प्रधानमंत्री ने शिक्षा नीति -2020 लागू होने के एक वर्ष पूरा होने पर राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, शिक्षा मंत्रियों और शिक्षाविदों को किया संबोधित
मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गृह मंत्री और शिक्षा मंत्री ने भी लिया कार्यक्रम में हिस्सा
आज शुरुआत की गई नई पहलों का राज्य में त्वरित क्रियान्वयन सुनिश्चित करें अधिकारी- मनोहर लाल
चंडीगढ़, 29 जुलाई – देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 लागू होने के एक वर्ष पूर्ण होने पर आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा क्षेत्र के लिए विभिन्न नई पहलों का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, शिक्षा मंत्रियों और शिक्षाविदों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज और शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल भी चंडीगढ़ से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने विद्या प्रवेश, भारतीय सांकेतिक भाषा एक विषय, निष्ठा 2.0 का शुभारंभ किया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) भी लॉन्च किया जो उच्च शिक्षा में छात्रों के लिए प्रवेश और निकासी विकल्प, प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग कार्यक्रम और उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए दिशानिर्देश प्रदान करेगा। इसी प्रकार, अन्य पहलों में सीबीएसई स्कूलों में ग्रेड 3, 5 और 8 के लिए एक योग्यता आधारित मूल्यांकन ढांचा सफल (सीखने के स्तर के विश्लेषण के लिए संरचित मूल्यांकन) एप, नेशनल डिजिटल शिक्षा वास्तुकला और राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 आत्मानिर्भर भारत के लिए मजबूत नींव साबित होगी। यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई), 1986 की जगह लाई गई है। उन्होंने कहा कि यह नई शिक्षा नीति 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल है। आज शुरू की गई नई पहलें भारत के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि भारत का विकास युवा पीढ़ी पर निर्भर करता है और युवा पीढ़ी को कितना आगे लेकर जाना है, यह शिक्षा पर निर्भर करता है। इसलिए यह सबसे आवश्यक है कि आज युवाओं को किस प्रकार की शिक्षा दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के संकट काल के समय में ऑनलइन शिक्षा का महत्व समझ में आया है और शिक्षा का तरीका बदला है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विद्यार्थियों ने शिक्षा में हुए इस बदलाव को तेजी से अपनाया है। उन्होंने शिक्षकों से अनुरोध करते हुए कहा कि शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन में अपना योगदान दें और युवाओं को शिक्षित कर उन्हें राष्ट्र निर्माण की दिशा में आगे बढ़ाएं।
कार्यक्रम के उपरांत मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरुआत की गई नई पहलों का राज्य में त्वरित क्रियान्वयन सुनिश्चित करें ताकि हरियाणा वर्ष 2025 तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के अपने लक्ष्य को पूरा कर सके।
इस मौके पर हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के चेयरमैन प्रो. बी. के. कुठियाला, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री डी. एस. ढेसी, स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री महावीर सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री वी. उमाशंकर, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा श्री जे. गणेशन, मुख्यमंत्री की उप प्रधान सचिव श्रीमती आशिमा बराड़ सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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