मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार द्वारा 350 साला शहीदी पर्व को समर्पित महीना भर चलने वाले समागम कल से होंगे शुरु
गुरुद्वारा श्री रकाब गंज साहिब में कीर्तन दरबार के साथ होगी शहीदी समागमों की शुरुआत
चंडीगढ़, 24 अक्टूबर 2025
‘हिंद दी चादर’, सरबंस दानी, श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350 साला शहीदी दिहाड़े को समर्पित महीना भर चलने वाले समागमों की शुरुआत कल, 25 अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित पवित्र स्थानों से होगी। यह समागम पंजाब सरकार द्वारा पूरी श्रद्धा, सत्कार और गुरू मर्यादा के अनुसार करवाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान कल सुबह गुरुद्वारा श्री सीस गंज साहिब में नतमस्तक होंगे और गुरु साहिब के साथ लासानी शहादत देने वाले भाई मती दास जी, भाई सती दास जी और भाई दियाला जी के शहीदी स्थानों पर जाकर श्रद्धांजलि भेंट करेंगे।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री भगवंत मान 25 अक्टूबर को सुबह 11:30 बजे गुरुद्वारा श्री सीस गंज साहिब दिल्ली में पहुंचेंगे। उनके साथ पंजाब कैबिनेट के अन्य मंत्री भी मौजूद रहेंगे। सभी मंत्री सांझे तौर पर रुमाला साहिब भेंट करेंगे और (सुबह 11 बजे होने वाली) सरबत के भले की अरदास में शामिल होंगे।
गुरुद्वारा साहिब में नतमस्तक होने के उपरांत मुख्यमंत्री भगवंत मान गुरुद्वारा साहिब के बिल्कुल बाहर स्थित, धर्म हित जानें वारने वाले महान सिख शहीदों, भाई मती दास जी, भाई सती दास जी और भाई दियाला जी के शहीदी स्थानों पर जाएंगे। यहाँ मुख्यमंत्री और समूह कैबिनेट द्वारा महान शहीदों को श्रद्धा के फूल भेंट किए जाएंगे और अरदास की जाएगी।
इन महीना भर चलने वाले समागमों की रस्मी शुरुआत कल शाम 6 बजे गुरुद्वारा श्री रकाब गंज साहिब, दिल्ली में होने वाले विशेष ‘कीर्तन समागम’ के साथ होगी।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के दिशा-निर्देशों पर पंजाब सरकार द्वारा यह शहीदी समागम 25 अक्टूबर से 25 नवंबर तक पूरा एक महीना बहुत श्रद्धा और सत्कार के साथ मनाए जाएंगे। इन समागमों के दौरान चार विशाल नगर कीर्तन सजाए जाएंगे, जिनमें से एक श्रीनगर और बाकी तीन पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से आरंभ होंगे।
इन समागमों की समाप्ति 23, 24 और 25 नवंबर को खालसा की जन्म भूमि श्री आनंदपुर साहिब में विशाल धार्मिक समागमों के साथ होगी। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट हिदायत की है कि सभी समागम पूरी मर्यादा और सत्कार को मुख्य रखते हुए आयोजित किए जाएं, ताकि गुरु साहिब की लासानी शहादत का संदेश दुनिया भर में पहुंच सके।

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