जरुरतमंद की सेवा करने पर मिलता आत्मिक आनंद

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जरुरतमंद की सेवा करने पर मिलता आत्मिक आनंद
जुलाई 22

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि सरकारी सेवा वंचितों, गरीबों के चेहरे पर मुस्कान ला कर कार्य करने के आत्मिक आनंद को प्राप्त करने का सुअवसर है। उन्होंने कहा कि भौतिक सुखों की प्राप्ति के अनेक साधन हो सकते है, लेकिन आत्मा का संतोष और आत्मिक शांति प्राप्त करने का सबसे प्रभावी तरीका जरुरतमंद की सेवा है। श्री पटेल आज राजभवन में महिला एवं बाल विकास विभाग की गतिविधियों के संबंध में जानकारी प्राप्त कर रहे राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि सरकारी योजनाओं की मंशा के अनुसार लोग लाभान्वित हो, इसके लिए योजनाओं की जमीनी सच्चाईयों की जानकारी निरंतर प्राप्त करते रहना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि क्षेत्र का व्यापक भ्रमण करें। भ्रमण से ही विभाग की योजनाओं का सही स्वरूप सामने आएगा, जो योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनानें में उपयोगी होगा। उन्होंने कहा कि वे स्वयं ग्रामीण अंचल का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक व्यक्ति को मिलें। उनको लागू करने का प्रभावी तरीका बेहतर से और अधिक बेहतर हो, इसके लिए हम सबको मिल जुलकर प्रयास करना जरुरी है। स्थानीय स्तर पर कार्य के दौरान आने वाली समस्याओं, उनके समाधान के लिए किए गये प्रयासों पर अधिकारियों को कर्मचारियों के साथ जीवंत संवाद रखना चाहिए। श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि कुपोषण की समस्या का मूल कारण किशोरी बालिकाओं और गर्भवती महिला के स्वास्थ्य के प्रति परिवार में होने वाली अनदेखी है।

कुपोषण के संबंध में विभिन्न देशों की स्थिति का अध्ययन करने वाले चिकित्सक के साथ चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि गर्भावस्था में ही महिला की स्वास्थ्य जाँच कर रक्त की कमी को दूर कर दिया जाये तो बच्चों में कुपोषण की प्रमुख समस्या एनीमिया को दूर किया जा सकता है। इसी तरह किशोरावस्था में बालिकाओं के स्वास्थ्य की उचित देख भाल भी अनेक जन्म-जात रोगों को दूर कर सकती है। उन्होंने कहा कि बालिकाएँ दो घरों को बनाती है। यह सर्वमान्य तथ्य है। इसलिए बालिका शिक्षा के कार्यों पर विशेष बल दिया जाए। प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा की स्थिति की समीक्षा कर ड्राप आऊट और पुन: अध्ययन प्रारम्भ करने के क्रम को ट्रेक किया जाना चाहिए। श्री पटेल ने अधिकारियों से कहा, जरुरी है कि विभाग की योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों को दिलाने के लिए जागृत करने के प्रयासों पर विशेष ध्यान दिया जाए। समाज के दिव्यांग, कुपोषित बच्चों के जन्म के संबंध में रुढ़ीवादी मान्यताओं को दूर करने के प्रयासों पर विशेष बल दिया जाए। विभाग के अंतिम कड़ी के कार्यकर्ताओं को स्थानीय बोलियों में योजनाओं की मंशा और उनके लाभों के प्रति जागरुक करने के कार्य किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं में समाज का सहयोग प्राप्त करने के प्रयासों को व्यापक स्तर पर प्रचारित करना चाहिए। ऐसे कार्यक्रम समाज की सोच को प्रगतिशील बनाने के साथ ही जागरुकता को भी बढ़ाते है। उन्होंने गुजरात के जनजातीय क्षेत्रों में कालीन बुनकरों के मध्य प्रचलित गीत का उल्लेख करते हुए बताया कि समुदाय की महिला द्वारा गीत की रचना की गई है जो कालीन बुनने की विधि है। बुनकर उसे गाते गाते कालीन बुन लेते है।

गीत कहानी का तरीका सूचित, शिक्षित करने प्रभावी तरीका होता है। राज्यपाल को प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास श्री अशोक शाह ने विभाग की गतिविधियों का विवरण दिया। उन्होंने विभागीय संरचना, आंगनवाड़ी, उनमें दी जाने वाली सेवाओं, पोषण आहार व्यवस्था, शाला पूर्व शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और समेकित बाल संरक्षण योजनाओं के संबंध में जानकारी दी। बताया कि प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान पर है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 32 हजार 173 आंगनवाड़ी केन्द्रों में हितग्राही के घर और शासकीय स्थानों पर पोषण आहार वाटिकाएँ और पोषण मटका के माध्यम से गंभीर कुपोषित बच्चें एवं परिवार के साथ समृद्ध परिवारों के सहयोग से 174 टन खाद्य सामग्री, फल, सब्जी, अनाज का आदान-प्रदान कर पोषण आहार व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाया गया है।