बहुकरोड़ी वजीफा घोटाला – -धर्मसोत के विरुद्ध ‘आप’ ने किया जिला-स्तरीय रोष प्रदर्शन 

aap protest

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-होनहार दलित बच्चों के दोषी धर्मसोत को बचा रहे हैं मुख्यमंत्री – ‘आप’

नाभा, 4 सितम्बर 2020
आम आदमी पार्टी (आप) ने शुक्रवार को यहां डिप्टी कमिश्नर दफ्तर के समक्ष रोष प्रदर्शन करते हुए वजीफा घोटाले में फंसे कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को तुरंत बर्खास्त करके मंत्री और पूरे वजीफा घोटाला गिरोह के खिलाफ फौजदारी मामला दर्ज करने की मांग की।
रोष धरने का नेतृत्व पार्टी के सीनियर नेतागणों में विपक्ष की उप नेता बीबी सरबजीत कौर माणूके, गुरदेव सिंह देव मान, अनमोल गगन मान, चेतन जौड़ेमाजरा, ज्ञान सिंह मूंगो, नीना मित्तल, जस्सी सोहियां, कुंदन गोगिया, नरिन्दर शर्मा, जेपी सिंह, प्रीति मल्होत्रा, इंद्रजीत संधू, दविन्दर सिंह, बलविन्दर सिंह झाड़वा, गुरजंट सिंह महदूदा, मेघ चंद सेरमाजरा, गुरप्रीत गोपी, सुख घूमण, विक्ककी भादसों, भुपिन्दर अलीपुर, कुलदीप रामगड़, राजू वर्मा, जगजीत कौर जवन्धा के नेतृत्व में आयोजित रोष धरने के दौरान कांग्रेस सरकार के विरुद्ध जोरदार नारेबाजी की और साधु सिंह धर्मसोत के साथ मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह के पुतले फूंके। इस उपरांत पंजाब के राज्यपाल के नाम जिला प्रशासन को मांग पत्र सौंपा गया।
‘आप’ नेताओं ने कहा कि धर्मसोत लाखों होनहार दलित विद्यार्थियों के भविष्य का हत्यारा है। धर्मसोत के खिलाफ अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा जितने दस्तावेजी सबूतों के साथ सरकार को जांच रिपोर्ट सौंपी है, उसकी गंभीरता को देखते हुए इस भ्रष्ट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को पांच मिनटों में मंत्रिमंडल से बर्खास्त करके फौजदारी मुकद्दमा दर्ज कर लिया जाना चाहिए था।
‘आप’ नेताओं ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि वह दलित विद्यार्थियों की वजीफा स्कीम में सीधा 63.91 करोड़ रुपए हड़पने वाले अपने भ्रष्ट मंत्री (धर्मसोत) को बर्खास्त करने से बचाने के लिए सभी नैतिक और प्रशासनिक हदें लांघ रहे है।
‘आप’ नेताओं ने कहा कि घोटाला जनतक होने के 10 दिन बीत जाने के बावजूद कांग्रेस हाईकमान और मुख्य मंत्री अमरिन्दर सिंह अपने भ्रष्ट परंतु ‘कमाऊ पुत्र’ को बचाने के लिए जल्दीबाजी में हैं।
‘आप’ नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा इस वजीफा घोटाले की विभागीय जांच 2 अधिकारियों को सौंपे जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जांच कोई भी एजैंसी करे परंतु जांच माननीय हाईकोर्ट के मौजूदा जजों की निगरानी में समयबद्ध हो और इस जांच का दायरा 2012-13 तक बढ़ाया जाए, क्योंकि बादलों की सरकार के समय भी पोस्ट मैट्रिक स्कालर्शिप स्कीम में अरबों रूपए की गड़बड़ी हुई है।