चंडीगढ़, 29 जून – गर्भवती महिलाओं में क्षय रोग (टीबी) का काफी हद तक समय पर पता न चलने की घटनाओं को मद्देनजर रखते हुए हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने आज महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से डिजिटल रूप से टीबी जन आंदोलन नामक एक संवेदी कार्यशाला का आयोजन किया ताकि लोगों को गर्भवती महिलाओं में क्षय रोग के लक्षणों एवं उपचार बारे जागरूक किया जा सके।
स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए कहा कि कार्यशाला के दौरान यह बताया गया कि सरकार द्वारा टीबी रोगियों की सुविधा के लिए ‘निक्षय पोषण योजना’, ‘सूचना प्रोत्साहन योजना’, ‘उपचार समर्थक योजना’ और ‘निजी प्रदाता अधिसूचना योजना’ नामक चार योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसके तहत टीबी रोगियों और उनकी देखभाल करने वालों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। कार्यशाला के दौरान इस संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया गया।
यह बताते हुए कि गर्भवती महिलाओं में टीबी होने बारे काफी हद तक पता नहीं चलता, डब्ल्यूएचओ के सलाहकार डॉ. अनुज झांगडा ने कहा कि गर्भावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का टीबी महामारी पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान प्रतिरक्षात्मक परिवर्तन इस वर्ग में नए संक्रमणों के साथ-साथ अप्रत्यक्ष संक्रमणों की सक्रियता को अधिक सामान्य बना देते हैं।
डॉ. अनुज ने अपने प्रस्तुतीकरण में गर्भवती महिलाओं मेें टीबी होने के कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे परिवार में टीबी रोगी की देखभाल करें जिसके कारण टीबी के निदान से पहले या बाद में उनके संपर्क में आने से वे टीबी की चपेट में आ जाती हैं। इसके अलावा, खाना पकाने के लिए ठोस जैव ईंधन के उपयोग के साथ-साथ गरीबी, वेंटिलेशन की कमी आदि से टीबी का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने बताया कि टीबी से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए राज्य के लोग टोल फ्री नंबर 1800-11-6666 पर संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने आशा वर्कर्स एवं एएनएम के माध्यम से पारस्परिक संचार पर जोर देेते हुए कहा कि वे लोगों को टीबी के बारे शिक्षित करने और इससे जुड़ी भ्रांतियों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इससे पूर्व एडवोकेसी कम्युनिकेशन सोशल मोबिलजेशन ऑफिसर सुश्री सरिता नारयाल ने सरकार द्वारा टीबी के संबंध में शुरू की गई विभिन्न योजनाओं पर विस्तार से प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के प्राथमिक लक्षण बुखार, खांसी, वजन कम होना, पसीना आना हैं जो कि कोविड-19 के लक्षणों के समान हैं। उन्होंने कहा कि यह बीमारी संक्रामक है, हालांकि, अगर मरीज का 15 दिनों तक इलाज किया जाता है तो यह फैलती नहीं है।
अपने प्रस्तुतीकरण में उन्होंने बताया टीबी रिपोर्ट 2021 के अनुसार भारत में टीबी के 23,28,338 मामले हैं, जिनमें से 62,697 मामले हरियाणा में सामने आए हैं। इस बीमारी से होने वाली मौतों के बारे बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत में 89,823 टीबी संक्रमित लोगों की मृत्यु हुई है, जिनमें से 2,809 मौतें हरियाणा में हुईं। टीबी-एचआईवी से होने वाली मौतों का राष्ट्रीय आंकड़ा 5,388 है, जिनमें से 73 मौतें हरियाणा में हुई हैं। टीबी पीडि़त बच्चों का विवरण साझा करते हुए सुश्री सरिता ने कहा कि भारत में 1,02,090 बच्चों में टीबी के मामले सामने आए हैं, जिनमें से 3,321 मामले हरियाणा में हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राज्य भर के विभिन्न टीबी केंद्रों में लोगों को मुफ्त इलाज और परीक्षण की सुविधा प्रदान करती है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य सेवाएं के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. वी.के. बंसल, उपनिदेशक टीबी डॉ. सुषमा अरोड़ा, डॉ. वर्षा एवं डॉ. अंजलि अरोड़ा भी उपस्थित थीं। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रोत्साहन की नोडल अधिकारी डॉ. रीता कालड़ा ने किया।

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