हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जय प्रकाश दलाल ने प्रदेश के किसान भाईयों से अपील की है कि वे फसल अवशेष प्रबंधन अपनाए तांकि पराली जलाने की नौबत ही ना आये और आर्थिक लाभ भी हो

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चंडीगढ़, 19 जुलाई – हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जय प्रकाश दलाल ने प्रदेश के किसान भाईयों से अपील की है कि वे फसल अवशेष प्रबंधन अपनाए तांकि पराली जलाने की नौबत ही ना आये और आर्थिक लाभ भी हो। उन्होंने कहा कि गत वर्ष की भाँति इस वर्ष (2021-22) भी जो किसान स्ट्रॉ बेलर द्वारा पराली की गाँठ / बेल बनाकर या बनवाकर उसका निष्पादन किसी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम व अन्य औद्योगिक इकाईयों में करेगा उसे 1000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह राशि 50 क्विंटल एवं 20 क्विंटल प्रति एकड़ पराली उत्पादन को मानते हुए दी जाएगी। इस योजना के लिए सरकार ने 230 करोड़ रुपये का बजट तय किया है।
किसान भाईयों से अनुरोध है कि वे उपरोक्त योजना का लाभ लेने हेतू कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के पोर्टल https://agriharyana.gov.in पर अपना पंजीकरण करवाएं। किसान पोर्टल पर क्रॉप रेसिडु मैनेजमेंट लिंक पर जाकर ‘पराली की गाँठ/बेल के उचित निष्पादन हेतू ‘पंजीकरण’ शीर्षक पर क्लिक करके पंजीकरण कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए किसान अपने निकटतम कृषि अधिकारी या टोल फ्री नम्बर 1800 180 2117 पर सम्पर्क कर सकते हैं। यह पोर्टल किसानों और उद्योगों को पराली की मांग और आपूर्ति के लिए मंच प्रदान करता है। इस पोर्टल पर किसान और उद्योग पराली की गाठों / बेलों का क्रय-विक्रय कर सकते हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2020-21 में 24409 किसान पोर्टल पर पंजीकृत हुए थे और इस पोर्टल पर 147 औद्योगिक इकाईयाँ द्वारा 896963.4 मीट्रिक टन पराली की आवश्यकता के लिए अपना पंजीकरण करवाया गया था। उपरोक्त स्कीम का उद्देश्य किसानों को प्रोत्साहित कर पराली का उचित निष्पादन करना है। उन्होंने बताया कि पराली की गाठें बनाने वाली स्ट्रा बेलर युनिट भी किसानों को अनुदान पर उपलब्ध करवाया जाता है।
डॉ. सुमिता मिश्रा ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के निदेशक व अन्य औद्योगिक इकाईयों जो पराली की बेलों का उपयोग करती हैं, को कहा है कि वे सभी चालू वित्त वर्ष 2021-22 में पराली की गाँठो / बेलों की आवश्यकता अनुसार मांग हेतू अपना पंजीकरण उपरोक्त पोर्टल पर करवा लें, ताकि समय पर उन्हें पराली की उपलब्धता हो सके। उन्होंने बताया कि इस प्रकार पराली जलाने की समस्या से निजात मिलेगी तथा इसके द्वारा वातावरण दूषित होने से भी बचाया जा सकेगा।