एंड टू एंड कम्प्यूट्रीकरण के द्वारा खाद्य सामग्री वितरण के दौरान नहीं हुई एक भी दाने की हेराफेरी-आशु

सुखबीर बादल द्वारा की गई सी.बी.आई. जांच की माँग बेतुकी करार
केंद्र सरकार द्वारा पंजाब को दाल की आपूर्ति में की गई देरी और मानवीय प्रयोग के लायक दाल न होना, वितरण में हुई देरी का बड़ा कारण
चंडीगढ़, 24 मई:
कोविड-19 के कारण पैदा हुई स्थिति के कारण केंद्र सरकार द्वारा पंजाब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अधीन पी.एम.जी.के.ए.वाई. योजना के अंतर्गत आने वाले लाभार्थीयों को दिए जा रहे अनाज और दाल के वितरण के दौरान राज्य की कैप्टन सरकार द्वारा लागू एंड टू एंड कम्प्यूट्रीकरण के स्वरूप खाद्य सामग्री वितरण के दौरान एक भी दाने की हेराफेरी नहीं हुई। उक्त खुलासा आज यहाँ पंजाब के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री भारत भूषण आशु ने किया।
श्री आशु ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल द्वारा बीते कल फिरोज़पुर में अनाज वितरण के दौरान गड़बड़ी के दोष लगाते हुए की गई सी.बी.आई. जांच की माँग को बेतुकी और शोहरत हासिल करने का एक जऱीया करार देते हुए कहा कि अनाज वितरण के दौरान सरकार की हिदायतों का यथावत पालना की गई है और इस वितरण में कांग्रेस पार्टी के किसी वर्कर या नेता की कोई भूमिका नहीं थी।
सुखबीर बादल द्वारा अनाज वितरण में हो रही देरी और उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए श्री आशु ने कहा कि केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर दाल की डिलीवरी जल्द से जल्द करने के लिए 1 अप्रैल, 2020 को विनती की गई थी, जबकि राज्य को अलॉट किया गया अनाज पंजाब सरकार ने एफ.सी.आई. के साथ तालमेल करके तुरंत जारी कर दिया था। उन्होंने कहा कि देरी की असली वजह केंद्र सरकार की एजेंसी नेफेड द्वारा पंजाब को दाल की आपूर्ति में की गई देरी और मानवीय प्रयोग के लायक दाल न होना है। उन्होंने कहा कि मोहाली जि़ले समेत राज्य के बहुत से जि़लों में नेफेड और उसकी एजेंसियों द्वारा मानवीय प्रयोग के योग्य दाल आपूर्ति करने की शिकायता प्राप्त हुई थी और कई स्थानों पर दाल के आए हुए ट्रक वापस भी भेजे गए। उन्होंने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि दाल की पहली खेप 13 अप्रैल, 2020 को प्राप्त हुई थी, जो कि 42 मीट्रिक टन थी और इस सबके बावजूद विभाग ने अप्रैल 2020 को राज्य के 22 में से 18 जिलों में वितरण शुरू कर दिया था और 30 अप्रैल तक राज्य को सिर्फ 2646 मीट्रिक टन दाल प्राप्त हुई थी और राज्य के सभी जि़लों में वितरण शुरू कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि पटियाला में प्राप्त कुल दाल में से 45 मीट्रिक टन दाल घटिया गुणवत्ता के कारण वापस भेजी गई। इसी तरह मोहाली जि़ले में मानवीय प्रयोग के योग्य न होने के कारण और दाल में बड़ी मात्रा में कबूतरों की बीठों के कारण वापस भेजा गया। इसके अलावा जालंधर में प्राप्त 28 मीट्रिक टन दाल में मिट्टी धूल की मात्रा तय मापदण्डों से बहुत ज्यादा थी। खाद्य मंत्री ने कहा कि पंजाब राज्य को 10800 मीट्रिक टन दाल अलॉट हुई थी और आज तक 10427.5 टन दाल ही प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि दाल की डिलीवरी की धीमी रफ़्तार और घटिया गुणवत्ता सम्बन्धी केंद्र सरकार को 9 मई, 2020 को सख़्त शब्दों में पत्र लिखकर पंजाब राज्य की बकाया 50 फीसदी दाल पंजाब को जल्द भेजने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि वितरण का कार्य 31 मई 2020 तक मुकम्मल कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इन कठिनाईयों के बावजूद पंजाब सरकार ने राज्य के 55 प्रतिशत से अधिक लाभार्थीयों को गेहूँ और दाल का वितरण कर दिया है और इस सम्बन्धी पूरी जानकारी स्टेट ईपोस पोर्टल पर उपलब्ध है।
श्री आशु ने बताया कि पंजाब राज्य के रूपनगर जि़ले में 84 प्रतिशत, फतेहगढ़ साहिब में 81 प्रतिशत, लुधियाना में 79 प्रतिशत, फरीदकोट में 76 प्रतिशत, शहीद भगत सिंह नगर में 71 प्रतिशत, जालंधर में 70 प्रतिशत, मानसा और कपूरथला में 69 प्रतिशत अनाज का वितरण किया जा चुका है।
खाद्य मंत्री ने अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल को सवाल करते हुए कहा कि उन्होंने एक बार भी केंद्र की अपनी सहयोगी सरकार के समक्ष यह मुद्दा नहीं उठाया, जिससे पंजाब के प्रति उनके लगाव का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
श्री आशु ने कहा कि सुखबीर सिंह बादल पंजाब के लोगों को इस बात का भी जवाब दें कि केंद्र सरकार द्वारा 2012-17 के लिए लागू हुए 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत सार्वजनिक वितरण प्रणाली कार्य को एंड टू एंड कम्प्यूट्रीकरण करने के लिए भेजी गई केंद्रीय राशि का प्रयोग अकाली भाजपा सरकार द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान क्यों नहीं किया गया और सार्वजनिक वितरण प्रणाली व्यवस्था का कम्प्यूट्रीकरण क्यों नहीं किया गया। इस कार्य अधीन सार्वजनिक वितरण प्रणाली अधीन वितरण किए जाने वाले राशन की प्रक्रिया का आधार कार्ड आधारित कम्प्यूट्रीकरण किया जाना था, जिसमें गोदाम से लेकर लाभार्थीयों को अनाज मिलने तक का रिकॉर्ड दर्ज होना था।
उन्होंने कहा कि 2017 में पंजाब में सत्ता संभालते ही कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने एंड टू एंड कम्प्यूट्रीकरण करवाया, जो कि हमारी सरकार का भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था देने के लिए एक बड़ा और रचनात्मक कदम था।
श्री आशु ने सुखबीर बादल को कहा कि यदि उनको सचमुच पंजाब से लगाव है तो सबसे पहले अकाली भाजपा सरकार के समय पर हुए 31 हज़ार करोड़ रुपए के घोटाले की सी.बी.आई. जांच की माँग करें।