ई-ट्रैक्टर पर अनुसंधान करने वाला पहला विश्वविद्यालय बना एचएयूः- एचएयू वैज्ञानिकों ने विकसित किया ई-टैक्टर

Sorry, this news is not available in your requested language. Please see here.

चण्डीगढ़, 17 अक्तूबर– चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर पर अनुसंधान करने वाला देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय बन गया है। विश्वविद्यालय के कृषि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज ने इस ई-ट्रैक्टर को तैयार किया है। यह टैक्टर 16.2 किलोवाट की बैटरी से चलता है और डीजल  ट्रैक्टर  की तुलना में इसकी संचालन लागत बहुत कम है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने बताया कि यह ई-ट्रैक्टर 23.17 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चल सकता है व 1.5 टन वजन के ट्रेलर के साथ 80 किलोमीटर तक का सफर कर सकता है। इस ट्रैक्टर के प्रयोग से किसानों की आमदनी में इजाफा भी होगा। यह अनुसंधान उपलब्धि कृषि मशीनरी और फार्म इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक एवं वर्तमान निदेशक, उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी परीक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, हिसार डॉ. मुकेश जैन के मार्गदर्शन में प्राप्त की गई है।
इस अवसर पर कुलपति ने वैज्ञानिकों की इस नई खोज की प्रशंसा की और भविष्य में इसी प्रकार किसान हितैषी अनुसंधान करने पर जोर दिया जाएगा।
 ट्रैक्टर की ये है खासियत

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में विभिन्न स्नातकोत्तर कोर्सों में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा 28 अगस्त और 19 सितंबर को आयोजित की जाएगी


विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि ई-ट्रैक्टर के परफॉर्मन्स की बात की जाए तो इसमें 16.2 किलोवाट आवर की लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल किया गया। इस बैटरी को 09 घंटे में फुल चार्ज किया जा सकता है। इस दौरान 19 से 20 यूनिट बिजली की खपत होती है। उनके अनुसार ट्रैक्टर 1.5 टन वजन के ट्रेलर के साथ 80 किलोमीटर तक का सफर कर सकता है। इसमें फास्ट चार्जिंग का भी विकल्प उपलब्ध है जिसकी मदद से ट्रैक्टर की बैटरी महज 4 घंटे में चार्ज कर सकते हैं। टै्रक्टर में शानदार 77 प्रतिशत का ड्राबार पुल है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर के संचालन की लागत के हिसाब से यह डीजल ट्रैक्टर के मुकाबले में 32 प्रतिशत और 25.72 प्रतिशत तक सस्ता है। ट्रैक्टर में कंपन और शोर की बात की जाए तो इसमें 52 प्रतिशत कम्पन और 20.52 प्रतिशत शोर बीआईएस कोड की अधिकतम अनुमेय सीमा से कम पाया गया। ट्रैक्टर में ऑपरेटर के पास इंजन ना होने के कारण तपिश भी पैदा नही होती जो ऑपरेटर के लिए बिलकुल आरामदायक साबित होगा। उनके अनुसार डीजल के बढ़ते हुए दामों को देखते हुए यह ट्रैक्टर किसानों के लिए काफी किफायती साबित होगा जिससे उनकी आमदनी में भी इजाफा होगा।
इस अवसर पर श्री एम. एल. मेहता, पूर्व निदेशक, केन्द्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान, बुदनी तथा श्री विकास गोयल, बैटरी चालित ट्रैक्टर के निर्माता भी उपस्थित थे। विश्वविद्यालय की ओर से डॉ. अमरजीत कालरा, डीन इंजीनियरिंग कॉलेज, डॉ. एस. के. सहरावत, निदेशक अनुसंधान, डॉ. अतुल ढींगरा, डीन पी.जी.एस और डॉ. विजया रानी, कृषि मशीनरी और पावर इंजीनियरिंग विभाग ने बैटरी से चलने वाला ट्रैक्टर के विकास की सराहना की।