ऐसे मुद्दों पर मोदी के समक्षचुप क्यों हो जाते हैं हरसिमरत कौर बादल -‘आप’
चण्डीगढ़, 4 सितम्बर 2020
आम आदमी पार्टी (आप) ने जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा को सरकारी भाषाओं की सूची से बाहर रखने का सख्त विरोध करते हुए केंद्र सरकार पर पंजाबी के साथ पक्षपाती रवैया अपनाने का दोष लगाया है। ‘आप’ ने इस मुद्दे पर बादलों को भी आड़े हत्थों लिया।
पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान के द्वारा पार्टी के पंजाब मामलों के इंचार्ज और विधायक जरनैल सिंह, पूर्व सांसद प्रो. साधु सिंह, विपक्ष की उप नेता बीबी सरबजीत कौर माणूंके, विधायक प्रिंसिपल बुद्ध राम और प्रो. बलजिन्दर कौर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में पंजाबी जनसंख्या होने के बावजूद पंजाबी भाषा को सरकारी भाषाओं की सूची से बाहर रखना सरासर धक्का है।
जरनैल सिंह और प्रो. साधु सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी को कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को जम्मू-कश्मीर की सरकारी भाषाओं के तौर पर मान्यता दिए जाने पर कोई ऐतराज नहीं परंतु इस में पंजाबी भाषा को शामिल न करके भाजपा ने पंजाबी भाषा की तौहीन और दुनिया भर में रहते पंजाबियों को निराश किया है।
‘आप’ नेताओं ने बादल परिवार को घेरते पूछा कि जब प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय कैबिनेट की ओर से पंजाबी भाषा शामिल किए बगैर बिल स्वीकृत किया गया तब बीबी हरसिमरत कौर बादल चुप क्यों रहे?
‘आप’ नेताओं ने दोष लगाया कि अपनी बहु रानी (हरसिमरत कौर) की कुर्सी के लिए बादल परिवार ने पंजाबी समेत पूरे पंजाब के हित कुर्बान कर दिए हैं।
‘आप’ नेताओं ने प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी से अपील की है कि वह जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा को भी मान्यता प्राप्त सरकारी भाषाओं की सूची में स्थान और बनता सम्मान दें।
‘आप’ नेताओं ने हरसिमरत कौर बादल को चुन्नोती दी कि वह बतौर केंद्रीय मंत्री और मोदी सरकार के राजनैतिक भाईवालों के तौर पर पंजाबी भाषा को जम्मू-कश्मीर में सरकारी मान्यता दिलाने या फिर इस्तीफा दे दें।

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