जहरीली खांसी की दवाई पर सतर्क हुआ हरियाणा का स्वास्थ्य विभाग

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स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने दिए कड़े निर्देश

सीडीएससीओ द्वारा सिरप में खतरनाक केमिकल मिलने के बाद राज्यभर में बढ़ाई गई क्वालिटी निगरानी

संदिग्ध बैच की सैम्पलिंग और ज़ब्ती प्रक्रिया तेज़।

चंडीगढ़ , 12 नवंबर 2025

सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) द्वारा खांसी की दवाई  “प्लानोकूफ डी सिरप (Planokuf D Syrup)” में जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) पाए जाने के बाद हरियाणा में दवा सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है। इस गंभीर मामले पर हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने तुरंत संज्ञान लेते हुए प्रदेश में सख़्त मॉनिटरिंग और क्वालिटी चेक के निर्देश दिए हैं।

सीडीएससीओ (CDSCO)  की रिपोर्ट के अनुसार, दवाई के एक बैच (No. R25053101) में डीईजी (DEG) की मात्रा 0.35% पाई गई है, जबकि मानक सीमा 0.1% से अधिक नहीं होनी चाहिए। डीईजी एक अत्यंत विषैला रसायन है, जो शरीर में जहर फैलाने, किडनी फेल होने, तंत्रिका तंत्र प्रभावित होने तथा मृत्यु तक का कारण बन सकता है, विशेष रूप से बच्चों में इसका खतरा अधिक है।

रिपोर्ट मिलते ही हरियाणा के राज्य दवा नियंत्रक (State Drugs Controller) डॉ ललित कुमार गोयल ने सभी ड्रग कंट्रोल ऑफिसरों को अत्यंत आवश्यक ( Most Urgent) अलर्ट जारी किया। आदेश में निर्देश दिए गए कि संबंधित बैच की तत्काल सैम्पलिंग, जांच और स्टॉक मिलने पर उसकी ज़ब्ती सुनिश्चित की जाए।

स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने कहा कि राज्य में किसी भी नागरिक की सेहत से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संदिग्ध दवाओं पर तुरंत कार्रवाई की जाए और सप्लाई चैन पर पूरी निगरानी रखी जाए।

स्वास्थ्य मंत्री ने विभाग को निर्देश दिए कि राज्य में दवाइयों की गुणवत्ता पर ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई जाए और किसी भी लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

राज्य दवा नियंत्रक डॉ ललित कुमार गोयल ने  बताया कि सभी एलोपैथिक और आयुर्वेदिक दवा निर्माण इकाइयों को निर्देश जारी किए गए हैं कि जिस रसायन प्रोपिलीन ग्लाइकोल (PG) का उपयोग सिरप सहित कई तरल दवाइयों में होता है, उसका हर बैच प्रयोग से पहले गैस क्रोमैटोग्राफी टेस्ट (Gas Chromatography Test) से जांचना अनिवार्य होगा।

उन्होंने बताया कि बिना लाइसेंस वाले व्यापारियों से प्रोपिलीन ग्लाइकॉल खरीदने पर प्रतिबंध रहेगा तथा किसी भी दवा के निर्माण से पहले परीक्षण रिपोर्ट अनिवार्य होगी। उन्होंने तैयार दवाइयों के कण्ट्रोल सैंपल  (control sample की समय-समय पर जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी संग्रहित नियंत्रण नमूनों (retained sample) में भी डीईजी /ईजी मिलता है, तो उत्पाद का तुरंत रिकॉल करना होगा।

क्यों ज़रूरी है यह सतर्कता?

हाल के वर्षों में डीईजी  जैसे रसायन की मिलावट से देश में कई गंभीर घटनाएँ सामने आई हैं। इस प्रकार की अशुद्धि जानलेवा साबित हो सकती है। इसीलिए हरियाणा सरकार अब दवा सुरक्षा पर कठोर एवं चरणबद्ध नीति लागू कर रही है।

संदिग्ध सिरप की पहचान के बाद सीडीएससीओ (CDSCO) और हरियाणा स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त कार्रवाई से यह स्पष्ट संदेश गया है कि प्रदेश में दवाइयों की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव के निर्देशों के बाद हरियाणा अब देश में दवा गुणवत्ता निगरानी को लेकर अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है।