राजस्थान सरकार की अनूठी पहल से घर में ही मिल सकेगी औषधीय पौधों से उपचार की सुविधा

जन स्वास्थ्य का मूल मंत्र बनेगी घर-घर औषधि योजना

-राजस्थान सरकार की अनूठी पहल से घर में ही मिल सकेगी औषधीय पौधों से उपचार की सुविधा

 

जयपुर 19 अगस्त, 2021

 

बीमार होने पर लोग क्या करते हैं? इस सवाल का अधिकांश लोग जवाब यही देंगे कि उपचार। कुछ यह भी कह सकते हैं कि उपचार के साथ-साथ भविष्य में बीमार ना हों, इसके लिए सावधानी बरत सकते हैं। पर बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो ये कहेंगे कि क्यों ना उपचार पेटिका के रूप में औषधीय पौधों को ही घर पर लाया जाए।

ऐसा होना संभव हुआ है राजस्थान सरकार और मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की उस पहल से, जिसके तहत प्रदेश के घर-घर में औषधीय पौधे उगाए जाएंगे। लगातार दूसरे साल कोराना महामारी में जिन लोगों ने अपनों को खोया या जिनके परिजन बेहद गंभीर हालात तक पहुंचे, उनको जीवन, बेहतर स्वास्थ्य, ऑक्सीजन और इम्नियूटी जैसे शब्दों का मतलब अच्छी तरह से पता है। पता तो पहले भी रहा होगा, पर अपने और दूसरों के स्वास्थ्य के प्रति इतनी गंभीरता शायद ही समाज में पहले कभी रही हो।

स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए ही राजस्थान सरकार की ओर से निरन्तर ऐसे प्रभावी और दूरगामी कदम उठाए गए हैं, जिनके चलते संक्रमण का प्रभाव कम हो सके और लोग स्वस्थ रह सकें। आमजन की सेहत को सुधारने और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त करने के लिए घर-घर औषधि योजना ऐसा ही नवाचार है, जो अभी तक कहीं भी देखने-सुनने में नहीं आया है। वन विभाग की ओर से प्रदेश भर में क्रियान्वित होने वाली घर-घर औषधि योजना के जरिए राजस्थान सरकार हर घर-आंगन तक 4 प्रजाति (तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा) के औषधीय पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहती है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की मंशा है कि यह योजना जन स्वास्थ्य का मूल मंत्र बनकर नजीर पेश करे। इसी उद्देश्य के चलते माननीय मुख्यमंत्री ने 1 अगस्त 2021 को अपने निवास पर गिलोय के पौधे का रोपण कर घर-घर औषधि योजना का विधिवत शुभारंभ करते हुए यह योजना प्रदेशवासियों को समर्पित की।

इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ के पौधे वन विभाग की नर्सरियों में उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। नर्सरियों से इन पौधों को ले जाकर आमजन अपने घर-आंगन में उगा सकेंगे। उचित देखभाल से बड़ा होने के बाद इन पौधों का इस्तेमाल राज्यों की सलाह से बीमारियों के उपचार और उनसे बचाव ने किया जा सकेगा। यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि औषधीय पौधों का प्रयोग अपने वैद्य की सलाह से करना उचित रहता है।

आयर्वेद विशेषज्ञों का मानना है कि औषधीय पौधे अपने गुणों के लिए महत्वपूर्ण तो रहेंगे ही, ये घर में हरियाली को भी बढ़ावा देंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि बच्चों को शुरू से ही पर्यावरण और स्वास्थ्य के बीच रिश्ते की समझ भी इस योजना के जरिए आसानी से मिल सकेगी।

वैसे तो राजस्थान सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना का जिम्मा वन विभाग को सौंपा गया है, परंतु इस योजना में वन विभाग के अतिरिक्त अन्य विभाग भी मिलकर सहयोग करेंगे। इनमें आयुर्वेद, कृषि, स्वायत्त शासन, नगरीय विकास एवं आवासन, पंचायती राज, पशुपालन, महिला एवं बाल विकास, जनजाति क्षेत्रीय विकास, उद्योग, शिक्षा, युवा मामले एवं खेल, अल्पसंख्यक मामलात, सूचना एवं जनसंपर्क, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और कृषि अनुसंधान केंद्र भी अपना योगदान देंगे।

वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन-बल प्रमुख) डॉ. दीप नारायण पाण्डेय के अनुसार राजस्थान में घर-घर औषधि योजना पांच साल के लिए प्रभावी होगी। इस योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए सभी प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है। योजना के प्रसार के लिए हर साल वन विभाग की ओर से जगह-जगह होने वाले वन महोत्सव की थीम घर-घर औषधि योजना रखी जाएगी। आमजन में चेतना लाने के लिए निरन्तर प्रचार- प्रसार किया जा रहा है।

डॉ. दीप नारायण पाण्डेय का मानना है कि घर-घर औषधि योजना से आमजन को निश्चित तौर पर लाभ होगा और इस योजना के बेहतरीन परिणाम सामने आएंगे। उनके अनुसार कोविड-19 के लिए किसी भी चिकित्सा पद्धति में अभी तक पक्की औषधि नहीं मिली है। 4000 शोध पत्रों से स्पष्ट है कि तुलसी, कालमेघ, अश्वगंधा और गिलोय काफी हद तक संक्रमित होने से बचाव करते हैं। अगर कोई संक्रमित हो जाए तो ये पक्की तौर पर पैथोजेनेसिस को रोकने में सहायक हैं। वैद्यों की सलाह से इन औषधियों का प्रयोग बीमारी की तीव्रता इतनी बढ़ने नहीं देता है कि जिंदगी के लाले पड़ने लगें।

अब सवाल उठता है कि वन विभाग की ओर से प्रदेश भर में वितरित किए जाने वाले इन औषधीय पौधों से क्या फायदे होंगे?

सबसे पहले तुलसी की बात करते हैं। तुलसी की पत्तियों में कफ, वात दोष कम करने, पाचन शक्ति बढ़ाने, रक्त शुद्ध करने, बुखार, दिल की बीमारियों, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण आदि में फायदेमंद होती है।

इसी तरह गिलोय आंखों के रोग में, कान की बीमारी, टीबी, कब्ज, बवासीर, पीलिया, लीवर, डायबिटीज, गठिया, बुखार, कुष्ठ रोग, एसिडिटी, कब्ज की बीमारी और कैंसर जैसी बीमारियों के उपचार में लाभदायक साबित हुई है।

अश्वगंधा का उपयोग सफेद बालों की समस्या रोकने, आंखों की रोशनी बढ़ाने, गले के रोग में, खांसी में, पेट की बीमारी, छाती के दर्द, ल्यूकोरिया, त्वचा के रोग, शारीरिक कमजोरी और रक्त विकार में फायदेमंद है।

कालमेघ के उपयोग से एसिडिटी, पेट के रोग, चर्म रोग, सोरायसिस, दस्त, पेट में कीड़े, सूजन, बवासीर, एनीमिया, पीलिया, बुखार, टीबी, लीवर संबंधी बीमारी और सांप काटने में आदि में लाभदायक है।

कुल मिलाकर घर-घर औषधि योजना के जरिए वनों में उपलब्ध औषधियों को आयुर्वेद तथा स्थानीय परंपरागत ज्ञान के माध्यम से प्रदेश के निवासियों के स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायता मिलेगी। इसका दूसरा मुख्य उद्देश्य आम जन को औषधीय जीवन शैली के प्रति जागरूक करना भी है।

बहरहाल जिस गंभीरता और दूरगामी सोच के साथ राज्य सरकार ने घर-घर औषधि योजना को लागू किया है, उम्मीद की जानी चाहिए कि आमजन भी उसी जागरूकता के साथ योजना को अपने घर-आंगन में उतारेगा। इस मामले में डॉ. दीप नारायण पाण्डेय की सलाह मील का पत्थर साबित हो सकती है। वे कहते हैं- तुलसी, कालमेघ, अश्वगंधा और गिलोय जैसे पौधों को पहले आमजन अपने माथे में उगाएं, मिट्टी में तो पौधे उग ही जाएंगे।