सरदार सुखबीर सिंह बादल ने मुख्यमंत्री को यह साबित करने की चुनौती दी कि सराया इंडस्ट्रीज  को  2007 से वर्तमान समय तक एक रूपया भी विदेशी फंडिग से प्राप्त हुआ हो

कहा कि भगवंत मान ने डी.जी.पी पर सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज करने का दबाव बनाया क्योंकि वह लगातार मुख्यमंत्री और उनके भ्रष्ट और अनैतिक कार्यों का पर्दाफाश कर रहे

अकाली दल  ने जोर देकर कहा कि राज्य में अकाली दल की सरकार बनने पर वह भगवंत मान और अधिकारियों को भ्रष्ट और अवैध गतिविधियों के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा
चंडीगढ़, 28जून 2025
शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष  सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज मुख्यमंत्री भगवंत मान को यह साबित करने की चुनौती दी कि सराया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया को विरासत में 11 फीसदी का हिस्सा मिला है, को  2007 से लेकर अब तक एक रूपये की भी विदेशी फंडिग प्राप्त की हो। उन्होने अकाली नेता के खिलाफ दर्ज आया से अधिक संपत्ति मामले में लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया।

यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा,‘‘ सराया इंडस्ट्रीज को दिसंबर 2005 में एकमात्र विदेशी फंडिग मिली थी, जब कंपनी में 25 फीसदी शेयरों के बदले अमेरिका स्थित क्लियरवाॅटर काॅरपोरेशन से 35 करोड़ रूपये प्राप्त हुए थे। सरदार मजीठिया ने 2007 में राजनीति में प्रवेश किया था। ’’ उन्होने यह भी दावा किया कि क्लियरवाॅटर काॅरपोरेशन, जिसके कई देशों के कार्यालय हैं ने वैश्विक स्तर पर 50 हजार करोड़ रूपये का निवेश किया है। उन्होने कहा,‘‘ इस कंपनी द्वारा एनबीएफसी के माध्यम से सराया इंडस्ट्रीज में निवेश किया गया सारा पैसा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से उचित मंजूरी और विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजरी के बाद किया गया था।’’
सरदार सुखबीर बादल ने यह भी स्पष्ट किया कि सराया इंडस्ट्रीज के सभी लेन-देन की आयकर विभाग द्वारा जांच की गई और उसे स्वीकार किया गया। उन्होने कहा,‘‘ इससे साफ साबित होता है कि सराया इंडस्ट्रीज में विदेशी फंडिग के माध्यम से 540 करोड़ रूपये के निवेश के दावे बेतुके और दुर्भावना पूर्ण हैं और यह सिर्फ सरदार मजीठिया को बदनाम करने के मकसद से किया जा रहा है।’’ उन्होेने यह भी साफ किया कि गन्ना खरीद और डिस्टिलरी कारोबार के दौरान किए गए सभी नकद लेनदेन की भी आयकर विभाग द्वारा जांच की गई थी। उन्होने यह भी कहा कि सराया इंडस्ट्रीज लिमिटेड एक निजी लिमिटेड कंपनी है , जिसे पब्लिक लिमिटेड कंपनी माना जाता है और यह यूनिट सरदार मजीठिया से अलग कपंनी थी और उनसे जुड़ी नही हो सकती। उन्होने बताया,‘‘ सरदार मजीठिया का कंपनी के रोजमर्रा के कामकाज पर कोई नियंत्रण नही है।’’अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि  मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य के डीजीपी पर स. मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज करने पर दबाव डाला था, क्योंकि स. मजीठिया लगातार उनके और उनके भ्रष्ट और अनैतिक कैबिनेट सहयोगियों का पर्दाफाश कर रहे थे। उन्होने कहा,‘‘ मुख्यमंत्री ने 24 जून की रात को डीजीपी को फोन कर धमकी दी कि अगर उन्होने सुबह तक स. मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज नही किया तो उन्हे हटा दिया जाएगा। इसी कारण, डीजीपी ने उसी रात 10.40 पर अकाली नेता के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सतर्कता विभाग को लिखा। इसके बाद 25 जून की सुबह 4.40 बजे सरदार मजीठिया के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया।’’सरदार बादल ने कहा कि मामला दर्ज करने से पहले कोई भी जांच नही की गई। उन्होने कहा,‘‘ सतर्कता विभाग ने सरदार मजीठिया को सवाल जारी करना भी उचित नही समझा, जो इस तरह का मामला दर्ज करने की पहली शर्त है।’’ उन्होने कहा कि सरदार मजीठिया को दी गई नियमित जमानत को रदद करने और एनडीपीएस अधिनियम ममें उनसे हिरासत में पूछताछ की मांग करते हुए सरकार ने 2023 में सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा जमा किया था उसके हर शब्द का इस्तेमाल  उनके खिलाफ यह नया मामला दर्ज करने के लिए किया गया। उन्होने कहा,‘‘ यह इस तथ्य के बावजूद किया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में हलफनामे को खारिज कर दिया था और सरदार मजीठिया को हाई कोर्ट द्वारा दी गई नियमित जमानत को रदद करने यां हिरासत में पूछताछ के अनुरोध को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। उन्होन कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आप सरकार को दो दिनों में जांच पूरी करने के लिए भी कहा था, जिसके बाद से उसने अब तब राजनीतिक बदलाखोरी में शामिल होने के लिए नया रास्ता अपनाया है।’’

अकाली दल अध्यक्ष ने सरदार मजीठिया को बदनाम करने के लिए आप सरकार द्वारा सेवानिवृत्त अधिकारियों का इस्तेमाल करने की भी निंदा की। उन्होने कहा,‘‘ पूर्व डीजीपी एस. चटटोपध्याय वही व्यक्ति हैं, जिन्होने पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल और उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था और बादल परिवार की विदेशी संपत्तियों के सबूत खोजने के लिए सरकारी खर्च पर कई देशों की यात्राएं भी की थी।’’ उन्होने कहा कि रिटायर्ड प्रवर्तन डाॅयरेक्टर निरंजन सिंह को भी इसमें शामिल किया जा रहा है, लेकिन सरदार मजीठिया को क्लीन चिट देने वाले प्रवर्तन डाॅयरेक्टर को मामले से बाहर रखा जा रहा है।

पूरे मामलों को अवैध और जानबूझकर गढ़ा गया मामला करार देते हुए सरदार बादल ने कहा,‘‘ हम लोंगों के बीच जाएंगें और आप सरकार का पर्दाफाश करेंगें।’’ उन्होने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी के पास भगवंत मान और उनकी पत्नी गुरप्रीत कौर के साथ-साथ पटियाला के एसएसपी वरूण शर्मा के खिलाफ भ्रष्ट कार्यों के पुख्ता सबूत हैं, जो उनके लिए सभी अवैध लेन-देन संभाल रहे हैं और राज्य में अकाली दल की सरकार बनने के बाद उन्हे जवाबदेह ठहराया जाएगा। उन्होने स. मजीठिया के खिलाफ एनडीपीएस मामले में आरोपों की जांच के बाद पांच सिट के गठन पर भी सवाल उठाया और कहा कि मौजूदा एसआईटी प्रमुख वरूण शर्मा मुख्यमंत्री के परिवार के साथ अपने व्यापारिक संबधों के कारण समझौता कर चुके हैं। उन्होने कहा कि इसी तरह एक अन्य एसआईटी मैंबर गुरबंस सिंह बैंस को भ्रष्टाचार के आरोपों में 5 साल के लिए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

सरदार बादल ने कहा,‘‘ सच्चाई यह है कि आप सरकार एनडीपीएस मामले में कोई ड्रग नही ढूंढ़ पाई है और इसीलिए अब आय से अधिक संपत्ति मामले में भी कोई अवैध संपत्ति ढूंढ़ पाने में विफल रही है।’’