पीठासीन अधिकारियों के लिए अनुशासन और मर्यादा लागू करने के लिए अपने अधिकारों का प्रयोग करने का वास्तविक समय- उपराष्ट्रपति
पीठासीन अधिकारियों के रूप में, हम लोकतांत्रिक स्तंभों के संरक्षक होने की जिम्मेदारी निभाते हैं- उपराष्ट्रपति
अपने प्रतिनिधि निकायों में जनता के विश्वास की कमी, देश के राजनीतिक वर्ग के लिए सर्वाधिक चिंताजनक- उपराष्ट्रपति
श्री जगदीप धनखड़ ने मुंबई में 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने विधायिकाओं में अनुशासन और शिष्टाचार की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए चेतावनी दी कि “ये गिरावट विधायिकाओं को अप्रासंगिक बना रही है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि बहस अब झगड़ों के रूप में सीमित हो गई हैं, उन्होंने इसे बेहद परेशान करने वाली स्थिति बताया जो सभी हितधारकों से अधिक आत्मनिरीक्षण की मांग करती है।
उपराष्ट्रपति ने आगाह किया कि इस इकोसिस्टम की शुरुआत हमारे संसदीय लोकतंत्र को कमजोर कर रही है, उन्होंने कहा कि अपने प्रतिनिधि निकायों में जनता के विश्वास की कमी सबसे अधिक चिंताजनक है जिस पर “देश के राजनीतिक वर्ग का सबसे अधिक ध्यान आकर्षित होना चाहिए।”
A strong democracy thrives not just on sound principles but on leaders committed to upholding them.
As presiding officers, we bear the responsibility to be guardians of the democratic pillars.
Our duty is to ensure the legislative process is meaningful, accountable, effective… pic.twitter.com/sGrHcvI0tM
— Vice President of India (@VPIndia) January 28, 2024
आज मुंबई में 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब समय आ गया है कि पीठासीन अधिकारियों को अनुशासन और मर्यादा लागू करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इनकी कमी वास्तव में विधानमंडलों की नींव को हिला रही है। “विधानमंडलों में व्यवधान न केवल विधायिकाओं के लिए बल्कि लोकतंत्र और समाज के लिए भी कैंसर के समान है। विधायिका की शुचिता बचाने के लिए इस पर अंकुश लगाना वैकल्पिक नहीं बल्कि परम आवश्यकता है।”
I leave you with a thought, the sage advice of the first President of India, Dr. Rajendra Prasad :
“Opinions will and must differ in regard to many political and economic matters, but if the good of India and her people is our dominant urge, and we realise, as we must, that… pic.twitter.com/lColug0XCM
— Vice President of India (@VPIndia) January 28, 2024
श्री धनखड़ ने इसे पारिवारिक व्यवस्था के सदृश्य बताते हुए कहा, “यदि परिवार में बच्चा मर्यादा, और अनुशासन का पालन नहीं कर रहा है, तो उसे अनुशासित करने वाले व्यक्ति की पीड़ा के लिए भी अनुशासित होना होगा,” उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प होना चाहिए अशांति और व्यवधान के लिए शून्य स्थान रखना।
High time for Presiding Officers to invoke their authority to enforce discipline and decorum as lack of these is virtually shaking the very foundations of Legislatures !
We have to nurture these institution, we have to ensure optimal performance of these Institutions.
Therefore… pic.twitter.com/VC7nzRF2tO
— Vice President of India (@VPIndia) January 28, 2024
उन्होंने कहा कि एक सुदृढ़ लोकतंत्र न केवल ठोस सिद्धांतों पर बल्कि उन्हें बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध नेताओं के साथ भी पनपता है, उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी के रूप में, “हम लोकतांत्रिक स्तंभों के संरक्षक होने की जिम्मेदारी लेते हैं। हमारा कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि विधायी प्रक्रिया जवाबदेह, प्रभावी और पारदर्शी हो और लोगों की आवाज वहां तक पहुंचाने में सहायक हो।”
लोकतंत्र को पुष्पित और पल्लवित करने के लिए, श्री धनखड़ ने विधायकों से संवाद, बहस, शिष्टाचार और विचार-विमर्श के 4 डी में विश्वास करने और अशांति और विघटन के 2 डी से दूर रहने का आह्वान किया।
To ensure blossoming and flowering of democracy,
I call upon the legislators and parliamentarians to believe in 4 Ds.
These 4 Ds are – Dialogue, Debate, Decorum and Deliberations.
And keep away to maintain distance from 2 Ds – Disturbance and Disruption.#84thAIPOC pic.twitter.com/Z8yRM9b9ML
— Vice President of India (@VPIndia) January 28, 2024
इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने सभी प्रतिभागियों को 5 संकल्पों को अपनाने के लिए बधाई दी जो भारत@2047 की मजबूत नींव रखेंगे। ये संकल्प-विधायी निकायों का प्रभावी कामकाज, पंचायती राज संस्थान की क्षमता निर्माण, उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाना और बढ़ावा देना, कार्यपालिका की जवाबदेही लागू करना और ‘एक राष्ट्र एक विधान मंच’ बनाने का संकल्प है। यह उल्लेख करते हुए कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), मशीन लर्निंग जैसी विघटनकारी तकनीक हमारे जीवन में प्रवेश कर चुकी है, उपराष्ट्रपति ने विधायकों से उन्हें विनियमित करने के लिए तंत्र प्रदान करने का आह्वान किया।
I would like to congratulate all participants for having adopted 5 resolutions that will lay firm foundation of Bharat@2047
1.Resolution for effective functioning of Legislative bodies.
2.Resolution for Capacity building of grassroot Panchayati Raj Institution and Urban local… pic.twitter.com/24ntWAboh4
— Vice President of India (@VPIndia) January 28, 2024
इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला, महाराष्ट्र उपमुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फड़णवीस, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष श्री राहुल नारवेकर, महाराष्ट्र विधान सभा में विपक्ष के नेता श्री विजय वडेट्टीवार, महाराष्ट्र विधान परिषद उपाध्यक्ष डॉ. नीलम गोरे और देश भर से आए पीठासीन अधिकारियों ने कार्यक्रम में भाग लिया।

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