एस.ए.आर.एफ.ए.ई.एस.आई. एक्ट के अंतर्गत पारदर्शी ढंग के साथ किया संपत्ति का निपटारा
चंडीगढ़, 24 दिसंबर:
बीर दविन्दर सिंह द्वारा निजी पार्टी को नाजायज फ़ायदा पहुँचाने के दोषों को सिरे से नकारते हुए पंजाब सरकार ने गुरूवार को स्पष्ट किया कि यह दोष बिल्कुल बेबुनियाद हैं, क्योंकि सरफेसी एक्ट, 2002 के अंतर्गत ए.आर.सी.आई.एल. के अधीन ही जायदाद के निपटारे की प्रक्रिया की गई जोकि पूरे पारदर्शी ढंग के साथ चल रही है।
सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि उद्योग विभाग के अनुसार उक्त जायदाद का निपटारा ए.आर.सी.आई.एल. द्वारा सही और पारदर्शी ढंग के साथ खुली ई-नीलामी के द्वारा सरफेसी एक्ट की उचित धाराओं के अंतर्गत किया गया था और पी.एस.आई.ई.सी. के बकाए भी सुरक्षित रखे गए थे, जिस कारण नीलामी खरीददार मैसर्ज जी.आर.जी. डिवैल्पजऱ् और प्रमोटर एल.एल.पी. को किसी भी किस्म का कोई अनुचित लाभ नहीं दिया गया। जि़क्रयोग्य है कि ए.आर.सी.आई.एल. ने तीन बार खुली नीलामी की थी और चौथी बार सही कीमत ढूँढने में सफलता मिली थी।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि जायदाद का कब्ज़ा अभी भी ए.आर.सी.आई.एल. के पास है और पी.एस.आई.ई.सी. यह जायदाद नीलामी के खरीददार के नाम तब की जायेगी जब इसके पूरे बकाए प्राप्त होने की 50 प्रतिशत निर्धारित वृद्धि, ज़मीन की लागत में वृद्धि और लागू होने के बाद विधि के अनुसार ट्रांसफर फीस प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि पी.एस.आई.ई.सी के बोर्ड ऑफ डायरैक्टर्ज ने 21 अक्तूबर, 2020 को हुई अपनी मीटिंग में और पंजाब सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने पंजाब इंफोटैक/पी.एस.आई.ई.सी और जे.सी.टी इलैक्ट्रॉनिक्स के दरमियान किये गए इकरारनामे की शर्त और नियम के अनुसार ही प्रस्ताव को मंज़ूरी दी थी। उन्होंने आगे कहा कि राज्य/पीएसआईईसी/ इंफोटैक के वित्तीय हितों को सुरक्षित रखा गया है क्योंकि नीलामी खरीददार निर्धारित समय के अंदर नियम अनुसार अदायगी करने के लिए पाबंद है।
गौलतलब है कि प्लाट नंबर ए-32, पेज़-8, एस.ए.एस. नगर (मोहाली) 31 एकड़ के क्षेत्रफल वाला, मैसर्ज जे.सी.टी. इलैक्ट्रॉनिक्स को 99 वर्षीय लीज़ पर पंजाब इंफोटेक द्वारा 14 सितम्बर, 1984 को अलॉट किया गया था और पंजाब इंफोटेक और मैसर्ज जेसीटी इलैक्ट्रॉनिक्स के बीच 16 जुलाई, 1987 को लीज़ डीड बनाई गई थी। जिसके मुताबिक यह व्यवस्था की गई थी कि प्लॉट की बदली/बिक्री की स्थिति में जायदाद के मूल्य में 50 प्रतिशत अनर्जित वृद्धि का भुगतान खऱीददार द्वारा कजऱ्दार भाव पंजाब इंफोटेक को किया जायेगा। मैसर्ज जे.सी.टी इलैक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बैंकरों / वित्तीय संस्था के प्रति अपनी वित्तीय जि़म्मेदारियों को पूरा करने में असफल रहा और फिर यह केस को औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (बी.आई.एफ.आर) को सौंप दिया गया। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कंपनी को बंद करने का आदेश दिया। माननीय हाईकोर्ट द्वारा कंपनी की जायदाद को अपने कब्ज़े में करने के लिए अधिकृत लिक्विडेटर नियुक्त किया गया था। पंजाब इंफोटेक ने ज़मीन का मुआवज़ा बढ़ाने के बकाए सम्बन्धी अधिकृत लिक्विडेटर अपना दावा पेश किया था। 275.06 लाख और 50 प्रतिशत अनर्जित वृद्धि में रुपए 123 करोड़ इसके पत्र को 15 अक्तूबर, 2019 को पंजाब इन्फोटैक प्लॉटों की मौजूदा रिज़र्व कीमत के आधार पर सरफेसी एक्ट, 2002 के अंतर्गत ऐस्टस रिकनस्ट्रकशन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटड (ए.आर.सी.आई.एल) सुरक्षित लेनदार होने के कारण प्लॉट का कब्ज़ा ले लिया गया था और विभिन्न मौकों पर इसकी नीलामी करने की कोशिश की गई थी। पिछले हफ्ते रिज़र्व कीमत पर सार्वजनिक नीलामी 4 बार की गई थी (ए.आर.सी.आई.एल द्वारा मुल्यांकन के आधार पर और कर्जदारों की संयुक्त बैठक में सहमति के बाद) दिसंबर 2018 में करवाई, जिसमें से 105 करोड़ रुपए, 95.50 करोड़ और 90.50 करोड़ (दो बार) बतायी गई। यह निलामियां असफल रहीं क्योंकि कोई उपयुक्त बोली लगाने वाला सामने नहीं आया।
बताने योग्य है कि फरवरी 2020 में ए.आर.सी.आई.एल द्वारा रिज़र्व कीमत 90.50 करोड़ पर दोबारा खुली ऑनलाइन बोली करवाई गई थी। जिस दौरान यह जायदाद सबसे अधिक बोली लगाने वाले मैसर्ज जी.आर.जी. डिवैल्परों और प्रमोटरों को एल.एल.पी.पी पर 90.56 करोड़ में बेची गई थी। पी.एस.आई.ई.सी. ने 26.03.2020 को ए.आर.सी.आई.एल. के विरुद्ध लीज़ डीड के नियमों और शर्तां के मुताबिक 50 प्रतिशत अनाधिकृत वृद्धि है। 45,28,03,500/- रुपए की बढ़ी हुई ज़मीन की कीमत के अनुसार 854.93 लाख जो एक लाजि़मी लागू करने वाला इकरारनामे के लिए अपना दावा दाखि़ल किया था। मैसर्ज जी.आर.जी. डिवैल्पर्ज और प्रमोटर एल.एल.पी. ने पहले ही ए.आर.सी.आई.एल. के पास प्लॉट का 50 प्रतिशत बिक्री और पी.एस.आई.ई.सी. 45,28,03,500/- से अधिक ज़मीन की लागत और लागू ट्रांसफर फीस निर्धारित समय के अंदर दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्धारित वृद्धि और बढ़ी हुई ज़मीन की लागत पर लागू ब्याज के साथ भुगतान कर दिया है।

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