आयुष पद्धतियो की लोगो के बीच ज्यादा से ज्यादा पहुंच बनाएं : मुख्यमंत्री
जयपुर, 24 दिसम्बर। मुख्यमंत्री अशाेक गहलोत ने कहा कि आयुर्वेद, हाेम्याेपैथी, यूनानी, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियां विभिन्न राेगाें के उपचार में बेहद कारगर हैं।
इन आयुष पद्धतियों की ज्यादा से ज्यादा पहुंच बनाकर तथा रिसर्च काे बढ़ावा देकर लाेगाें के बीच विश्वास कायम किया जाए। इससे हमें निरा ेगी राजस्थान जैसे महत्वाकांक्षी अभियान को सफल बनाने में भी मदद मिलेगी। गहलोत गुरूवार काे मुख्यमंत्री निवास पर आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग की समीक्षा बैठक काे सबाेंधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पोस्ट काेविड राेगियों काे आवश्यक उपचार उपलब्ध कराने में आयुष चिकित्सा पद्धतियां उपयोगी हाे सकती हैं। इन चिकित्सा पद्धतियों से उपचार लेकर काफी कोविड रोगी ठीक हुए हैं। इसकी केस स्टडी करवाई जाए ताकि इन चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोग लाभान्वित हाे सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव एवं ढाणियाें में झोलाछाप डॉक्टराें द्वारा इलाज करने की शिकायतें मिलती रहती हैं। गलत उपचार के कारण कई बार लोगाें काे जान तक गंवानी पड़ती है। चिकित्सा विभाग इन झोलाछाप डॉक्टराें पर सख्त कार र्वाई सुनिश्चित करे। उन्हाेंने कहा कि टीवी एवं अखबाराें में चमत्कारिक आैषधियाें के विज्ञापन देकर लोगाें के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने के साथ ही उन्हें आथि र्क नुकसान भी पहुंचाया जा रहा है। ऐसे विज्ञापनाें एवं कंपनियों पर लगाम कसने के लिए कानूनी प्रावधाना ें के तहत कार र्वाई की जाए।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शमार् ने कहा कि राज्य सरकार आयुष पद्धतियाें काे बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्हाेंने बताया कि प्रत्येक जिला मुख्यालय पर 21 दिसम्बर से पोस्ट काेविड आयुष केयर संेटर भी प्रारंभ किये गए हैं। हमारा प्रयास है कि इन चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से निराेगी राजस्थान के संकल्प काे साकार किया जाए। बैठक में बताया गया कि काेविड-19 से बचाव के लिए आयुर्वेद विभाग ने करीब 36 लाख लोगाें काे काढ़ा पिलाने के साथ ही 36 हजार राेगियाें काे अश्वगंधा एवं गिलोय चूर्ण का वितरण किया है। रोग प्रतिराेधक क्षमता में वृद्धि के लिए करीब 10 लाख लोगाें काे हाेम्याेपैथी की आर्सेनिक एल्बम दवा का वितरण किया गया है। प्रदेश में 500 आयुर्वेद आैषधालयों काे हैल्थ वेलनेस संेटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्हाेंने अन्य विभागीय उपलब्धियाें की भी जानकारी दी।
राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जाेधपुर की रजिस्टांर सीमा कविया ने बताया कि काेविड-19 के उपचार में आयुर्वेद दवाआें का सकारात्मक असर देखा गया है। इस संबंध में हुई एक केस स्टडी काे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अपनी पत्रिका में प्रकाशित किया है। निदेशक आयुर्वेद श्रीमती सीमा शमार्, निदेशक हाेम्याेपैथी डॉ. रेणु बंसल एवं निदेशक यूनानी डॉ. नजक जकी ने भी काेविड-19 के उपचार में आयुष चिकित्सा पद्धतियों के सकारात्मक परिणामों से अवगत कराया।
बैठक में मुख्य सचिव निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव वित्त अखिल अराेरा, शासन सचिव चिकित्सा श्री सिद्धाथर् महाजन, आयुर्वेद विभाग के विशेषाधिकारी डॉ. मनोहर पारीक सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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