विकास निगम द्वारा पीपीपी के तहत एक लाख क्षेत्र जल-भराव और लवणीय मिट्टी की योजना और सुधार के लिए राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया

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चण्डीगढ़, 5 अगस्त– हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण और केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल के सहयोग से हरियाणा भूमि सुधार और विकास निगम द्वारा पीपीपी के तहत एक लाख क्षेत्र जल-भराव और लवणीय मिट्टी की योजना और सुधार के लिए राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण की अध्यक्ष श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा ने कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए बताया कि माननीय मुख्यमंत्री ने राज्य में एक लाख एकड़ जल-भराव और लवणीय मिट्टी को पुनः प्राप्त करने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक प्रभावित जिले रोहतक, झज्जर, सोनीपत और चरखी दादरी। राज्य में लगभग 11 लाख एकड़ क्षेत्र जल-भराव और लवणता की समस्या से प्रभावित है, जिसमें से लगभग 1.50 लाख एकड़ अधिक  प्रभावित है।
सिंचाई और जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री देवेंद्र सिंह ने बताया कि किसान की आय को दोगुना करने के लिए जल-भराव और लवणीय क्षेत्र को समयबद्ध तरीके से पुनः प्राप्त करना आवश्यक है और खारे पानी की उचित निकासी के लिए इन जिलों से गुजरने वाले नाला संख्या 8 को बढ़ाया जाएगा।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती डॉ. सुमिता मिश्रा ने  बताया कि एक बैंक योग्य परियोजना तैयार की गई है और इसे सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा। परियोजना के अनुसार, प्रति एकड़ के सुधार की लागत औसतन 36 हजार रूपये है। उन्होंने यह भी बताया कि सब सरफेस ड्रेनेज (एस.एस.डी) तकनीक बहुत महंगी है और हमें कम लागत वाली स्वदेशी तकनीक पर भी जोर देना चाहिए। उन्होंने इस उद्देश्य के लिए सी.सी.एस.एच.एयू हिसार को शामिल करने की भी सलाह दी। उन्होंने इस व्यापक सर्वेक्षण को चार से छह सप्ताह के भीतर पूरा करने का भी आदेश दिया और एनआईसी के साथ स्थायी रूप से डाटा हासिल करने के लिए एक पोर्टल विकसित करने को कहा।
हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण के सी.ई.ओ डॉ. सतबीर सिंह कादियान ने उपरोक्त चार जिलों से गुजरने वाले नाले संख्या 8 की स्थिति के बारे में बताया और यह सुनिश्चित किया कि जल्द ही इस नाले की मरम्मत की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि इन जिलों के बाढ़ वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से मानसून के महीनों के दौरान बड़े पैमाने पर डी-वाटरिंग की जा रही है
इस अवसर कार्यशाला में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक डॉ. हरदीप सिंह, एच.एल.आर.डी.सी के एमडी श्री राजीव रतन, सी.एस.एस.आर.आई करनाल के निदेशक डॉ. पी.सी. शर्मा, नाबार्ड के महाप्रबंधक श्री विजय कुमार ने भी अपने विचार रखें।