जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा को सरकारी मान्यता न देने का मुद्दा संसद में उठाउंगा – भगवंत मान

Aap Punjab MP Bhagwant Mann

इस मसले पर सभी पंजाबी संसद सदस्यों को एकजुट और एकसुर होने की अपील की

चण्डीगढ़, 5 सितम्बर 2020
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान ने मोदी सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा को सरकारी मान्यता न दिए जाने पर सख्त प्रतिक्रिया देते कहा कि संसद के आगामी मॉनसून सत्र में वह (मान) इस संवेदनशील मसले को प्रमुखता के साथ उठाएंगे और इस बारे प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी तक भी पहुंच करेंगे।
पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान के द्वारा भगवंत मान ने प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्र कैबिनेट की ओर से जम्मू-कश्मीर में दूसरे भाषा की तरह सरकारी मान्यता वाली सूची में न रखे जाने की निंदा करते कहा कि यहां जम्मू-कश्मीर में सदियों से रहते लाखों पंजाबी परिवारों के साथ सरासर धक्का और पंजाबी भाषा के प्रति पक्षपाती व्यवहार है।
भगवंत मान ने सभी पंजाबी संसद सदस्यों से अपील की है कि मॉनसून सत्र के दौरान वह इस अहम मुद्दे पर पार्टीबाजी से ऊपर उठ कर एकजुट और एकसुर हो कर जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा को सरकारी भाषा के तौर पर मान्यता और बनता सम्मान दिलाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव डालें।
भगवंत मान ने बादल परिवार को घेरते पूछा कि जब प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय कैबिनेट की ओर से पंजाबी भाषा शामिल किए बगैर बिल स्वीकृत किया गया तब बीबी हरसिमरत कौर बादल ने पंजाबी भाषा के साथ हो रहे भेदभाव का विरोध क्यों नहीं किया?
मान ने कहा कि अपनी बहु रानी (हरसिमरत कौर) की कुर्सी के लिए बादल परिवार ने पंजाबी समेत पूरे पंजाब के हित कुर्बान कर दिए हैं।
मान ने जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा को भी मान्यता प्राप्त सरकारी भाषाओं की सूची में स्थान और बनता सम्मान देने के लिए प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी से अपील करते कहा कि आम आदमी पार्टी को कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को जम्मू-कश्मीर की सरकारी भाषाओं के तौर पर मान्यता दिए जाने पर कोई ऐतराज नहीं परंतु इस में पंजाबी भाषा को शामिल न करके भाजपा ने पंजाबी भाषा की तौहीन और दुनिया भर में रहते पंजाबियों को निराश किया है।