कहा कि इस निर्णय से पंजाब का दरिया के पानी पर संवैधानिक अधिकार खत्म हो जाएगा
प्रधानमंत्री से संघीय ढ़ांचे को बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप करने और इस धारणा को दूर करने की अपील की कि केंद्र बार-बार पंजाब के साथ भेदभाव कर रहा
चंडीगढ़/03 नंवबर 2025
शिरोमणी अकाली दल की वरिष्ठ नेता और बठिंडा सांसद बीबा हरसिमरत कौर बादल ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे विद्युत मंत्रालय को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से पूरे समय मैंबर रखने के अतिरिक्त पद पैदा करने के अपने फैसले को वापिस लेने के लिए दबाव डालना चाहिए।
प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में अकाली नेता ने प्रधानमंत्री से बीबीएमबी के प्रबंधन को पंजाब और हरियाणा के दो पूर्णकालिक सदस्यों तक सीमित रखने की पिछली परंपरा पर कायम रहने की अपील की। उन्होने बीबीएमबी के प्रबंधन में पंजाब की भूमिका को कमजोर करने वाले अन्य फैसलों, जिसमें बोर्ड में पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों के प्रतिनिधित्व को समाप्त करना और बांध सुरक्षा अधिनियम को समाप्त किया जाना शामिल है।
बठिंडा सांसद ने प्रधानमंत्री को बताया कि पंजाब अतीत में उठाए गए विभिन्न कदमों को लेकर आंदोलन कर रहे थे, जिनसे बीबीएमबी के प्रबंधन में पंजाब की भूमिका कमजोर हुई है। उन्होने कहा,‘‘ इसमें भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (संशोधन) नियम,2022 के माध्यम से बीबीएमबी में पंजाब और हरियाणा के सशर्त प्रतिनिधित्व को समाप्त करने का फैसला और साथ ही भाखड़ा और पोंग जैसे बांधों को संघीय अधिकार क्षेत्र में लाकर राज्य के जल अधिकारों पर नियंत्रण को केंद्रीकृत करना शामिल है।’’
बीबा बादल ने कहा कि पंजाबी बेहद हैरान हें कि बिजली मंत्रालय ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड(बीबीएमबी) में राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से दो नए सदस्यों की नियुक्ति का निर्णय लिया है। उन्होने कहा कि यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम,1966 की धारा 79(2) में संशोधन करके किया जा रहा है, जबकि पंजाब के पुनर्गठन में राजस्थान की कोई भूमिका नही है और यह एक रिपेरियन राज्य भी नही है।
इस बात पर जोर देते हुए कि इस फैसले से पंजाब के नदी जल और जलसंसाधनो पर संवैधानिक अधिकार कमजोर हो जाएंगें और इससे उसकी कृषि अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंच सकता है। उन्होने कहा कि पंजाब सरकार पहले ही पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की धारा 78 और 79 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर चुकी है। उन्होने कहा,‘‘चूंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसीलिए केंद्र को मामले के लंबित रहने तक बीबीएमबी के स्वरूप को बदलाव करने से गुरेज करना चाहिए।
बीबा बादल ने यह भी जोर देकर कहा कि पंजाबियों को लग रहा है कि राजधानी चंडीगढ़, नदियों के पानी, धार्मिक संस्थानों, पंजाब यूनिवर्सिटी और अब बीबीएमबी के प्रबंधन पर राज्य के अधिकारों को कमजोर करने के लिए दिन-ब-दिन कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होने कहा कि यह भेदभाव इस तथ्य के बावजूद किया जा रहा है कि बाॅर्डर राज्य के लोगों ने देश की सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा में सबसे बड़ा योगदान दिया है। उन्होने प्रधानमंत्री से इस व्यापक धारणा को दूर करना का आग्रह किया कि केंद्र राज्य के साथ भेदभाव कर रहा है, और देश के संघीय ढ़ांचे को बनाए रखने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होने पत्र में लिखा,‘‘ पंजाबी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आपकी ओर देख रहे हैं, कृप्या आप उन्हें निराश न करें।’’
वरिष्ठ नेता ने यह भी बताया कि कैसे पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत शुरू में भाखड़ा प्रबंधन बोर्ड का गठन भाखड़ा-नंगल प्रोजेक्ट की देखरेख के लिए किया गया था, लेकिन बाद में इसमें संसोधन कर ब्यास परियोजना को केंद्रीय नियंत्रण में ले लिया गया। उन्होने कहा,‘‘ 1974 में उठाया गया यह कदम पंजाब के अधिकारों पर अतिक्रमण था। यहां तक कि पुनर्गठन अधिनियम की धाराएं 78 और 79 भी पंजाब के खिलाफ है और नदी जल पर पंजाब के वैध नियंत्रण को बहाल करने के लिए इनपर फिर से विचार किए जाने की आवश्यकता है।’’

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