कांग्रेस सरकार ने पंजाब के बेरोजगारों के साथ कदम-कदम पर धोखे किए: हरपाल सिंह चीमा

HARPAL CHEEMA
ਕਾਂਗਰਸ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਬੇਰੁਜ਼ਗਾਰਾਂ ਨਾਲ ਕਦਮ- ਕਦਮ 'ਤੇ ਧੋਖੇ ਕੀਤੇ: ਹਰਪਾਲ ਸਿੰਘ ਚੀਮਾ
– सरकारी नौकरियों में प्रदेश की नौजवानी की पीठ पर वार कर रही है चन्नी सरकार
-बेरोजगारों की हाजिरी में आप ने सरकारी भर्ती प्रक्रिया और नीतियों पर उठाए सवाल
-पंजाब डोमिसाइल व अधिक नंबर, वेटिंग लिस्ट, टाटा कंपनी की गड़बड़ी, ऑफलाइन परीक्षा, आयु सीमा समेत अन्य मुद्दे भी उठाए
-टाटा कंपनी के बजाय पीएसएसएस बोर्ड और पीपीएससी के माध्यम से भर्ती पर दिया जोर

चंडीगढ़, 27 अक्तूबर 2021

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने सत्ताधारी कांग्रेस पर पंजाब के बेरोजगारों के साथ कदम-कदम पर धोखे और लूट-खसूट करने के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा नौकरियों के लिए निकाली जाने वाली भर्ती में पंजाबी भाषा, सभ्याचार, और पंजाब के लोगों के साथ पक्षपात किया जाता है। पार्टी ने मांग की है कि पंजाब सरकार भर्ती प्रक्रिया के लिए टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज कंपनी (टीसीएस) के साथ किया गया समझौता तुरंत रद्द करे।

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पार्टी मुख्यालय से बुधवार को पंजाब के बेरोजगार नौजवानों की मौजूदगी में आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इसमें ‘आप’ के वरिष्ठ नेताओं, पंजाब मामलों के इंचार्ज एवं विधायक जरनैल सिंह, नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा, विधायक गुरमीत सिंह मीत हेयर, प्रदेश के महासचिव हरचंद सिंह बरसट और हलका जलालाबाद के इंचार्ज जगदीप गोल्डी कंबोज उपस्थित रहे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि घर-घर नौकरी का वादा करने वाली कांग्रेस सरकार की नीतियां और फैसले पंजाब के होनहार नौजवानों के लिए बेहद घातक साबित हो रहे हैं। चीमा ने बताया कि हरियाणा समेत अन्य राज्यों ने अपने-अपने राज्य के बेरोजगारों के लिए सरकारी और प्राइवेट नौकरियों में 70 से 80 प्रतिशत तक आरक्षण निर्धारित किया हुआ है लेकिन पंजाब में ऐसा नहीं है। इस कारण अन्य राज्यों के नौजवान पंजाब के सरकारी विभागों में नौकरियां ले जाते हैं। चीमा ने मांग की है कि पंजाब में हो रही सरकारी भर्तियों के लिए पंजाब डोमिसाइल सर्टिफिकेट अनिवार्य कर इसके अधिक नंबर दिए जाएं और अन्य राज्यों के उम्मीदवारों के लिए अधिक से अधिक 10 प्रतिशत तक कोटा तय किया जाए।

हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सरकार पहले तो पद (पोस्ट) ही नहीं निकालती। अधिकांश विभागों में 60 से 70 प्रतिशत तक स्वीकृत (सेंक्शंड) पद खाली हैं। ठेका भर्ती और आउटसोर्सिंग के माध्यम से सेवानिवृतों को एक्सटेंशन देकर समय बिताया जा रहा है। जबकि मुख्यमंत्री चन्नी द्वारा किया गया वादे की भी हवा निकल गई है। क्योंकि जल स्त्रोत विभाग और अन्य विभागों में 64-65 वर्षीय सेवानिर्वित कर्मचारियों-अधिकारियों को एक्सटेंशन दी जा रही है।

इस मौके पर विधायक मीत हेयर ने कहा कि पंजाब पब्लिक सर्विस कमिशन (यूपीएससी) और पंजाब स्टेट सबॉर्डिनेट सर्विसेज (पीएसएसएस) बोर्ड से ही सरकारी भर्तियां कराई जाएं और आगे से टीसीएस के माध्यम से भर्तियां रोकी जाएं। यह कंपनी निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती करने में विफल रही है। इस कंपनी पर भर्ती प्रक्रिया में गड़बडिय़ां, घपलेबाजी करने के कई मामले चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस की भर्तियों के ट्रायल बाहरी एजेंसियों के बजाय पंजाब पुलिस के माध्यम से ही हों।

विधायक मीत हेयर ने आरोप लगाया कि टीसीएस कंपनी भर्ती प्रक्रिया में पंजाब और पंजाबियत को महत्वता नहीं देती। उदाहरण के तौर पर कांस्टेबल, सब-इंस्पेक्टर (टेक्निकल) पीएसपीसीएल, पीएसटीसीएल आदि परीक्षाओं में पंजाबी विषय लिया ही नहीं जाता। उन्होंने मांग की है कि पंजाबी विषय अनिवार्य किया जाए और अधिकतर पाठ्यक्रम पंजाब, पंजाबी, पंजाबियत, पंजाबी संस्कृति और सभ्याचार पर आधारित हो।

मीत हेयर ने कहा कि यह आश्वस्त किया जाए की हर एक परीक्षा एक ही शिफ्ट में ऑफलाइन माध्यम से ली जाए। ऑनलाइन और अधिकांश शिफ्ट में ली जा रही लिखित परीक्षा पारदर्शी नहीं है, इस कारण परीक्षा बार-बार रद्द या स्थगित हो रही है। उन्होंने सवाल किया कि यह कैसा आरक्षण है, जहां पीएसएसएस बोर्ड द्वारा पिछले सप्ताह निकाले गए क्लर्कों के 2374 पदों में से केवल 344 पद सामान्य श्रेणी के लिए हैं जो केवल 14.4 प्रतिशत बनता है। विधायक मीत हेयर ने सरकार से सवाल किया कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान बनती अंतिम मेरिट में वेटिंग लिस्ट क्यों खत्म कर दी गई? यदि वोटिंग लिस्ट हो तो ऐसी स्थिति में उसमें सबसे उपर के उम्मीदवार को मौका मिल सकेगा। बिना वेटिंग लिस्ट सफल उम्मीदवार द्वारा छोड़े गए पद सदैव के लिए खाली रह जाते हैं।

हरपाल सिंह चीमा ने आगे कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री और मंत्रियों की सरकारी आवास पर बिजली कर्मचारी, प्लंबर, बेलदार, माली, कारपेंटर आदि करीब 300 कर्मचारी पिछले 15-20 साल से काम कर रहे हैं, जिन्हें पिछली बादल सरकार ने रेगुलर करने के बजाय आउटसोर्स पर कर दिया। पंजाब में ऐसे कर्मचारियों की गिनती 20 हजार से अधिक है। उन्होंने बताया कि ठेकेदार सरकार से 21,717 रुपये प्रति महीना लेकर इन्हें केवल 14 हजार से 16 हजार रुपये दे रहे हैं, यह दिये के नीचे अंधेरा है। चीमा ने मांग की है कि पंजाब समेत चंडीगढ़ में पंजाब के विभागों में ठेकेदारी और आउटसोर्सिंग भर्ती बंद की जाए और पूर्व समय से काम कर रहे कर्मचारियों को विभागों में लेकर रेगुलर किया जाए।