मोदी की तानाशाही के विरुद्ध लाइन खींच कर डटने की बजाए नूरा-कुश्ती खेल रहे हैं अमरिन्दर और बादल -‘आप’

Aap MLA Kultar singh

काले कानूनों और किसानी संघर्ष के बारे में अमरिन्दर सरकार का हर कदम संदेह से भरा -कुलतार सिंह संधवा
किसानी संघर्ष को रास्ते से उतारने के लिए शुरू की धान की पहली खरीद – ‘आप’ विधायकों ने कहा

चण्डीगढ़, 28 सितम्बर 2020
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह पर दोष लगाया है कि सत्ताधारी कांग्रेस भी बादल परिवार की तरह प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी के साथ नूरा-कुश्ती ही खेल रहे हैं, जबकि जिस तानाशाही के साथ भाजपा ने कृषि विरोधी कानून किसान पर थोपे हैं, उसके के  खिलाफ अमरिन्दर सरकार और बादलों को उसी दिन से लाइन खींच कर डटना चाहिए था, जब कृषि अध्यादेशों का खाखा तैयार हो रहा था।
पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान के द्वारा पार्टी के सीनियर नेताओं और विधायकों कुलतार सिंह संधवां, प्रिंसीपल बुद्ध राम, मीत हेयर, रुपिन्दर कौर रूबी और महा सचिव हरचन्द सिंह बरसट ने कहा कि यदि अमरिन्दर सरकार और बादल परिवार ने पंजाब और पंजाब की किसानी के हित में इन बिलों के विरुद्ध शुरू से ही सख्त और स्पष्ट स्टैंड लिया होता तो मोदी सरकार इतना धक्का करने की बजाए पक्का ‘बैक फुट’ पर आ जाती, परंतु एक तरफ अमरिन्दर सिंह और मनप्रीत सिंह बादल हाई पावर समिति की बैठकों में इन काले कानूनों को सहमति देते गए और संघर्षशील आम आदमी पार्टी समेत किसान जत्थेबंदियों के नेताओं और वर्करों पर पंजाब सरकार केस दर्ज करती रही, दूसरी तरफ बादलों के परिवार समेत सारा अकाली दल (बादल) आखिरी मिनट तक इन विनाशकारी बिलों को वरदान बना कर पेश करता गया।
अमरिन्दर सरकार और बादलों के ऐसे दोगले और किसानी संघर्ष विरोधी कदमों ने जहां मोदी सरकार के हौसले बढ़ाए, वहीं पंजाब की किसानी लहर को रोकने की हर संभव कोशिश की जो सभी ड्रामे और दिखावों के बावजूद आज भी जारी है।
बादलों की ओर से 25 सितम्बर को किसान जत्थेबंदियों के बराबर अपना चक्का जाम का डम्मी प्रोगराम देना और प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी का नाम लेकर कुछ भी तीखा बोलने से गुरेज करना और मुख्य मंत्री अमरिन्दर सिंह की ओर से धान की पहली खरीद सम्बन्धित किसानों और किसान संगठनों को भरोसे में लिए बगैर खरीद के लिए पब्लिसिटी स्टंट करना परंतु आधे मूल्य बिक्क रहे नरमा और मक्का के बारे में पंजाब सरकार अभी सो रही है।
‘आप’ नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी धान की आगामी खरीद के विरुद्ध नहीं है, बल्कि माझा के इलाके की आगामी फसल के मद्देनजर सरकारी खरीद 15 सितम्बर से शुरू किए जाने की लम्बे समय से होती आ रही मांग का समर्थन करती है, परंतु इस समय जो आगामी खरीद की ‘मेहरबानी’ केंद्र सरकार ने दिखाई है, इसके पीछे नीयत में खोट साफ दिखाई दे रहा है कि किसानों के एकजुट संघर्ष को कमजोर करने के लिए किसानों-मजदूरों को खेतों और मंडियों में उलझा दिया जाए।
‘आप’ नेताओं ने कहा कि ऐसे हलात में पंजाब सरकार को किसानों और किसान संगठनों की राए के साथ आगामी खरीद के लिए (1 अक्तूबर की बजाए 26 सितम्बर) मंडियों में उतारना चाहिए था, क्योंकि इस समय किसान एकजुट हो कर काले कानूनों को वापस करवाने के लिए एकजुट संघर्ष कर रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार और उसका एजेंट बादल परिवार किसानी संघर्ष को तोडऩे और कमजोर करने की कोशिशों में हैं। इसी तरह अमरिन्दर सरकार का भी हर कदम संदेह से भरा और मोदी के पक्ष में भुगत रहा है।