पुलिस कर्मी को जिंदा जलाने वाले 30 मुस्लिम कट्टरपंथियों को अगले दिन ही सजाए मौत
दो मुस्लिम कट्टरपंथी समुदाय के गुटों ने जिंदा पुलिस कर्मी को जलाया
कांगो , 18 मई: एक पुलिस कर्मी की हत्या करना, 30 लोगों को महंगा पड़ गया और 24 घंटे में ही 30 लोगों को फांसी की सजा दे दी गई। उल्लेखनीय है कि ईद के दिन पुलिस कर्मी पर हमला किया गया तथा जब वह जमीन पर गिर गया तो उसको आग के हवाले कर दिया गया। इसके बाद 24 घंटे के अंदर ही मामला दर्ज कर ट्रायल शुरू किया तथा 30 लोगों को सजा मौत की सुना दी गई। यह घटना है कि अर्फीका के कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की राजधानी किंसासा की।
ईद के दिन यह सब कुछ हुआ। मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ द्वारा एक पुलिस कर्मी के साथ बुरी तरह से मारपीट की गई तथा बाद में उसको आग के हवाले कर दिया गया। किसांसा के पुलिस प्रमुख सिलवानो कांसोगो ने बताया कि ईद के दिन सुबह इंसासा के मार्टिस स्टेडियम कांगो मेंं मुसलिम समुदाय के दो विरोधी गुट एकत्रित हुए, इन गुटों को साथ में ईद की नवाज अदा करनी थी, लेकिन गुटों के कट्टरपंथियों के कारण संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई। पुलिस ने भीड़ को काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले चलाए और चेतावनी देने के लिए हवा में फायर किए। लेकिन भीड़ ने पत्थर फैंकने शुरू कर दिए और पुलिस के वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया, वहीं पुलिस प्रमुख ने पुष्टि की कि उनका एक आदमी भीड़ के द्वारा आग के हवाले कर दिया गया, जिस कारण उसकी मौत हो गई। इस संघर्ष में एक अन्य व्यक्ति की भी मौत हुई। जबकि 46 अन्य घायल हुए।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए यह वीडियो बता रहे हैं कि आखिरकार क्या हुआ होगा, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि घटना के एक दिन बाद ही मामला दर्ज कर ट्रायल शुरू कर दिया गया, इस पर निर्णय लेते हुए 30 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई। सिविल पार्टी की ओर से वकील शिपांबा ने एएफपी की न्यूज एजैंसी को बताया कि घटना के अगले ही दिन ट्रायल शुरू हो गया तथा इसके बाद 30 लोगों को मृत्यु की सजा सुना दी गई। आपको बता दें कि कांगों में मुस्लिम जनसंख्या देश की जनसंख्या का 5 फीसदी है। लेकिन यहां मुस्लिम समुदाय दो गुटों में बंटा हुआ है। शेख अब्दुला और शेख जुम्बोदो के नेेतृत्व वाले दो मुस्लिम समाज का कांगों में नेतृत्व करने के लिए संघर्ष होता रहता है और इस बार जो हुआ, उस पर कोर्ट का चाबुक भी जोरदार तरीके से चला।

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