अभिभावकों के जागरूक रहने से जन्मजात हृदय रोग से बच सकता है बच्चा : डा. रजत गुप्ता
—जन्मजात हृदय रोग से पीडि़त बठिंडा के 2 वर्षीय बच्चे को मिला नया जीवन
—सर्जरी में देरी बच्चे के दिल और फेफड़ों सहित घातक जटिलताओं का कारण बन कर सकती थी प्रभावित
बठिंडा, 30 नवंबर (): अभिभावक यदि अपने बच्चे के जन्म से पहले अवेयर रहें तो बच्चों को जन्मजात हृदय रोग से बचाया जा सकता है, वहीं यदि पीडि़त बच्चे को तुरंत ऐसे अस्पताल में पहुंचाया जाए, जहां दिल के माहिर डाक्टरों के साथ-साथ उत्तम टेक्नोलॉजी उपलब्ध हो तो पीडि़त बच्चे को दिल की गंभीर बीमारी से भी निजात दिलाया जा सकता है। यह बात बठिंडा में आयोजित एक पत्रकारवार्ता में जानकारी देते हुए बच्चों के दिल के रोगों के माहिर डाक्टर व जाने माने काडिर्योलॉजिस्ट डा. रजत गुप्ता ने कही।
—सर्जरी में देरी बच्चे के दिल और फेफड़ों सहित घातक जटिलताओं का कारण बन कर सकती थी प्रभावित
बठिंडा, 30 नवंबर (): अभिभावक यदि अपने बच्चे के जन्म से पहले अवेयर रहें तो बच्चों को जन्मजात हृदय रोग से बचाया जा सकता है, वहीं यदि पीडि़त बच्चे को तुरंत ऐसे अस्पताल में पहुंचाया जाए, जहां दिल के माहिर डाक्टरों के साथ-साथ उत्तम टेक्नोलॉजी उपलब्ध हो तो पीडि़त बच्चे को दिल की गंभीर बीमारी से भी निजात दिलाया जा सकता है। यह बात बठिंडा में आयोजित एक पत्रकारवार्ता में जानकारी देते हुए बच्चों के दिल के रोगों के माहिर डाक्टर व जाने माने काडिर्योलॉजिस्ट डा. रजत गुप्ता ने कही।
फोर्टिस अस्पताल में पीडियाट्रिक कार्डियक साइंसेज डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रजत गुप्ता ने बताया कि जन्मजात हृदय रोग (कॉन्जेंटल हार्ट डिफेक्टस) का जल्द पता लगाने के लिए जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि बच्चे का दिल कभी-कभी इतना विकृत हो जाता है कि कई सर्जरी से भी इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। ऐसे परिस्थिति में, सर्जिकल प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला रक्त प्रवाह में सुधार कर सकती है, जिससे लक्षणों में सुधार होता है और जीवन लंबा व स्वस्थ होता है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में बठिंडा का एक परिवार अपने दो वर्ष के बच्चे के जन्मजात हृदय रोग से पीडि़त होने के कारण काफी चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा था, क्योंकि बच्चे का वजन कम था, उसे फीड इनटॉलेरेंस के साथ-साथ सांस लेने में परेशानी थी, और सायनोसिस (होठों के आसपास नीलापन) था। उन्होंने बताया कि बीते अगस्त माह के दौरान उक्त बच्चे का उनकी अगुवाई में फोर्टिस अस्पताल में इलाज शुरू किया गया था। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान बच्चे को टेट्रालॉजी ऑफ फैलोट – कॉन्जेंटल हार्ट डिफेक्टस (सीएचडी) (जन्मजात हृदय रोग) था। इस कारण से कम ऑक्सीजन वाला रक्त हृदय से बाहर निकलकर शरीर के बाकी हिस्सों में चला जाता है। सीनियर कार्डियक सर्जन डॉ. टीएस महंत ने ओपन हार्ट सर्जरी के जरिए इस डिफेक्ट को ठीक कर बच्चे को नया जीवन दिया और ऑपरेशन के पांच दिन बाद बच्चे को छुट्टी दे दी गई और आज वह पूरी तरह से ठीक हो गया है। उन्होंने बताया कि शब्द ‘जन्मजात’ (कॉन्जेंटल) जन्म के समय मौजूद एक दोष को परिभाषित करता है और दिल में छेद, वाल्व की जकडऩ से लेकर जटिल हृदय रोग तक होता है। ऐसी स्थिति में, उपचार में देरी जीवन के लिए संकट उत्पन्न कर सकती है।
उन्होंने बताया कि ऐसे ही एक अन्य केस जिसमें एक 7 वर्षीय लडक़े में तेजी से सांस लेना, भारी पसीना आना, खराब वृद्धि और पीला रंग दिखाना जैसे लक्षण दिख रहे थे। बच्चे की ऐसी हालत के चलते उसको हाल ही में अस्पताल लाया गया था जहां मेडिकल जांच के बाद से पता चला कि बच्चे को कॉरक्तशन ऑफ एओर्टा (महाधमनी का संकुचन-शरीर की मुख्य धमनी में गंभीर संकुचन) था। यह दोष हृदय पर अत्यधिक दबाव डालता है और यदि इसका उपचार नहीं किया जाए, तो यह रोगी की हृदय गति को रोक सकता है। डॉ गुप्ता ने बैलून एंजियोप्लास्टी द्वारा जांघ में एक छोटे से छेद के माध्यम से संकुचित धमनी को खोला, जिससे ओपन-हार्ट सर्जरी से बचाया जा सका। रोगी बच्चे को इलाज के अगले दिन छुट्टी दे दी गई और आज वह सामान्य जीवन जी रहा है।
उन्होंने बताया कि फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली का पीडियाट्रिक कार्डियक साइंसेज डिपार्टमेंट न केवल पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से बल्कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक, मंगोलिया और दक्षिण अफ्रीका से भी मरीजों को प्राप्त करने वाला क्षेत्र का एकमात्र केंद्र है।

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