पश्चिमी जमुना नहर (डब्ल्यूजेसी) कैरियर सिस्टमके मेन ऑफ-टेक्स का पुनरोद्धार करने के लिए 3251 करोड़ रुपये की परियोजनाएं तैयार की

मुख्यमंत्री ने ऑनलाइन एडमिशन पोर्टल किया लॉन्च

पश्चिमी जमुना नहर (डब्ल्यूजेसी) कैरियर सिस्टमके मेन ऑफ-टेक्स का पुनरोद्धार करने के लिए 3251 करोड़ रुपये की परियोजनाएं तैयार की

चंडीगढ़, 28 जुलाई- हरियाणा के सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने पश्चिमी जमुना नहर (डब्ल्यूजेसी) कैरियर सिस्टम अर्थात सिरसा शाखा, हांसी शाखा, जेएलएन फीडर, भालौट शाखा, दिल्ली शाखा और गुरुग्राम जल आपूर्ति चैनल के मेन ऑफ-टेक्स का पुनरोद्धार करने के लिए 3251 करोड़ रुपये की परियोजनाएं तैयार की हैं। मुख्य वाहक प्रणाली और उसके मुख्य ऑफ-टेक्स के पुनरोद्धार के बाद, मानसून अवधि के दौरान राज्य को लगभग 4800 क्यूसेक अतिरिक्त पानी उपलब्ध होगा।

        यह जानकारी आज मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक में दी गई। उन्होंने इस परियोजना के निष्पादन के लिए विभाग को एक समयबद्ध कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए।

        इस दौरान बताया गया कि 210 करोड़ रुपये की लागत से पश्चिमी जमुना नहर कैरियर सिस्टम के पुनरोद्धार के बाद मानसून अवधि के दौरान अधिकतम उपलब्ध पानी का उपयोग करने के लिए हमीदा हेड से मुनक हेड तक 3700 क्यूसेक की अतिरिक्तक्षमता बढ़ाई गई है। इसके अलावा, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, चरखी दादरी, भिवानी और झज्जर जिलों में लिफ्ट सिंचाई प्रणाली के विभिन्न पंपों, मोटरों और अन्य सहायक उपकरणों को बदलने और उनके पुनरोद्धार पर लगभग 200 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा रही है। पूर्ण पुनरोद्धार के बाद, लगभग 2100 क्यूसेक की उठान क्षमता बहाल हो जाएगी। यह पूरी परियोजना 31 दिसंबर, 2020 तक पूरी हो जाएगी।

        श्री मनोहर लाल ने प्रदेश में उपलब्ध पानी के इष्टतम उपयोग के लिए सूक्ष्म सिंचाई विधि अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया और विभाग को राज्य के कुल 15,404 रजवाहों में से बिना लाइनिंग वाले लगभग 6000 रजवाहों की लाइनिंग के लिए 10 वर्ष की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सिंचाई अंतर को पाटने हेतु प्रोत्साहन योजना (आईएसबीआईजी) के तहत केंद्र सरकार से धनराशि प्राप्त करने के प्रयास किए जाएंगे।

        मुख्यमंत्री ने पुलों का मरम्मत कार्य भी प्राथमिकता आधार पर पूरा करने के निर्देश दिए। विभाग ने हाल ही में राज्य में विभिन्न नहरों और ड्रेनेज नेटवर्क पर सभी 12,631 पुलों का सर्वेक्षण करने उपरांत पाया है कि 1754 पुलों को मामूली या मुख्य मरम्मत की आवश्यकता है।

        बैठक के दौरान बताया गया कि सूक्ष्म सिंचाई कोष के तहत नाबार्ड से 162 आउटलेट्स की समुदाय आधारित सूक्ष्म सिंचाई की 2 परियोजनाओं को मंजूरी मिल गई है और बहुत जल्द इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा, 500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से मौजूदा 35 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) के ट्रीटेड वेस्ट वाटर का उपयोग करने के लिए हरियाणा के विभिन्न जिलों में ऑन-फार्म सूक्ष्म सिंचाई के साथ समुदाय आधारित समेकित सूक्ष्म सिंचाई की एक परियोजना को सूक्ष्म सिंचाई कोष के तहत नाबार्ड से स्वीकृति प्रदान की गई है। श्री मनोहर लाल ने इन योजनाओं को दो वर्षों की लक्षित अवधि के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं ताकि नालों में बहने वाले उपचारित पानी की एक-एक बूंद का उपयोग सिंचाई के लिए किया जा सके।

        इस दौरान यह भी बताया गया कि प्रदेश में पिछले 6 वर्षों के दौरान 1638 करोड़ रुपये की लागत से 327 चैनलों का पुनरोद्धार किया गया है। इसके अलावा, 641.45 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 196 चैनलों पर कार्य चल रहा है।

        बैठक में बताया गया कि सिंचाई के उद्देश्यों के लिए गांवों में तालाबों के बेहतर  उपयोग के लिए विभिन्न जिलों में 18 मॉडल तालाब विकसित किए जाएंगे। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, कमांड एरिया विकास प्राधिकरण तथा विकास एवं पंचायत विभाग संयुक्त रूप से जनवरी, 2021 तक इन मॉडल तालाबों को विकसित करेंगे।

        इस दौरान यह भी जानकारी दी गई कि राज्य सरकार ने ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत बाढ़ संभावित तथा पानी के दबाव वाले खंडों में गिरते भूजल स्तर को ऊपर उठाने के लिए 1000 रिचार्जिंग कुओं का निर्माण करने का फैसला किया है। ऐसे 300 ढांचों पर काम शुरू हो गया है और अन्य 700 पर भी जल्द ही कार्य शुरू हो जाएगा।

        बैठक में नांगल चौधरी से विधायक श्री अभय सिंह यादव, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री देवेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री की उप-प्रधान सचिव सुश्री आशिमा बराड़, विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ श्री बीरेंद्र सिंह तथा चीफ इंजीनियर श्री संदीप बिश्नोई समेत राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।