बीकेयू प्रमुख ने तीन कृषि अध्यादेशों पर सुझाव के साथ पीएम को लिखा पत्र

Bhupinder Singh Mann

इस बात की गारंटी दी जानी चाहिए कि किसानों को एमएसपी मिलेगी और उल्लंघन करने वाले खरीदारों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई हो

9वें शेड्यूल मैं संशोधन होना चाहिए और कृषिध्जमीनों को इसके दायरे से बाहर करना चाहिए

चंडीगढ़ 01.09.2020 (  )- पीएम श्री नरेंद्र मोदी, को लिखे पत्र में, भूपिंदर सिंह मान पूर्व सांसद, राष्ट्रीय अध्यक्ष बीकेयू, अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति (केसीसी), ने कहा है कि मौजूदा रूप में अध्यादेश से किसानों को कोई मदद नहीं होगी । बल्कि इसने एक डर पैदा कर दिया है कि एमएसपी को दूर किया जा रहा है। उन्होंने इस संबंध में पीएम को कुछ सुझाव दिए हैं।

पत्र में, उन्होंने 1995 में अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा किया बतौर सांसद (राज्यसभा) के कार्यकाल के दौरान अपने संघर्ष के दौरान हम सरकारों द्वारा खेती उत्पादों की लागतों को प्रभावित करने हेतु जोनल स्तर पर लगाई गई पाबंदी को लोगों के सामने लाए और सरकार पर गेहूं की फ्री आवाजाही को मंजूरी देने हेतु दबाव बनाने के लिए आंदोलन का मैंने नेतृत्व किया। मैं जायज आरसी और ड्राइविंग लाइसेंस के साथ अपने ट्रैक्टर ट्राली को चला रहा था। मैंने राज्यभर के किसानों से एकत्र की गेहूं के साथ ट्राली फुल कर ली। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक मौजूदा राज्यसभा सांसद होने के बावजूद मुझे और सैकड़ों किसानों को डेरा बस्सी पुलिस थाने में बंद कर दिया गया। इस दौरान मेरे द्वारा उठाए गए सम्मान के मुद्दे पर तत्कालीन पुलिस अधिकारियों द्वारा दिए गए अजीबो-गरीब जवाबों को देखकर आप भी एक बार जरूर हंस पड़ोगे।

उन्होंने कहा 1997 में श्री शरद जोशी और महाराष्ट्र, हरियाणा, यूपी, एमपी व पंजाब के हजारों किसानों के साथए पाकिस्तान के रासते फ्री ट्रेड के लिए, वाघा सीमा तक एक संकेतिक मार्च का नेतृत्व किया। नामी और अति माननीय किसान नेता श्री शरद जोशी ने हर बार गुजारिश की थी कि किसान कई पीढ़ियों से लैंड सीलिंग एक्ट (एलसीए) और एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट (ईसीए) जैसे गैर फायदेमंद, किसान विरोधी समाजवादी कानूनों व कृषि में तकनीक और बाहरी निवेश का इस्तेमाल करने के विरोध से प्रभावित रहा है। उन्होंने हमेशा से कठोर कानूनों का विरोध किया था, जिनमें खासतौर पर जरूरी वस्तुएं कानून (जो 9वी सूची में 126 नंबर पर आता है) और एलसीए शामिल है व जायदाद के अधिकारों को पुनः स्थापित किए जाने की मांग की थी जिनको 9वी सूची में जोड़कर रद्द कर दिया गया था। मैं जरूरत पड़ने पर खेतीबाड़ी पर टास्क फोर्स की रिपोर्ट भी समझा कर सकता हूं।

जब मुझे सरकार द्वारा इन तानाशाही कानूनों को खत्म किए जाने की पहली खबर मिली, तो मुझे बहुत ख़ुशी थी। मैंने सोचा था कि श्री शरद जोशी को उनके द्वारा साल 2000 में स्थापित की खेतीबाड़ी पर टास्क फोर्स के जरिए किए गए शानदार काम हेतु मरणोपरांत यह अवार्ड होगा। मैने आपके द्वारा उठाए गए इन मजबूत कदमों के लिए बीकेयू की ओर से एक सम्मान देने बारे सोचा था।

लेकिन इसके अंतिम स्वरूपों को पढ़कर सारा उत्साह तुरंत फीका पड़ गया। उल्टा यह डर बन गया कि सरकार एमएसपी को वापस ले रही है व किसानों को निजी खरीदारों की रहम के आगे फेंक दिया जाएगा।

इसी तरह अनाज के रेटों में 50% व सब्जियों में 100% बढ़ोतरी होने पर एक बार फिर से तानाशाही जरूरी वस्तुएं कानून के प्रस्ताव लाकर इस कानून में हुए सुधारों के फायदों को रद्द कर दिया गया है।

सेक्शन 3 की शोधः

जरूरी वस्तुएं एक्ट 1955 के सेक्शन 3 में सब सेक्शन (1) के बाद निम्नलिखित सब सेक्शन को शामिल किया जाना चाहिए, जिसका जिक्र इस तरह हैः

(1ए) सब सेक्शन 1 में शामिल किसी भी बात को छोड़कर-

केंद्र सरकार द्वारा सरकारी गजट में नोटिफिकेशन के जरिए अनाजों, दालों, आलू, प्याज, खाने योग्य तेल बीज व तेलों सहित ऐसे खाद्य पदार्थों की सप्लाई विशेष तौर पर गैर साधारण हालातों में ही रेगुलेट की जानी चाहिए, जिनमें युद्ध, अकाल, कीमतों में अत्यधिक बढ़ोतरी व कुदरती आफत की गंभीर स्थिति हो।

स्टॉक लिमिट कीमत की बढ़ोतरी के आधार पर ही तय होनी चाहिए और किसी कृषि पदार्थ की स्टॉक लिमिट हेतु आदेश सिर्फ इसी कानून के अधीन ही दिया जाना चाहिए, जैसेः

बागबानी उत्पाद की रिटेल कीमत में 100% बढ़ोतरी हो, या फिर अनाशवान खेती पदार्थों की रिटेल कीमत में 50% की बढ़ोतरी हो बीते 12 महीनों के दौरान कीमत में तुरंत बदलाव या फिर बीते 5 सालों की औसत रिटेल कीमत के आधार पर जो भी कम होः

ऐसे में यदि प्याज की कीमतों कीमती 2 से 4 रुपए तक पहुंच जाती है, तो जरूरी वस्तुएं कानून लागू किया जा सकता है। यदि गेहूं की कीमत 50ः से बढ़कर 1900 रुपए से ज्यादा बढ़ जाती है, तो दिल्ली में बैठा बाबू तुरंत इस पर रोक लगा सकता है। इस तरह, इस संशोधन का कोई फायदा नहीं होगा, बल्कि और असमंजस बढ़ेगी व इसका दुरुपयोग भी हो सकता है।

ध्यान के साथ पढ़ने के बाद, उन्होंने इस संबंध में पीएम को कुछ सुझाव दिए हैं।

  • एमएसपी के खत्म होने संबंधी डर को दूर करने हेतु एक अध्यादेश लाकर इस बात की गारंटी दी जानी चाहिए कि किसानों को एमएसपी मिलेगी। एमएसपी पर परचेज करने हेतु सभी खरीददार कानूनी तौर पर बाधित होने चाहिएं, चाहे वे सरकारी हों या फिर निजी और उल्लंघन करने वाले खरीदारों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई करने की तजवीज की जानी चाहिए।
  • 9वें शेड्यूल मैं संशोधन होना चाहिए और कृषिध्जमीनों को इसके दायरे से बाहर करना चाहिए, ताकि किसान न्याय हेतु अदालतों के दरवाजे खटका सकें। जबकि कानून की मौजूदा स्थिति वह हालात पैदा करती है जिनमें किसानों को अभी तक आजादी नहीं मिली “आजाद देश के गुलाम किसान”।
  • जरूरी वस्तुएं कानून में संशोधन संबंधी अध्यादेश के प्रस्तावों को हटाया जाना चाहिए, खासतौर पर कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने हेतु।
    (proviso in terms of price rise should be removed)