– डिजिटल माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ सीधा किसानों को मिलेगा
– मुख्यमंत्री के प्रयासों से लॉकडाउन के बावजूद योजनाएं बनाई गईं
चंडीगढ़, 10 अगस्त- हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जे.पी. दलाल ने कहा है कि राजनीतिक तौर पर अब तक विपक्षी पार्टियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले प्रदेश के किसान न केवल आर्थिक रूप से कमजोर हुए बल्कि समय-समय पर उनके नाम पर दिखावे की राजनीति भी हुई है। लेकिन अब वे किसान को गुमराह नहीं कर सकते हैं क्योंकि केंद्र में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी व राज्य में मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध व खुशहाल बनाने का संकल्प लिया है।
श्री दलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने किसानों को अपना भाई व मित्र मानते हुए कोविड-19 के दौरान राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन अवधि को अवसर में बदलते हुए प्रदेश के लगभग 17 लाख किसान परिवारों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचाने के लिए कई नई योजनाएं बनाकर उनके आर्थिक विकास के द्वार खोले हैं। उनकी यह सोच है कि ‘‘किसान खुशहाल तो हरियाणा खुशहाल, हरियाणा खुशहाल तो देश खुशहाल’’।
कृषि मंत्री ने कहा कि डिजिटलाइजेशन का यह कार्य प्रदेश में दो वर्ष पूर्व आरंभ की गई ‘‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’’ पोर्टल के लिए उस समय काफी कारगर सिद्ध हुआ, जब लॉकडाउन के बावजूद इस वर्ष रबी फसलों की ई-खरीद के माध्यम से गेहूं व सरसों की रिकार्ड खरीद संभव हो पाई। पोर्टल के डाटा का उपयोग करके इस रबी सीजन के दौरान 1800 मंडियों व खरीद केन्द्रों में 74.43 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद की गई। किसानों को टोकन दिए गए और उन्हें एसएमएस भेजे गए कि किस दिन उन्हें फसल लेकर मंडी में आना है। किसान निर्धारित तिथि को आए और मंडी में अनाज छोडकऱ चले गए। किसानों ने भी यह महसूस किया कि खरीद प्रक्रिया का सम्पूर्ण सिस्टम ऑटोमैटिक हो गया है।
श्री दलाल ने कहा कि सरकार की सोच है कि किसान को आढ़ती व साहूकार के पास कम से कम उधार के लिए जाना पड़े, इसके लिए आपातकालीन स्थिति में किसानों को तत्काल आर्थिक सहायता मुहैया करवाने के लिए एक आपातकालीन फंड तैयार करने का प्रस्ताव भी विचाराधीन है।
इस वर्ष रबी फसलों की खरीद का भुगतान पहली बार किसानों को नोडल अकाउंट के माध्यम से करने की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि आगामी धान खरीद सीजन के दौरान सभी खामियों को दूर किया जाएगा।
किसानों की समृद्धि के लिए हरियाणा की पहल पर केन्द्र सरकार ने वर्ष 2017 से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य हर वर्ष समय से पहले घोषित करना आरंभ किया है। इस वर्ष भी खरीफ फसलों के मूल्यों में 50 से 83 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। यदि वर्ष 2017 से हर वर्ष 2022 तक इस बढ़ोतरी का विश्लेषण किया जाए तो हम इस निष्कर्ष पर आसानी से पहुंच सकते हैं कि इससे प्रधानमंत्री का लक्ष्य के अनुरूप किसानों की आय वर्ष 2022 तक लगभग दोगुनी हो जाएगी।
श्री दलाल ने कहा कि कृषि के साथ-साथ किसानों की आय सम्बद्ध क्षेत्रों से भी बढ़े, जिसमें पशुपालन एक प्रमुख क्षेत्र है। हरियाणा को प्रति व्यक्ति दूध उत्पादकता में भी देश का एक अग्रणी राज्य बनाने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर पशुधन क्रेडिट कार्ड योजना तैयार की है। वर्तमान में राज्य में लगभग 36 लाख दुधारू पशु हैं तथा प्रति व्यक्ति दूध की उत्पादकता 1087 ग्राम है। दूध उत्पादन में पंजाब के बाद हरियाणा देश में पहले स्थान पर है। पशुधन क्रेडिट कार्ड योजना के तहत पशुपालक को पशुओं के रखरखाव के लिए ऋण के रूप में सहायता दी जाएगी और यह अधिकतम तीन लाख रुपये होगी। यह सहायता राशि भैंस, गाय, भेड़, बकरी, सुअर, मुर्गी तथा ब्रायलर इत्यादि के लिए दी जाएगी। हरियाणा में लगभग 16 लाख परिवार ऐसे हैं, जिनके पास दुधारु पशु हैं और इनकी टैगिंग की जा रही है। भौगोलिक दृष्टि से दिल्ली व आसपास की लगभग 5 करोड़ जनसंख्या की रोजमर्रा की फल-फूल, सब्जी, दूध, अण्डे, मांस इत्यादि की जरूरतों को पूरा करने में हरियाणा अन्य राज्यों की तुलना में सबसे उपयुक्त है और प्रदेश के किसान की पकड़ इस बाजार पर हो, इस दिशा में हरियाणा ने आगे बढऩे की पहल की है और किसानों के लिए इस दिशा में नई-नई योजनाएं तैयार की हैं। इस तरह वे कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के माध्यम से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2022 तक किसानों की आय दोगुणा करने के सपने को साकार कर सकेंगे।

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