हरसिमरत कौर बादल द्वारा सामाजिक न्याय मंत्री से कांग्रेसी मंत्री साधु सिंह धर्मसोत द्वारा किए गए अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश करने की अपील

Harsimrat Kaur badal

कहा कि 63 करोड़ रूपये की वसूली और उन्हे वास्तविक लाभार्थियों को वितरित करने के लिए सीबीआई जांच आवश्यक

केंद्र से हस्तक्षेप करने और दलित छात्रों को दस महीने से अनुसूचित जाति कल्याण मंत्रालय के पास पडे 309 करोड़ रूपये वितरित करने को कहा

चंडीगढ़/29अगस्त: केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने आज केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत से पंजाब अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग मंत्री साधु सिंह धर्मसोत द्वारा किए गए 63 करोड़ रूपये के घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश करने का अनुरोध किया है।

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ने श्री गहलोत को लिखे एक पत्र में कहा है कि मंत्री के कहने पर गबन की गई धनराशि की वसूली के लिए सीबीआई जांच जरूरी है ताकि उन्हे वास्तविक लाभार्थियों को वितरित किया जा सके। उन्होने यह भी अनुरोध किया कि चूंकि कांग्रेस सरकार लाभार्थियों को वास्तविक तरीके से अनुसचित जाति छात्रवृत्ति फंड वितरित करने में स्पष्ट रूप से विफल रही है, इसीलिए केंद्र इस मामले की जांच लंबित होने तक इस जिम्मेदारी ले सकता है।

श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री से इस मामले की सीबीआई जांच के लिए गृह मंत्रालय को अग्रेषित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि अपराध के अलावा यह घोटाला पंजाब के अनुसूचित जाति समुदाय के खिलाफ अत्याचार करने के के लिए है। उन्होने कहा कि घोटालेबाज राज्य के दलित छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं। ‘इसके अलावा इस मुददे का व्यापक असर है और घोटाले का दायरा जांच रिपोर्ट में उजागर हुई बातों से कही अधिक हो सकता है।

इस बारे अन्य जानकारी देते हुए श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को 63.91 करोड़ रूपये के घोटाले के बारे अतिरिक्त मुख्य सचिव ने दोषी ठहराया था। उन्होने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार 39 करोड़ रूपये की राशि का दुरूपयोग किया गया जिसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नही था। उन्होने कहा कि मंत्री पर निजी शिक्षण संस्थानों को 24 करोड़ रूपये वितरित करने का आरोप था, जिनके खिलाफ सरकार ने वसूली का आदेश दिया था।

श्रीमती बादल ने कहा कि सिर्फ इतना ही नही ‘रिपोर्ट के अनुसार मंत्री ने विभागीय प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए फाइलों पर हस्ताक्षर किए और यहां तक कि प्रमुख सचिव द्वारा की आपत्तियों को भी फाइल से हटा दिया गया। वरिष्ठ अफसरशाह ने इस मामले में डिप्टी डॉयरेक्टर के साथ मंत्री को भी दोषी ठहराया है। डिप्टी डॉयरेक्टर- परमिंदर सिंह गिल को पिछले तीन साल भी एससी छात्रवृत्ति के वितरण में विसंगतियों के मामले में निलंबित कर दिया गया था, लेकिन साधु सिंह धर्मसोत के कहने पर उनका निलंबन रदद कर दिया गया था।

केंद्रीय मंत्री ने पत्र में यह भी बताया कि हाल ही में मंत्री धर्मसोत ने एससी छात्रवृत्ति योजना के तहत दस माह से केंद्र से प्राप्त 309 करोड़ रूपये वितरित नही करने की घोषणा की थी’।ऐसा लगता है कि मंत्री अपनी मर्जी और सोच विचार के अनुसार इस राशि का वितरण करना चाहते हैं, और विभागीय प्रमुख द्वारा ऐसा करने से नाकाम कर दिया है। इससे अनुसूचित जाति के छात्रों को लंबे समय से परेशानी हो रही है, जिनमें से हजारों को निजी कॉलेजों द्वारा डिग्री नही दी जा रही है क्योंकि उनकी छात्रवृत्ति की राशि बाद तक नही मिली है। श्रीमती बादल ने सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री से कहा , ये धनराशि केंद्रीय हस्तक्षेप के बाद लाभार्थियों में वितरित की जानी चाहिए।

उन्होने यह भी खुलासा किया कि हालांकि इस घोटाले को कुछ दिनों से जनता के बीच में लाया गया था, लेकिन पंजाब सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई नही की थी। उन्होने कहा कि मुख्य सचिव के प्रमुख सचिव द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि डिप्टी डॉयरेक्टर को नोटिस जारी कर अवैध रूप से लेखा जोखा के बारे में बताया था लेकिन बाद में दो महीने तक कोई जवाब नही मिला। ‘इससे संकेत मिलता है कि अधिकारी को मंत्री का समर्थन प्राप्त है। शिरोमणी अकाली दल ने मंत्री को बर्खास्त करने के साथ साथ उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है, लेकिन सरकार ने इस घोटाले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के सभी प्रयासों को विफल कर रही है। उन्हाने मंत्री को बताय कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इस मामले में कोई कार्रवाई करने से इंकार कर दिया था।