चण्डीगढ़, 6 अगस्त – हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डा. चंद्र त्रिखा ने कहा कि उपन्यासकार व नाटककार डा. अजय शर्मा ने कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान फेसबुक पर ‘लॉकडाउन’ विषय पर ही सात लघु नाटक लिखकर हिंदुस्तान में पहला ऐसा साहित्यकार होने का गौरव प्राप्त किया है।
ये उद्गार अकादमी के निदेशक व प्रतिष्ठित साहित्यकार डा. चंद्र त्रिखा ने आज अकादमी कार्यालय में केंद्रीय हिंदी साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष श्री माधव कौशिक के साथ नाटककार डा. अजय शर्मा के नवीनतम नाटक ‘लॉकडाउन’ का विमोचन करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर प्रसिद्ध पत्रकार व लेखिका सुश्री निरुपमा दत्त, साहित्यकार व व्यंग्यकार श्री प्रेम विज, साहित्यकार श्री दीपक चनार्थल, अंग्रेजी उपन्यासकार श्री पारुल शर्मा सहित कई अन्य साहित्यकार उपस्थित थे। इस मौके पर सोशल डिस्टेंसिंग का खासतौर पर ध्यान रखा गया।
डॉ. त्रिखा ने डॉ. अजय शर्मा को लॉकडाउन विषय पर नाटक लिखने पर बधाई देते हुए कहा कि इससे पहले किसी भी साहित्याकर ने अभी तक नाटकों पर इस तरह से काम नहीं किया है। उन्होंने उस विधा को भी जिंदा करने का साहस दिखाया है जो विधा लगभग हाशिए पर ही पड़ी थी। उन्होंने बताया कि डा. अजय शर्मा का यह पांचवां नाटक है जिसका विमोचन हरियाणा साहित्य अकादमी में किया गया। अकादमी द्वारा अब तक डा. अजय शर्मा की कुल 18 पुस्तकों का विमोचन किया गया है। गौरतलब है कि डा. अजय शर्मा इससे पहले 12 उपन्यास लिख चुके हैं और उनके उपन्यास कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जाते हैं।
जाने-माने साहित्यकार व व्यंग्यकार श्री प्रेम विज ने कहा कि यह हमारे लिए फख्र की बात है कि डा. अजय शर्मा अपनी लेखनी से हिंदी साहित्य को गद्य विधा में समृद्घ कर रहे हैं। अंग्रेजी के उपन्यासकार श्री पारुल शर्मा ने कहा कि यह सचमुच किसी करिश्मे से कम नहीं कि लॉकडाउन अभी चल रहा है और उस पर सात लघु नाटक आ जाएं और चर्चा का विषय बन जाएं।
डा. अजय शर्मा ने अपने नाटकों के बारे में बताते हुए कहा कि लॉकडाउन के कारण जब समय बहुत मिला और छोटी-छोटी घटनाएं समाज में घटती हुई देखीं तो लघु नाटक लिखने का ख्याल आया। उन्होंने कहा कि इससे पहले उन्होंने कभी इस विधा पर नाटक नहीं लिखे थे। जब नाटक फेसबुक पर डाले तो कई लोगों ने उन पर शॉर्ट फिल्म बनाने की इच्छा जाहिर की। इससे उन्हें बहुत खुशी हुई और उनका मनोबल भी बढ़ा। इस प्रकार, देखते ही देखते सात नाटक लॉकडाउन पर हो गए जिन्हें पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवा गया।

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