राजा अमरिन्दर का कृषि बिलों को लेकर कोर्ट में जाने का ऐलान किसानों के साथ एक बड़ा धोखा – हरपाल सिंह चीमा

Harpal Cheema aap leader

चीमा ने राजा अमरिन्दर के बयानों से समूह किसान संगठनों को सुचेत रहने की अपील की
राजा अमरिन्दर का एक ही मकसद किसानों के संघर्ष को तारपीडो करने का 

चंडीगड़, 29 सितम्बर 2020 
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के सीनियर नेता और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने राजा अमरिन्दर सिंह की ओर से कृषि बिलों के बारे में की जा रही बयानबाजी से पंजाब के लोगों खास करके किसान संगठनों को सुचेत रहने की अपील करते कहा कि राजा अमरिन्दर ने कहा है कि उन्होंने कृषि विरोधी काले कानूनों को कानूनी लड़ाई के द्वारा रद्द करवाने के लिए दिल्ली से लीगल टीम बुला ली है को एक नाटक करार दिया। इस मौके प्रैस कान्फ्रेंस में विधायक जै सिंह रोड़ी, प्रदेश महा सचिव हरचन्द सिंह बरसट और हरिन्दर सिंह अमृतसर भी उपस्थित थे।
प्रैस कान्फ्रेंस को संबोधन करते हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह की ओर से किसान विरोधी बिलों सम्बन्धित सुप्रीम कोर्ट में जाने का ऐलान किसानों के साथ एक बहुत बड़ा धोखा है। राजा अमरिन्दर मोदी के हाथों की कठपुतली बन कर पंजाब भर में चल रहे विभिन्न किसान जत्थेबंदियों के संघर्ष को तारपीडो करने की साजिशें रच रहे हैं।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि 28 अगस्त 2020 को जब विधान सभा सत्र बुलाई गई थी तो पंजाब सरकार ने कृषि अध्यादेशों को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पास किया था, और इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजना था, परंतु किसान विरोधी राजा अमरिन्दर सिंह ने इस प्रस्ताव को 28 अगस्त से लेकर 14 सितम्बर तक कुल 18 दिन विधान सभा के दफ्तर में ही रखा और केंद्र सरकार को नहीं भेजा। जिस दिन 14 सितम्बर 2020 को विधान सभा शुरू हुई थी, उस दिन ही यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाना चाहिए था परंतु ऐसा नहीं हुआ, जिस से साफ पता चलता है कि राजा अमरिन्दर सिंह कृषि विरोधी अध्यादेशों के मुद्दे को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राजा अमरिन्दर सिंह बोल रहे हैं कि कानून की मदद के से वह कृषि विरोधी अध्यादेशों को रद्द करवाएंगे, परंतु मैं (हरपाल सिंह चीमा) राजा अमरिन्दर सिंह से यह पूछना चाहता हुं कि वह बताएं कि आज तक जो भी केस पंजाब सरकार ने कोर्ट में लड़े हैं, क्या उन केसों में कोई एक केस भी पंजाब सरकार ने जीता है? चीमा ने उदाहरण देते बताया कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट में एस.वाई.एल. का केस, कौल वाश का केस, हाई कोर्ट में बरगाड़ी का केस हारी और फिलहाल प्राईवेट स्कूल फीस का केस भी हाई कोर्ट में हार गई। अब फिर से कानूनी तौर पर इस बिल को रद्द करवाने का मतलब है कि पंजाब सरकार फिर से कोर्ट में केस हारना और किसान संघर्ष को तारपीडो करना चाहती है।