूनों के प्रावधानों पर चर्चा क्यों नही कर रहे हैं। सरदार बादल ने कहा कि तीनों खेती कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग में पूरा किसान समुदाय एकजुट है और हैरानी की बात है कि इस भावना को खेती मंत्री समझ नही रहे हैं’’।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि श्री तोमर ने संसद में भी स्वीकार किया था कि किसान आंदोलन से सरकार को कोई नुकसान नही हुआ है। ‘‘सभी मंत्री दावा करते हैं कि सड़क जाम के कारण लोगों को असुविधा हुई’’ । उन्होने कहा कि ‘‘ तोमर के इस बयान के माध्यम से सरकार ने साबित कर दिया है कि गंभीर , उकसावे , धमकियों के बावजूद आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा है’’।
सरदारनी बादल ने कृषि मंत्री से यह भी अनुरोध किया कि वे कोई अहंकारी होकर स्टैंड लेने के बजाय पहले तीनों खेती कानूनों को निरस्त करें और फिर किसानों को बातचीत के लिए बुलाएं, ताकि उन कानूनों को तैयार किया जा सके जो उनकी बेहतरी के लिए हों न कि उनके खिलाफ काम करें।