सहकारी चीनी मिल में गन्ने के अवशेषों से जैव इंधन के उत्पादन के लिए एक पायलट परियोजना तैयार

Dr. Banwari lal

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चण्डीगढ़, 4 नवम्बर- हरियाणा ने पर्यावरण में प्रदूषण कम करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए कैथल सहकारी चीनी मिल में गन्ने के अवशेषों से जैव इंधन के उत्पादन के लिए एक पायलट परियोजना तैयार की है।

सहकारिता मंत्री डा0 बनवारी लाल ने बताया कि इस प्लांट में जैव इंधन उत्पादन होने से न केवल गन्ने के अधीन रकबे में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा। उन्होंने बताया कि प्लांट में गन्ने की पिराई के बाद खोई का उपयोग जैव फ्यूल के उत्पादन से अपशिष्ट को कम करने और स्टबल बर्निंग के लिए एक क्लीनर विकल्प प्रदान करेगा।

यह प्रक्रिया गत्ता बनाने के लिए भी उपयोग की जाएगी, जिसके सडऩे से ईंधन और जैविक खाद बनाई जाएगी। इस प्रकार, मिलों में और आसपास के लोगों के लिए बेहतर परिवेश सुनिश्चित होगा, जबकि बायो फ्यूल ब्रिकेट और बायोगैस का इस्तेमाल घरों में कोयले और तारकोल के विकल्प के रूप में किया जा सकता है । बायोगैस को बायो-सीएनजी में भी परिवर्तित किया जा सकता है।

डॉ बनवारी लाल ने कहा कि संयंत्र के लिए प्रसंस्करण उपकरण पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना और सीसीएस हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के परामर्श से 35 लाख रुपये की लागत से बनाया गया है। उन्होंने कहा कि मशीन उपकरण की कीमत बायोफ्यूल के उत्पादन के तीन महीने के अन्दर पूरी हो जाएगी और इसके बाद यह लाभ अर्जित करना शुरू कर देगा।

उन्होंने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद बायोफ्यूल उत्पादन के संचालन को अन्य चीनी मिलों तक बढ़ाया जाएगा। राष्ट्रीय चीनी संस्थान, कानपुर इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करेगा।