प्रधानमंत्री से भड़काऊ बयानों से कलह फैलाने वाले मंत्रियों पर लगाम लगाने की अपील की
कहा कि शेखावत का बयान कि राजस्थान का बी.बी.एम.बी पर समान अधिकार है अतार्किक और इसमें कोई दम नही
चंडीगढ़/01सितंबर: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ के दर्जे को लेकर देश द्वारा पंजाब को दी गई गारंटी से पीछे हटने के केंद्र सरकार के प्रयासों की निदंा की और इसे प्राथमिकता के आधार पर पंजाब को स्थानांतरित करने की मांग की है।
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने उनके उन मंत्रियों पर लगाम लगाने की अपील की जो भड़काउ बयानों से कलह फैला रहे हैं । उन्होेने कहा कि पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और पंजाबियों की भावनाएं चंडीगढ़ और पंजाबी भाषा बोलने वाले क्षेत्रों के मुददे से जुड़ी हुई हैं।। उन्होने कहा,‘‘ केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इन संवेदनशील विषयों पर बोलते हुए न केवल कलह फैलाने की कोशिश की है, बल्कि चंडीगढ़ की स्थिति के संबंध में देश की स्थापित स्थिति को भी बदलने की कोशिश की है। मैं उनसे आग्रह करता हूं कि बीबीएमबी पर राजस्थान के अधिकार पर जोर देने वाले ऐसे विवादास्पद बयान न दें, क्योंकि उन्हे हितों के टकराव के रूप में लिया जाएगा, क्योंकि वह राजस्थान से हैं और पंजाब भाजपा इकाई के प्रभारी हैं’’।
चंडीगढ़ का भविष्य का फैसला कैसे तय किया जाएगा, इस पर केंद्रीय मंत्री की नई योजना पर नाराजगी जताते हुए सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा, ‘‘ इस मामले पर निर्णय लेना शेखावत के दायरे में नही है, यह एक बंद अध्याय है। चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी रूप से पंजाब में स्थानांतरण के लिए लंबित है।
इस मुददे के बारे अन्य जानकारी देते हुए सरदार बादल ने कहा कि पंजाब देश का एकमात्र राज्य है, जिसे पुनर्गठन के बाद अपनी राजधानी को अपने पास रखना नही मिला । हमें आश्वासन दिया गया था कि चंडीगढ़ को पंजाब में हस्तांतरित कर दिया जाएगा तथा 1970 में भारत सरकार की एक घोषणा द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी कि चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित कर दिया जाएगा’’। उन्होने कहा कि इसके बाद राजीव -लोगोंवाल समझौता हुआ, जिसने पंजाब को चंडीगढ़ दिया और संसद के दोनों सदनों ने इसकी पुष्टि की । उन्होने कहा, ‘‘ यह लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन है कि इन सभी घोषणाओं और आश्वासनों के बाद भी चंडीगढ़ को अभी भी पंजाब में स्थानांतरित नही किया गया है और अब इसकी स्थिति निर्धारित करने के लिए नए नियम और शतें रखने की योजना बनाई जा रही हैं’’।
सरदार बादल ने गजेंद्र शेखावत की इस घोषणा पर भी हैरानी जताई कि भाखड़ा ब्यास प्रबधंन बोर्ड पर राजस्थान का समान अधिकार है। उन्होने कहा कि यह बयान पूरा अतार्किक है और इसमें कोई दम नही है। ‘‘ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तानाशाही आदेश पर सभी रिपेरियन मानदंडों के खिलाफ राजस्थान को पंजाब का पानी दिया गया था। शिरोमणी अकाली दल के लगातार विरोध के कारण केंद्र को एसवाईएल नहर के माध्यम से हमारी नदी के पानी को हरियाणा को सौंपने की कोशिश रोकनी करनी पड़ी थी’’।
भाजपा मंत्रियों से हरियाणा में होने वाले चुनावों के कारण चंडीगढ़ यां नदी के पानी के हस्तांतरण के मुददे का राजनीतिकरण नही करने के लिए कहते हुए सरदार बादल ने कहा, ‘‘ राज्य के वास्तविक अधिकार को कमजोर करने के प्रयास करने के बजाय पहले किए हुए अन्याय को सुधारा जाना चाहिए। उन्होने यह भी स्पष्ट किया कि अकाली दल चंडीगढ़ के स्थानांतरण की मांग करता रहेगा और राज्य से पानी की एक बंूद भी बाहर नही जाने देगा।

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