बिलासपुर 9 जून,2021- मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने परिवार नियोजन कार्यक्रम को 1952 में शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य जनसंख्य पर नियंत्रित रखना है। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा भी देता है इसके साथ-साथ मातृ/शिशु और बाल मृत्यु दर एवं रोग दर को कम करता है। इसलिए शादीशुदा दंपत्ति परिवार को नियोजित करता है।
उन्होंने बताया कि स्वयं को व परिवार को स्वस्थ रखने के लिए अपने परिवार को छोटा हेतु सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया है जिसमें उनके होने वाले बच्चों में उचित अंतर रखने व परिवार को नियोजित करने के लिए परिवार नियोजन के अस्थाई व स्थाई साधनों को स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा योग्य दंपतियों को उपलब्ध करवाए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में पुरुषों के लिए अस्थाई तरीके के तहत कंडोम उपलब्ध करवाए जाते हैं इससे यौन रोगों से भी बचाव होता है। उन्होंने बताया कि महिलाओं के लिए अस्थाई साधन जैसे गर्भ निरोधक गोलियां, माला एन, छाया गोली, काॅपर-टी 5 से 10 साल तक लगाई जाती है।
उन्होंने बताया कि महिलाओं के लिए उपयुक्त गर्भनिरोधक तरीका अंतरा इंजेक्शन प्रसव के डेढ़ महीने के बाद लगाया जाता है। काॅपर-टी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रशिक्षक डॉक्टर या स्वास्थ्य महिला कार्यकर्ता से लगवाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अंतरा इंजेक्शन को 3 महीने के अंतराल पर डॉक्टर की सलाह से कोई भी महिला लगवा सकती है।
उन्होंने बताया कि परिवार पूरा होने पर कोई भी दंपत्ति स्थाई तरीके के तौर पर पुरुष नसबंदी और महिला नलबंदी करवा सकते हैं। सरकारी अस्पतालों में परिवार नियोजन के स्थाई व अस्थाई तरीके दोनों प्रकार की सुविधाएं मुफ्त उपलब्ध करवाई जाती हैं।

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