शिरोमणी अकाली दल द्वारा भारत निर्वाचन आयोग से कांग्रेस सरकार को राजनीतिक बदलाखोरी में शामिल होने से रोकने और नियमित डी.जी.पी की नियुक्ति की मांग

DALJIT CHEEMA
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डॉदलजीत सिंह चीमा ने एसचटटोपाध्याय को चार दिनों की अवधि के लिए कार्यवाहक डी.जी.पी नियुक्त करने के तर्क पर सवाल उठाया

 चंडीगढ़ 18दिसंबर 2021

शिरोमणी अकाली दल ने आज भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से राज्य में नियमित डी.जी.पी नियुक्ति की मांग के अलावा कांग्रेस सरकार को किसी भी तरह के राजनीतिक बदलाखोरी में शामिल होने से रोकने की अपील की है।

यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि पार्टी भारत निर्वाचन आयोग से यह अपील कर रही है, क्योंकि कांग्रेस सरकार, शिरोमणी अकाली दल के खिलाफ पुलिस प्रशासन में तदर्थनियुक्तियों में बदलाव करने पर तुली हुई है।

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‘‘ कांग्रेस सरकार ने मौजूदा आईपीएस सहोता की जगह एस. चटटोपाध्याय को 16 दिसंबर की आधी रात में नए कार्यवाहक डी.जी.पी के रूप में नियुक्त किया, क्योंकि वह पत्र बाहर आ गया था जिसमें जिसमें अकाली दल अध्यक्ष स. सुखबीर सिंह बादल तथा स. बिक्रम सिंह मजीठिया सहित शीर्ष नेताओं को झूठे मामलों में फंसाने के  कांग्रेस सरकार के संकल्प पर सवाल उठाया गया। यह नियुक्ति इस तथ्य के बावजूद की गई कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) 21 दिसंबर को नियमित डी.जी.पी की नियुक्ति के बारे में निर्णय लेने वाला है और श्री चटटोपध्याय शीर्ष पद के लिए विचार के लिए चुने गए उम्मीदवारों में से भी नही हैं।

डॉ. चीमा ने कांग्रेस सरकार से यह बताने के लिए कहा कि श्री चटटोपध्याय को चार दिनों के लिए नियुक्त करने की तत्काल आवश्यकता क्या थी।‘‘ यह नियुक्ति इस परिकल्पना को मजबूत करती है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू लंबे समय से इस अधिकारी की नियुक्ति का समर्थन कर रहे हैं, इस नियुक्ति के पीछे हैं। यह भी साफ है कि अधिकारी को कांग्रेस पार्टी के एजेंडे को लागू करने के लिए कार्यवाहक डीजीपी का प्रभार दिया गया है। उन्होने श्री चटटोपध्याय के अतीत के बारे में भी विवरण दिया, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है उन्होने पहले भी बादल परिवार को एक आय से अधिक संपति के एक कथित मामले में फंसाने की कोशिश की थी, जिसमें परिवार को बरी कर दिया गया था। उन्होने कहा कि अधिकारी के अन्य विवादों में उनके सहयोगियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने जिसमें एक आत्महत्या मामले में उनका नाम शामिल है।

यह कहते हुए कि यह तदर्थ जानबूझकर शीर्ष अधिकारियों को एक तरफ करने और अकाली नेतृत्व के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर करने के लिए बनाया गया था।डॉ. चीमा ने कहा कि पहले जांच ब्यूरो (बीओआई) के दो प्रमुखों को बदल दिया गया था, क्योंकि उन्होने इस बदलाखोरी की राजनीति में कार्रवाई करने से इंकार कर दिया था। ‘‘ अब बीओआई के तीसरे प्रमुख-एस के अस्थाना को एक पत्र लिखने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिसमें स. बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई के औचित्य पर सवाल उठाया गया है। अब ऐसा लगता है कि गृहमंत्री सुखजिंदर रंधावा  एसएसपी और डीजीपी की शक्तियां लेकर अकाली लीडरशीप के खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर लें।

भारत निर्वाचन आयोग से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए डॉ. चीमा ने कहा ,‘‘ इससे पहले भी भारत निर्वाचन आयोग ने 2019 में हस्तक्षेप किया था और पंजाब सरकार से तत्कालीन आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह को उनके पद से मुक्त करने और उन्हे चुनावी प्रक्रिया से जुड़ी कोई जिम्मेदारी नही देने के लिए कहा था’’।उन्होने कहा कि बाद में उच्च न्यायालय ने पुलिस अधिकारी द्वारा की गई जांच को रदद करके  शीर्ष अकाली लीडरशीप को झूठे मामलों में फंसाने की कांग्रेस की साजिश का पर्दाफाश किया था, जिसके कारण पुलिस अधिकारी को इस्तीफा देना पड़ा था। ‘‘ हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी पंजाब सरकार से बदलाखोरी की राजनीति को कोर्ट में नही लाने