आतंकवाद का उभार रोकने के लिए सामूहिक रणनीति की ज़रूरत पर ज़ोर

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चंडीगढ़, 18 दिसंबर:
चौथे मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में तालिबान बारे बात करते हुए अमरीकी वैज्ञानिक डॉ. सी क्रिस्टीन फेयर ने कहा कि आतंकवाद को रोकने के लिए दुनिया को सामुहिक यत्न करने चाहिएं। उन्होंने कहा कि एशियाई क्षेत्र के कुछ मुल्क तालिबान समेत कई आतंकवादी संगठनों की मदद कर रहे हैं जिसका खामियाज़ा दुनिया भर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
ईरान में भारत के राजदूत रह चुके भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफ़सर केसी सिंह, आईएफएस के साथ विचार-विमर्श करते हुए डॉ. फेयर ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार और फ़ौज में बेहतर तालमेल की कमी तालिबान के उभार का एक कारण है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के पास फ़ौज की बड़ी संख्या आतंकवाद के साथ जुड़ी गतिविधियों की रोकथाम का एकमात्र जऱीया नहीं हो सकती बल्कि आतंकवाद का उभार रोकने के लिए सामुहिक रणनीति की ज़रूरत है।
काबिलेगौर है कि डॉ. सी क्रिस्टीन फेयर अमरीकी राजनैतिक वैज्ञानिक होने के अलावा आतंकवाद विरोधी और एशियाई क्षेत्र के साथ जुड़े मामलों के माहिर हैं। वह आधे दर्जन से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं।
‘‘द तालिबान आर कमिंग कॉलिंग: डीप स्टेटस इन पाकिस्तान एंड इंडिया एंड द रोल ऑफ मीडिया’’ विषय पर विचार-विमर्श के दौरान यह बात सामने आई कि एशिया क्षेत्र में तालिबान की मदद करने वाले देशों की अंदरूनी और वित्तीय हालत बहुती बढिय़ा नहीं है क्योंकि आतंकवादियों की मदद के लिए खर्च किया गया पैसा विकास कार्यों पर नहीं लगता और अंदरूनी हमलों के लिए कई बार ऐसे आतंकवादी ग्रुप ही जि़म्मेदार होते हैं जिनकी मदद हकूमत की तरफ से की जाती है। भारत, पाकिस्तान, ईरान, ईराक, अफगानिस्तान और एशिया के अन्य आतंकवाद प्रभावित देशों का जि़क्र करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खि़लाफ़ लिए स्टैंड के कारण भारत विकासशील मुल्कों की सूची में अग्रणी बनकर उभरा है।
इस दौरान अलग-अलग आतंकवादी संगठनों की कार्यप्रणाली बारे भी विचार-चर्चा की गई। अमरीका पर 9/11 के हमले बारे बात करते हुए डॉ. फेयर ने कहा कि आतंकवादी हमलों के पीछे किसी न किसी ताकत का हाथ ज़रूर होता है और आतंकवादियों को पैसा मुहैया करवाने वाले देश इसके लिए जि़म्मेदार हैं। उन्होंने अमरीका की तरफ से अफगानिस्तान में तालिबान के सफ़ाए के लिए उठाए कदमों की सराहना की।
मीडिया की भूमिका बारे बात करते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा समय खोज करने वाली पत्रकारिता की कम हो रही प्रवृत्ति चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि बहुत से मीडिया संस्थान सिफऱ् वह दिखा/छाप रहे हैं जो हकूमत कर रहे लोग कह रहे हैं। एकतरफ़ा रिपोर्टिंग पर दोनों पैनलिस्टों ने चिंता का इज़हार किया। तालिबान कैसे सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहा है बाबत किये गए एक सवाल बारे डॉ. फेयर ने कहा कि यह माध्याम तालिबान काफ़ी समय से ईस्तेमाल करता आ रहा है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन बहुत से संदेश और वीडियो सोशल मीडिया के द्वारा ही फैलाते हैं। अमरीका में नयी सरकार के गठन के साथ तालिबान सम्बन्धी नीतियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा बारे उन्होंने कहा कि यह भविष्य तय करेगा कि नयी अमरीकी सरकार क्या पैंतरा तैयार करती है।
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