मुख्यमंत्री द्वारा पंजाब को वस्तुतः केंद्र के तहत करना बेहद निंदनीय: शिरोमणी अकाली  दल

 

कहा कि भगवंत मान द्वारा गृहमंत्री अमित शाह की इस घोषणा को मंजूरी देना कि सभी राज्यों में एनआईए कार्यालय खोले जाएंगें ,से एनआईए को राज्य की पुलिस से ज्यादा शक्तियां मिल जाएंगी

 

अकाली दल ने दावा किया कि मुख्यमंत्री  भाजपा के साथ मिलीभगत कर रहे

चंडीगढ़/28अक्टूबर: 

शिरोमणी अकाली दल ने देश के सभी राज्यों  में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के कार्यालय खोलने के गृहमंत्री अमित शाह के फैसले पर अपनी मुहर लगाकर पंजाब को वस्तुतः केंद्रीय शासन के तहत रखने के लिए मुख्यमंत्री भगंवत मान की निंदा की है।यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ नेताओं प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल और डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि  फरीदाबाद में चितंन शिविर में भाग लेने वाले एकमात्र मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान ने उस प्रस्ताव पर सहमति जताई जिससे एनआईए को पंजाब में राज्य पुलिस से ज्यादा शक्तियां मिल जाएंगी। वरिष्ठ नेताओं ने कहा किभगवंत मान देश के संघीय ढ़ांचे को तबाह करेन के लिए भाजपा के साथ मिलीभगत कर रहे। उन्होने कहा कि पंजाबियों ने मुख्यमंत्री को राज्य के उन अधिकारों को बेचने का जनादेश नही दिया था, जिसकी गारंटी संविधान द्वारा दी गई थीं। उन्होने कहा , ‘‘ ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री का भाजपा के साथ समझौता कर चुके हैं, और इसीलिए वह एक ऐसे फैसले पर सहमत हुए जो केंद्र सरकार को अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ एनआईए का उसी तरह से इस्तेमाल करने की अनुमति देगा , जिस तरह से उसने ईडी का दुरूपयोग किया है’’। उन्होने बताया कि कैसे मुख्यमंत्री ने पहले पंजाब में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र के विस्तार के साथ साथ बीबीएमबी के प्रबंधन में पंजाब के अधिकारों को कम करने का विरोध करने से इंकार कर दिया था।प्रो. चंदूमाजरा ने कहा कि अकाली दल भगवंत मान को पंजाब के अधिकारों का सौदा नही करने देगी और मुख्यमंत्री से पंजाब में एनआईए कार्यालय खोलने की अनुमति की मंजूरी वापिस लेने की मांग की है। उन्होने कहा कि इसके साथ ही केंद्र को राज्य के अधिकारों को कम करने के बजाय उनके अधिकारों को बढ़ाना चाहिए। डॉ. चीमा ने जोर देकर कहा ,‘‘ राज्यों को राज्यों में कई एजेंसियां शामिल करने के बजाय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपग्रेड करने में सक्षम बनाने के लिए वित्तीय सहायता करनी चाहिए। उन्होने कहा , ‘‘ केंद्रीय एजेसियों को अपने स्वयं के कार्यालय खोलने के बजाय निर्बाध कामकाज के लिए राज्य एजेंसियों के साथ खुफिया जानकारी साझा करनी चाहिए’’।इस बीच सरदार महेशइंदर सिंह ग्रेवाल ने केंद्र सरकार से संविधान का मजाक नही उड़ाने और सभी राज्यों के लोगों की धार्मिक, भाषा और श्रेत्रीय आकांक्षाओं का सम्मान करने का भी आग्रह किया। उन्होने कहा कि यह एक कानून है कि सीबीआई और एनआईए जांच तभी जांच शुरू कर सकती है, जब राज्यों द्वारा ऐसा करने की सिफारिश की जाए। उन्होने  बेअदबी मामले का  उदाहरण देते हुए कहा  कि कैसे केंद्रीय जांच ने अतीत में जांच में देरी की , जो पंाच साल भी जिसका निर्णय नही हो सका है। मूसेवाला हत्याकांड की जांच के मामले में भी हम दिल्ली पुलिस, एनआईए और पंजाब पुलिस को अलग अलग जांच करते हुए देख रहे हैं, जो प्रभावी परिणाम हासिल करने के लिए अनुकूल नही है’’।वरिष्ठ नेताओं ने यह भी खुलासा किया  कि  पार्टी अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल की अगुवाई में पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व की एक मीटिंग में भी केंद्र सरकार से भाई बलंवत सिंह राजोआणा और अन्य सिख बंदियों को एक नवंबर से पहले रिहा करने का फैसला करने की मांग की गई थी। मीटिंग में आप पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा  की मांग कि नोटों पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें साम्प्रदायिक आग भड़काने की कोशिश को बेहद गंभीरता से लिया गया । अकाली दल ने केजरीवाल और आप पार्टी को इस तरह की साम्प्रदायिक राजनीति से दूर करने के लिए कहते हुए कहा कि  संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।