चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने गेहूं की डब्ल्यूएच 1270 उन्नत किस्म विकसित की

Chaudhary Charan Singh Haryana Agricultural University to have information about e-resources available in Nehru Library through mobile app

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने गेहूं की डब्ल्यूएच 1270 उन्नत किस्म विकसित की

चंडीगढ़, 14 दिसंबर- चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि सभी वैज्ञानिकों की मेहनत की बदौलत विश्वविद्यालय ने एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। अब वैज्ञानिकों ने गेहूं की डब्ल्यूएच 1270 उन्नत किस्म विकसित की है। यह वैज्ञानिकों की मेहनत का ही परिणाम है कि हरियाणा प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत ही छोटा है जबकि देश के केंद्रीय खाद्यान भण्डारण में प्रदेश का कुल भण्डारण का 16 प्रतिशत हिस्सा है और फसल उत्पादन में अग्रणी प्रदेशों में है, जो अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।

उन्होंने बताया कि आज हरियाणा प्रदेश गेहूं के प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता में देशभर में प्रथम स्थान पर है।

जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि गेहूं की इस किस्म को विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के गेहूं अनुभाग द्वारा विकसित किया गया है। विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इस किस्म को भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि एवं सहयोग विभाग की ‘फसल मानक, अधिसूचना एवं अनुमोदन केंद्रीय उप-समिति’ द्वारा नई दिल्ली में हाल ही में आयोजित बैठक में अधिसूचित व जारी कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि गेहूं की डब्ल्यूएच 1270 उन्नत किस्म को भारत के उत्तर-पश्चिम मैदानी इलाकों के लिए अनुमोदित किया गया है। इन क्षेत्रों में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान(कोटा व उदयपुर क्षेत्र को छोडकर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश(झांसी क्षेत्र को छोडकर), जम्मू-कश्मीर के कठुआ व जम्मू जिले, हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला व पौंटा घाटी और उत्तराखण्ड का तराई क्षेत्र प्रमुख रूप से शामिल हैं।

विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने बताया कि गेहूं की इस किस्म को अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में बिजाई के लिए अनुमोदित किया गया है। अगेती बिजाई करने पर इसकी पैदावार प्रति एकड़ 4 से 8 क्विंटल तक अधिक ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि इस किस्म में विश्वविद्यालय द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार बिजाई करके उचित खाद, उर्वरक व पानी दिया जाए तो इसकी औसतन पैदावार 75.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है और अधिकतम पैदावार 91.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती है। इस किस्म की खास बात यह है कि यह गेहूं की मुख्य बिमारियां पीला रत्तवा व भूरा रत्तवा के प्रति रोगरोधी है। इसके अलावा गेहूं के प्रमुख क्षेत्रों में प्रचलित मुख्य बिमारियां जैसे पत्ता अंगमारी, सफेद चुर्णी व पत्तियों की कांगियारी के प्रति भी रोगरोधी है। यह किस्म 156 दिन तक पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसत ऊंचाई भी 100 सेंटीमीटर तक होती है, जिसके कारण यह खेत में गिरती नहीं। इस किस्म में प्रोटीन भी अन्य किस्मों की तुलना में अधिक है।

पादप एवं पौध प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ए.के. छाबड़ा ने बताया कि रबी के मौसम के लिए सिफारिश की गई इस किस्म का बीज अगले वर्ष किसानों के लिए उपलब्ध करवा दिया जाएगा। यह किस्म किसानों के लिए वरदान साबित होगी।