सरकारी अस्पतालों में सेवाएं प्रदान करने के लिए 531 डॉक्टर वालंटियरों के तौर पर हुए रजिस्टर-बलबीर सिंह सिद्धू

निजी अस्पतालों, नर्सिंग होमज़ और डायगनोस्टिक लैबों के डॉक्टरों समेत मैडीकल अधिकारियों को बिना कफ्र्यू पास के आने-जाने की इजाज़त
एक मरीज़ केवल तभी ठीक माना जाता है जब कम से कम एक दिन में दिए गए दो नमूनों की जांच के टेस्ट नैगेटिव आते हैं, फिर मरीज़ से किसी को भी संक्रमण नहीं होता
चंडीगढ़, 6 अप्रैल:
सरकारी अस्पतालों में सेवाएं प्रदान करने के लिए 531 डॉक्टर, 4680 नर्र्सं, 2056 फार्मासिस्ट और 1648 लैब टैक्नीशियन आगे आए हैं और अपने आप को कोविड -19 महामारी से लडऩे के लिए वालंटीयर के तौर पर रजिस्टर करवाया है।
स्वास्थ्य मंत्री स. बलबीर सिंह सिद्धू ने आज यहाँ जारी बयान में जानकारी देते हुए बताया कि जहाँ तक मानवीय स्रोतों का सवाल है, स्वास्थ्य विभाग को राज्य भर से डॉक्टरों और पैरा-मैडीकल स्टाफ द्वारा व्यापक स्तर पर प्रक्रिया देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि रेगुलर और कॉन्ट्रैकचूअल माहिर डॉक्टर, डॉक्टर और पैरा मैडीकल स्टाफ के अलावा सैंकड़ों डॉक्टर और पैरा मैडीकल स्टाफ ने स्वयं सेवकों के तौर पर अपनी रजिस्ट्रेशन करवाई है, वह सभी कोविड -19 महामारी से निपटने के लिए अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि लगभग वॉर्ड अटेंडेंट और 243 रेडीओग्राफऱों ने भी वॉलंटियरों के तौर पर रजिस्टर्ड करवाया है।
स. बलबीर सिंह सिद्धू ने आगे बताया कि सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य स्टाफ समेत निजी अस्पतालों में नर्सिंग और पैरा मैडीकल स्टाफ, नर्सिंग होमज़ और डायगनोस्टिक लैबों आदि को मैडीकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) और इंडिया मैडीकल ऐसोसीएशन (आईएमए) द्वारा पहचान पत्र जारी किये गए हैं जिसके आधार पर इनको बिना कफ्र्यू पास के आने-जाने की आज्ञा दी गई है। उन्होंने कहा कि कैमिस्ट दुकानों, अस्पतालों समेत ओ.पी.डीज़, नशा मुक्ति केन्द्रों और ओट क्लीनिकों, नर्सिंग होमज़, आयूष प्रैकटीशनरज़ और डायगनौस्टिक लैबोरेटरियाँ आदि खोलने के लिए पहले ही हिदायतें जारी की गई हैं।
मंत्री ने कहा कि कई निजी अस्पतालों को बंद करने सम्बन्धी गंभीर नोटिस लेते हुए पंजाब सरकार ने ऐसे अस्पतालों के खि़लाफ़ सख्त कार्यवाही करने का फ़ैसला किया है, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि स्वास्थ्य विभाग को कोविड-19 के मरीज़ों का इलाज करने से इन्कार करने वाले अस्पतालों के लाइसेंस रद्द करने चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्धी सभी सिविल सर्जनों को सभी निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे स्पष्ट किया कि एक मरीज़ को स्वास्थ्य विभाग द्वारा सिफऱ् तभी ठीक हुआ घोषित किया जाता है जब कम से कम एक दिन में लिए गए दो नमूने जांच के बाद नेगेटिव पाए जाते हैं। यह मरीज़ संक्रमित नहीं रहते और किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित भी नहीं कर सकते। इसलिए इन मरीज़ों का उनके रिहायशी इलाकों में वापस स्वागत किया जाना चाहिए और वह किसी भी आम व्यक्ति की तरह अपना दिन प्रति दिन का काम फिर से शुरू कर सकते हैं।
स. बलबीर सिंह सिद्धू ने बताया कि कोविड के मरीज़ों की देखभाल के लिए 5000 आइसोलेशन बैडों की पहचान की गई है, जिनमें से 2500 पहले से ही प्रयोग में लाए जा रहे हैं। इसके साथ ही कोविड केयर आईसोलेशन सेंटरों की योजना बनाई गई है जिनमें कोविड के बहुत कम लक्षणों वाले या कोई लक्षण न होने वाले मरीज़ों के लिए 500-1000 बैडों की सामथ्र्य है। यह अलग-अलग होस्टलों, डेरों और अन्य स्थानों पर रहेंगेे। उन्होंने कहा कि कोविड के सभी गंभीर मरीज़ों को तीन सरकारी मैडीकल कॉलेजों में रैफर किया जायेगा। उन्होंने आगे कहा ‘‘यहाँ पीपीयी किटों, एन 95 मास्क और ट्रिपल लेयर मास्कों की उपयुक्त सप्लाई जारी है जो सभी जि़लों और सरकारी मैडीकल कॉलेजों को प्रदान किये जा रहे हैं।’’
मंत्री ने आगे बताया कि राज्य में कोविड-19 के 79 पुष्ट मामले सामने आए हैं जबकि 2384 व्यक्तियों की जांच की गई है। अब तक 4 व्यक्तियों को इलाज के बाद ठीक घोषित किया गया है।