कृष्ण मृग के संरक्षण एवं संवर्धन की ओर बढ़ते कदम

Sorry, this news is not available in your requested language. Please see here.

अब पक्षियों के साथ कृष्ण मृग की अठखेलियों से आबाद हो रहा केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान- लगभग दो दशक के बाद कृष्ण मृग के शावक का हुआ जन्म-

 जयपुर, 19 जनवरी 2024
देशी -विदेशी पक्षियों के स्वर्ग के नाम से पहचाने जाने वाला भरतपुर जिला स्थित केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान विश्व मानचित्र पर न केवल एक रामसर वेटलैंड साइट के रूप में जाना जाता है, बल्कि यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में एक विशेष पहचान स्थापित किए हुए है। चार सौ से अधिक पक्षियों की प्रजातियों का यह घर एवं यहां का प्राकृतिक वातावरण कई विलुप्त होती प्रजातियों के लिए जीवनदान बन चुका है। ऐसे में वन विभाग द्वारा विलुप्त होती प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे है।
    केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के उप वन संरक्षक श्री मानस सिंह ने बताया कि लगभग दो दशक के बाद दो मादा कृष्ण मृगों ने एक-एक शावक को जन्म दिया है। ये दोनों मादा कृष्ण मृग करौली से केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में लाये गए थे। कृष्ण मृग के शावकों का जन्म होना संरक्षण एवं संवर्धन के लिए एक बहुत बड़ी सफलता है साथ ही प्रायः यह एक क्षेत्र से विलुप्त हुई प्रजाति को दोबारा से सुरक्षित रूप से उसके प्राकृतिक परिवेश में फिर से बसाया जाने के एक सफल उदाहरण भी है। इससे यह भी सिद्ध होता है कि केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान का पारिस्थितिकी तंत्र भिन्न – भिन्न प्रकार की प्रजातियों के लिए पूर्ण रूप से अनुकूल है।
   उन्होंने बताया कि उद्यान में इन दिनो बड़ी संख्या में देशी – विदेशी पर्यटक भ्रमण करने के लिए आ रहे है। ऐसे में पक्षियों एवं अन्य वन्यजीवों के साथ कृष्ण मृग भी उनके लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र है वहीं उद्यान प्रशासन द्वारा मादा कृष्ण मृग एवं शावकों पर पूरी तरह निगरानी रखी जा रही है।