एस.वाई.एल. के निर्माण का सवाल ही पैदा नहीं होता, पंजाब के पास अन्य राज्यों को देने के लिए पानी की एक बूँद भी नहीं-भगवंत सिंह मान  

Satluj Yamuna Link
NO QUESTION OF CONSTRUCTION OF SYL AS PUNJAB NOT EVEN HAS SINGLE DROP OF WATER TO SHARE WITH OTHER STATES: CM
भारत सरकार द्वारा बुलाई गई अंतरराज्यीय मीटिंग में एस.वाई.एल. के निर्माण का डट कर विरोध किया
कहा, भूजल का स्तर गिरने के कारण पंजाब पहले ही डार्क ज़ोन में
सभी राज्यों के हित में एस.वाई.एल. की बजाय वाई.एस.एल. की माँग की
चंडीगढ़, 28 दिसंबर 2023
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज स्पष्ट शब्दों में कहा कि सतलुज-यमुना लिंक (एस.वाई.एल.) नहर के निर्माण का सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि राज्य के पास किसी को देने के लिए पानी की एक बूँद भी नहीं है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंदर सिंह शेखावत द्वारा बुलाई गई अंतरराज्यीय मीटिंग में पंजाब के केस को ज़ोरदार ढंग से रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को अपनी सिंचाई ज़रूरतें पूरी करने के लिए 54 एम.ए.एफ. से अधिक पानी की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि स्थिति इतनी गंभीर है कि पंजाब के पास केवल 14 एम.ए.एफ. पानी है, जो किसानों को दिया जा रहा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि ऐसे हालात में किसी अन्य राज्य को पानी की एक बूँद भी देने का सवाल ही पैदा नहीं होता और पंजाब एस.वाई.एल. का निर्माण का सख़्ती से विरोध करता है।
मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि सतलुज नदी पहले ही सूख चुकी है और इसमें पानी की एक बूँद भी देने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पंजाब के पास हरियाणा को देने के लिए कोई अतिरिक्त पानी नहीं है और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार पानी की उपलब्धता का फिर से मुल्यांकन करना ज़रूरी है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब के 76.5 प्रतिशत ब्लॉक (153 में से 117) में भूजल का स्तर बहुत नीचे जा चुका है, जहाँ पानी निकालने का पड़ाव 100 प्रतिशत को पार कर गया है, जब कि हरियाणा में केवल 61.5 प्रतिशत (143 में से 88) ब्लॉकों में पानी का स्तर नीचे गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के संकट को कभी भी नजऱअन्दाज़ नहीं किया जा सकता, जिस कारण राज्य सरकार एस.वाई.एल. के निर्माण के लिए उठाए गए किसी भी कदम का डटकर विरोध करेगी। पानी के तेज़ी से घट रहे स्तर से पैदा हो रही स्थिति की गंभीरता पर गहरी चिंता ज़ाहिर करते हुए भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह बहुत ही अफ़सोस की बात है कि दुबई और अन्य खाड़ी के देशों में तेल निकालने के लिए जिन हाई पावर मोटरों का प्रयोग किया जा रहा है, उन्हीं मोटरों का प्रयोग राज्य में भूजल को निकालने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी चिंताजनक स्थिति में राज्य के पानी के वितरण के लिए एस.वाई.एल. नहर के निर्माण की इजाज़त कैसे दी जा सकती है।
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि राज्य के पास किसी अन्य राज्य को देने के लिए कोई अतिरिक्त पानी नहीं है, इसलिए सतलुज-यमुना लिंक (एस.वाई.एल.) नहर की बजाय अब इस प्रोजैक्ट को यमुना-सतलुज लिंक (वाई.एस.एल.) के तौर पर विचारा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सतलुज नदी पहले ही सूख चुकी है, और इसमें से पानी की एक बूँद भी देने का सवाल ही पैदा नहीं होता। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इसके उलट गंगा और यमुना का पानी सतलुज नदी के द्वारा पंजाब को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह यह मुद्दा केंद्र सरकार के समक्ष भी उठा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पानी की कम उपलब्धता के मुद्दे को ज़ोरदार ढंग से पेश किया है, और यह सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में भी दर्ज है। उन्होंने कहा कि पंजाब अपनी आने वाली पीढिय़ों के अधिकारों की रक्षा के लिए आगे होने वाली सुनवाईयों में भी सुप्रीम कोर्ट में राज्य के केस को ज़ोरदार ढंग से पेश करेगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब सरकार का फर्ज बनता है कि वह राज्य और यहाँ के लोगों के हितों की हर हाल में रक्षा करे और इसके लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि चाहे यह राज्य हमेशा से ही राज्य के पानी पर अपने अधिकार का दावा करते आ रहे हैं, परन्तु जब पहाड़ी क्षेत्रों से आए अतिरिक्त पानी के कारण पंजाब बाढ़ की मार झेल रहा था, तब इन राज्यों ने पंजाब का पानी लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि पंजाब ने पहाड़ी क्षेत्रों में ज़्यादा बरसात होने के कारण बाढ़ की मार झेली है, परन्तु हमारे पानी पर अपना हक जताने वाले इन राज्यों को इससे कोई लेना-देना नहीं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि बाढ़ के कारण पंजाब का बहुत नुकसान हुआ है, परन्तु राज्य से पानी मांगने वाले इन राज्यों को इसकी कोई परवाह नहीं।