धूप तापते घड़ियाल देखने का अनूठा उपहार देता है चम्बल अभयारण्य

धूप तापते घड़ियाल देखने का अनूठा उपहार देता है चम्बल अभयारण्य
सितम्बर 24
लुभावने और सघन वन में बाघों का विचरण और तेंदुओं की चहलकदमी के साथ मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में धूप तापते घड़ियाल देखने का अनूठा अवसर पर्यटकों को सम्मोहित कर देता है। पूरे देश में घडियालों का रहवास है चंबल अभयारण्य।

मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है और तेंदुओं की बड़ी संख्या के कारण लेपर्ड स्टेट भी कहलाने लगा है। वन्य-जीव संरक्षण और प्रबंधन के परिणाम-स्वरूप अब घड़ियालों की भी सघन उपस्थिति दर्ज हो गई है। चंबल नदी के धीमे-धीमे बहते पानी के किनारे रेत के प्राकृतिक रहवास में घडियालों को धूप तापते देखना अनूठा अवसर प्रदान करता है।

चम्बल संभाग के मुरैना जिले में स्थित राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य में घड़ियाल, कछुए, डॉल्फिन और 181 प्रजाति के प्रवासी/अप्रवासी पक्षियों की मौजूदगी पर्यटकों को लुभाती हैं। बड़ी संख्या में वन्य जीव प्रेमियों का आना-जाना बना रहता है। पिछले दो साल में कोरोना जैसी महामारी के बावजूद ईको सेन्टर देवरी और चम्बल सफारी राजघाट पर 33 हजार पर्यटकों का आगमन हुआ। फलस्वरूप प्रबंधन को 2 लाख 20 हजार रूपये की आमदनी भी हुई। यह साबित करता है कि पर्यटकों के दिलो-दिमाग पर चंबल अभयारण्य ने अपनी अविस्मरणीय छवि छोडी हैं।

वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक देश में सबसे अधिक घड़ियाल चंबल अभयारण्य में उपलब्ध है। यहाँ उनका आदर्श प्राकृतिक रहवास है। चार दशक पहले घड़ियालों की संख्या समाप्त होने की दहलीज पर थी तब दुनिया भर में केवल 200 घड़ियाल ही बचे थे। इनमें से भारत में 86 और चम्बल नदी में तब 46 घड़ियाल की मौजूदगी से वन्य प्राणी वैज्ञानिकों का ध्यान विशेष रूप से गया।