कैथल, 18 अक्टूबर ( ): सेप्सिस से पीडि़त दो महिलाओं को फोर्टिस अस्पताल मोहाली के पल्मोनोलॉजी विभाग ने नया जीवन दिया है। सेप्सिस जीवन के लिए एक ऐसी खतरनाक स्थिति है जो संक्रमण के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण होती है। सेप्टिक संक्रमण अक्सर फेफड़ों, यूरीन सिस्टम, त्वचा या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम में शुरू होता है और चिकित्सा उपचार में कोई भी देरी इसमें घातक साबित हो सकती है।
कैथल से 28 वर्षीय रोगी को एक अस्पताल में सिजेरियन सेक्शन के माध्यम से बच्चे को जन्म देने के एक दिन बाद सांस लेने में तकलीफ, खांसी और बुखार हो गया था। ऐसी स्थिति में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया।
उनकी ऐसी गंभीर हालत को देखते हुए मरीज के परिजन उन्हें फोर्टिस अस्पताल मोहाली में लाए। जहां फोर्टिस हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप स्टडीज के डायरेक्टर डॉ जफर अहमद इकबाल के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने उनका सेप्सिस, मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों की सूजन), और लेफ्ट वेंट्रिकुलर फेलियर (दिल के बाईं ओर की विफलता) का निदान किया।
डॉ जफर ने आईसीयू और कार्डियक टीमों के साथ मिलकर रोगी का इलाज शुरू किया, जिसमें उन्होंने हृदय को अधिक ब्लड पंप देने के लिए उसके हृदय में एक इंट्रा-एओर्टिक बैलून पंप (आईएबीपी) रखा। इसके बाद एंटीबायोटिक दवाओं के प्रबंध के साथ डबल वैसोप्रेसर सपोर्ट (रक्तचाप को बेहतर बनाने में सहायक) भी शुरू किया।
डॉ जफर, आईसीयू और हृदय संबंधी टीमों के सामूहिक प्रयासों के कारण, रोगी अब ठीक हो गया और लगभग चार सप्ताह के बाद उसे छुट्टी दे दी गई तथा आज एक सामान्य जीवन जी रही हैं।
एक अन्य मामले में एक 55 वर्षीय रोगी महिला को फोर्टिस अस्पताल मोहाली लाया गया। यह पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, क्योंकि उन्हें मल्टीपल ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम (एमओडीएस) था और उनके फेफड़ों में गंभीर निमोनिया जैसी जानलेवा स्थिति थी इससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।
सेप्सिस का मुकाबला करने के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए, रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए, रक्त की एक्सट्रा कॉर्पोरियल मेम्ब्रेन का फिल्ट्रेशन किया गया, जिससे इसके हानिकारक प्रभाव कम हो गए। रोगी को सांस लेने में मदद करने के लिए टीम ने श्वासनली में एक ट्यूब डालकर ट्रेकियोस्टोमी भी की।
फोर्टिस अस्पताल मोहाली में अच्छे से रेखरेख के बाद, रोगी को वेंटिलेटर से हटा दिया गया और तीन सप्ताह के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। अब वह पूरी तरह से ठीक हो गई हैं और अपना सामान्य जीवन जी रही हैं।
इन दोनों मामलों पर चर्चा करते हुए, डॉ जफर ने कहा, सेप्सिस सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है, विशेष कर 65 वर्ष से अधिक या इससे कम उम्र के लोगों को, वीकेंड इम्युनिटी, अंडरलाइंग क्रोनिकल डिजीज या जिन्हें लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता होती है। बीमारी से झूझ चुके रोगी अपने बचे हुए जीवन के लिए सेप्सिस के परिणामों से पीडि़त होते हैं। उन्होंने कहा कि किसी की जान बचाने के लिए तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
कैथल से 28 वर्षीय रोगी को एक अस्पताल में सिजेरियन सेक्शन के माध्यम से बच्चे को जन्म देने के एक दिन बाद सांस लेने में तकलीफ, खांसी और बुखार हो गया था। ऐसी स्थिति में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया।
उनकी ऐसी गंभीर हालत को देखते हुए मरीज के परिजन उन्हें फोर्टिस अस्पताल मोहाली में लाए। जहां फोर्टिस हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप स्टडीज के डायरेक्टर डॉ जफर अहमद इकबाल के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने उनका सेप्सिस, मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों की सूजन), और लेफ्ट वेंट्रिकुलर फेलियर (दिल के बाईं ओर की विफलता) का निदान किया।
डॉ जफर ने आईसीयू और कार्डियक टीमों के साथ मिलकर रोगी का इलाज शुरू किया, जिसमें उन्होंने हृदय को अधिक ब्लड पंप देने के लिए उसके हृदय में एक इंट्रा-एओर्टिक बैलून पंप (आईएबीपी) रखा। इसके बाद एंटीबायोटिक दवाओं के प्रबंध के साथ डबल वैसोप्रेसर सपोर्ट (रक्तचाप को बेहतर बनाने में सहायक) भी शुरू किया।
डॉ जफर, आईसीयू और हृदय संबंधी टीमों के सामूहिक प्रयासों के कारण, रोगी अब ठीक हो गया और लगभग चार सप्ताह के बाद उसे छुट्टी दे दी गई तथा आज एक सामान्य जीवन जी रही हैं।
एक अन्य मामले में एक 55 वर्षीय रोगी महिला को फोर्टिस अस्पताल मोहाली लाया गया। यह पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, क्योंकि उन्हें मल्टीपल ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम (एमओडीएस) था और उनके फेफड़ों में गंभीर निमोनिया जैसी जानलेवा स्थिति थी इससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।
सेप्सिस का मुकाबला करने के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए, रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए, रक्त की एक्सट्रा कॉर्पोरियल मेम्ब्रेन का फिल्ट्रेशन किया गया, जिससे इसके हानिकारक प्रभाव कम हो गए। रोगी को सांस लेने में मदद करने के लिए टीम ने श्वासनली में एक ट्यूब डालकर ट्रेकियोस्टोमी भी की।
फोर्टिस अस्पताल मोहाली में अच्छे से रेखरेख के बाद, रोगी को वेंटिलेटर से हटा दिया गया और तीन सप्ताह के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। अब वह पूरी तरह से ठीक हो गई हैं और अपना सामान्य जीवन जी रही हैं।
इन दोनों मामलों पर चर्चा करते हुए, डॉ जफर ने कहा, सेप्सिस सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है, विशेष कर 65 वर्ष से अधिक या इससे कम उम्र के लोगों को, वीकेंड इम्युनिटी, अंडरलाइंग क्रोनिकल डिजीज या जिन्हें लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता होती है। बीमारी से झूझ चुके रोगी अपने बचे हुए जीवन के लिए सेप्सिस के परिणामों से पीडि़त होते हैं। उन्होंने कहा कि किसी की जान बचाने के लिए तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

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