
कहा कि3 मेंबरी पार्टी प्रतिनिधिमंडल वाईस चांसलर से विश्वविद्यालय के जनादेश के खिलाफ निर्णय की समीक्षा की मांग करेगा: प्रो. चंदूमाजरा
चंडीगढ़ 04 अप्रैल 2022
शिरोमणी अकाली दल ने आज पंजाबी विश्वविद्यालय से लगभग तीन दर्जन विभागों, जिनमें से अधिकांश पंजाबी भाषा और संस्कृति से विभिन्न विभागों को एक में विलय करने के अपने फैसले की समीक्षा करने की अपील की तथा कहा है कि यह विश्वविद्यालय के जनादेश के खिलाफ है।
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यहां वरिष्ठ शिक्षकों के साथ प्रेस कांफ्रेंस को इस मुददे पर संबोधित करते हुए पूर्व सांसद प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि शिरोमणी अकाली दल का तीन मेंबरी प्रतिनिधिमंडल समीक्षा के लिए यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर से मुलाकात करेगा। उन्होने कहा कि यह निर्णय विश्वविद्यालय के लोकाचार के खिलाफ है, और इससे पंजाबी भाषा और संस्कृति के साथ साथ पंजाबी के अकादमिक रिसर्च को अपूरणीय नुकसान होगा।
प्रो. चंदूमाजरा ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि हिब्रू यूनिवर्सिटी के साथ पंजाबी यूनिवर्सिटी केवल यूनिवर्सिटी थी , जो लोगों की भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई थी।पंजाबी यूनिवर्सिटी सिंडीकेट ने पंजाबी साहित्य, भाषा, विज्ञान, टेक्नालोजी और विकीपीडिया जैसे महत्वपूर्ण विभागों को एक में विलय करन को फैसला किया है।
अकाली नेता ने कहा कि यूनिवर्सिर्टी के वित्तीय संकट में होने के मुददे का इस्तेमाल यूनिवर्सिटी में पंजाबी की स्थिति को कमजोर करने के लिए नही किया जाना चाहिए।‘‘ वास्तव में संस्था को अपने कामकाज में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करन का प्रावधान लाना चाहिए। इसे आज की आवश्यकता के अनुसार नए पाठयक्रम खोलकर अपने घटक कॉलेजों का भी नवीनीकरण करना चाहिए।
प्रो. चंदूमाजरा ने कहा कि यूनिवर्सिटी पहले ही पंजाबी के प्रचार के अपने उददेश्य में विफल रही है।उन्होने कहा कि विश्व पंजाबी सम्मेलन को बंद कर दिया गया है, और यहां तक कि पंजाबी भाषा और संस्कृति में अग्रणीय कार्य करने के लिए फेलोशिप भी नही दी जा रही है।
इस अवसर पर बोलते हुए अकाली दल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सरदार हरचरन सिंह बैंस ने कहा कि पंजाबी भाषा और इतिहासं से संबंधित कई विभागों का विलय पंजाबी संस्कृति को कमजोर करने का हिस्सा है। उन्होने कहा कि आप सरकार ने दिल्ली में पंजाब और पंजाबियत को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया है।‘‘ आप सरकार ने अपने स्कूलों में पंजाबी भाषा को पढ़ाना बंद कर दिया है। पंजाबी अकादमी पर एक बाहरी व्यक्ति को थोपा गया है। उन्होने कहा कि अब पंजाब में भी वैसा ही किया जा रहा है, क्योंकि पंजाबी यूनिवर्सिटी एक ऐसा फैसला ले रही है जो सिख पहचान को कमजोर करने का काम करेगा।
डॉ. गुरनाम सिंह विर्क, प्रो. मोहन सिंह त्यागी और डॉ. मोहम्मद अर्दिश ने भी इस अवसर पर संबोधित किया तथा बताया कि कैसे पंजाबी और पंजाबियत के लिए यह कदम भेदभावपूर्ण है।

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