बिलासपुर 8 जून,2021 – आयोडीन संतुलित आहार के महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है। हमारा भोजन कुछ सौ ग्राम से कुछ माइक्रो ग्राम घटकों से मिल कर बनता है, संतुलित आहार शरीर को बनाने, वृद्धि-विकास, टूट-फूट की मुरम्मत करने, तथा रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करने का काम करता हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डाॅ0 प्रकाश दरोच ने बताया कि जन जागरूकता और जनसहयोग से आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों से छुटकारा पाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि आयोडीन शरीर की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, प्राकृतिक तौर पर 90 प्रतिशत तक आयोडीन की प्राप्ति खाद्य पदार्थों से तथा 10 प्रतिशत पीने के पानी से होती है। व्यक्ति को पूरे जीवन भर एक चमच तथा रोज सूई की नोक पर जितनी चीज आती है उतनी आयोडीन की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि गर्भवती व धात्री महिला को 200 माइक्रो ग्राम, व्यस्क को 150 माइक्रो ग्राम तथा शिशु को 50 माइक्रो ग्राम आयोडीन की रोज जरूरत होती है। आयोडीन का मुख्य काम गले की थायरायड ग्रन्थि में थायरौक्सिन नाम का हारमोन बनाना होता है जिससे घेघा रोग नहीं होता है।
उन्होंने बताया कि भोजन में इस तत्व के अभाव व कमी के कारण गर्भवती के बार-बार गर्भपात व मृत बच्चा या गूंगा, बहरा, बौना, एक आंख या दोनों आंखों से भैंगा बचा पैदा होता है। बच्चे में ये विकार स्थाई तथा ठीक न होने वाले होते हैं। बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास रूक जाता है, बच्चे मन्द बुद्धि के कारण पढ़ाई लिखाई व खेल कूद में दूसरे बच्चों से पिछड़ जाते हैं। वजन बढ़ना, थकान, मानसिक कार्य, कार्य कुशलता में रूकावट व्यसकों में आयोडीन की कमी के मुख्य प्रभाव हैं।
रोकथामः
आयोडीन अल्पता से उत्पन्न विकारों की रोकथाम के लिए आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग सुविधाजनक, सस्ता और असरदार है। हमेशा आयोडीन युक्त नमक का पैक्ट खरीदें और इस्तेमाल करें। धूप, नमी में रखा या फटा हुआ पैक्ट न खरीदें। नमक प्लास्टिक या शीशे के ढ़क्कन वाले बर्तन में रखें, खुले बर्तन या मसालदानी में नमक न डालें। नमक गीले हाथ से न निकालें, चम्मच का इस्तेमाल करें। नमक तड़के में न डालें, सब्जी-दाल पक व उबल जाए तभी नमक मिलाएं। छः माह से अधिक समय तक भंडारण न करें। खाद्य सुरक्षा एंव मानक अधिनियम 2006 के तहत खुले व मोटे नमक की बिक्री पर प्रतिबन्ध है।

हिंदी






