एक महीने से दिल्ली सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति केंद्र सरकार का बेरहम होना निंदनीय: सरदार सुखबीर सिंह बादल

sukhvir badal
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कहा कि बातचीत करने की बातों का मतलब सिर्फ किसानों को बदनाम करना

 तीन खेती कानूनों को रद्द करने के लिए विशेष एक दिवसीय संसद सत्र बुलाने की मांग की

चंडीगढ़/25दिसंबर: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की शिकायतों का समाधान न करने के लिए बेरहम केंद्र सरकार की आलोचना की है।

यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि केंद्र सरकार ने कड़ाके की ठंड में खुले में डेरा डाले किसानों के प्रति कठोर तथा असंवेदनशील रवैया अपनाया है। ‘ ऐसा लगता है कि सरकार किसानों को तीन कृषि मंडीकरण अधिनियम कानूनों के खिलाफ दंड देना चाहती है। यही कारण है कि केंद्र ने पिछले संसदीय सत्र में धक्के से कानून पास करवाए हैं के खिलाफ ऐसी नीति अपनाई है, जिसका मकसद किसानों को थका देना है। किसानों को थका देने के लिए बातचीत करने की सिर्फ बातें की जा रही हैं। सच्चाई यह है कि देश भर के किसानों को तीन कृषि अधिनियमों को रदद करने से मना करने  की केंद्र जिद्द कर रहा है।

एनडीए सरकार से बिना किसी एजेंडे यां समय सीमा के गैर विशिष्ट बातों का निमंत्रण देकर किसानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करने की मांग करते हुए सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि केंद्र को तीनों कृषि अधिनियमों को ईमानदारी से रदद करने के तरीकों तथा साधनों पर बातचीत करनी चाहिए। ‘ केंद्र को आढ़तियों पर आयकर के छापे मारने तथा किसानों को अलगाववादियों को बदनाम करने से बाज आना चाहिए। अगर सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को रदद करने के लिए विशेष एक दिवसीय सत्र बुलाया तो यह सबसे अच्छा होगा। एक बार ऐसा हो जाने के बाद किसानों के साथ सलाह करके नए कानून बनाए जा सकते हैं। उन्होने कहा कि  ऐसा न करने से केवल यह धारणा मजबूत होगी कि केंद्र काॅरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचा रहे हैं न कि किसानों को कोई समाधान प्रदान कर रहे हैं।

भाजपा लीडरशीप को इस पूरे मामले में मानवतावादी रवैया अपनाने के बारे में कहते हुए सरदार बादल ने कहा कि पिछले 40 से भी अधिक किसानों की जानें जा चुकी हैं। छह महीने पहले अध्यादेश के रूप में पेश किए जाने के बाद से वे इन कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। सरकार ने पांच महीने तक किसनों की शिकायतें सुनने से इंकार कर दिया तथा बातचीत तभी शुरू की जब किसानों ने दिल्ली की सीमाएं बंद की। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नही है। अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि राज्य को बैठकर किसानों की बातचीत सुनकर उसका समाधान निकालने से पहले से पहले कितने किसान शहीद होने चाहिए?