अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूर हुआ 500 वर्ष का दर्द; कानून की स्थापित प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता से आकांक्षाएं फलीभूत हुईं – उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने लोगों की अज्ञानता का लाभ उठाकर जागरूक दिमागों द्वारा समाज के सामने पेश की जाने वाली चुनौतियों के प्रति आगाह किया
उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि समाज तभी बदलेगा जब आप अंतिम व्यक्ति की परवाह करेंगे
भ्रष्टाचार को अब पुरस्कृत नहीं किया जाता, कानून का सम्मान लागू किया जाता है- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा, आप एक ऐसे इकोसिस्टम में कदम रख रहे हैं जो पारदर्शी है और योग्यता को पुरस्कृत करता है
उपराष्ट्रपति ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज विद्यार्थियों से गहन प्रश्न पूछने और भारत विरोधी कहानियों को बेअसर करने का आग्रह किया। यह देखते हुए कि समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती लोगों की अज्ञानता का लाभ उठाने वाले जागरूक लोगों द्वारा उत्पन्न की जाती है, उपराष्ट्रपति ने बल देकर कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) “जांच में शामिल होने और इसे नष्ट करने में संलग्न होने के लिए सही जगह, प्रमुख-केंद्र” था। ऐसे झूठे आख्यान भारत और विदेशों में “हमारे संवैधानिक संस्थानों को कलंकित करने, बदनाम करने और अपमानित करने” की कोशिश करने वाले लोगों द्वारा फैलाए गए हैं।
ऐसे परिदृश्य की उपस्थिति पर प्रकाश डालते हुए जहां किसी भी व्यक्ति को कानून से ऊपर नहीं माना जाता है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि सत्ता के गलियारों को भ्रष्ट तत्वों से मुक्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार को अब पुरस्कृत नहीं किया जाता, कानून का सम्मान लागू किया जाता है।” समावेशी विकास के लिए सरकार की पहलों को ध्यान में रखते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “समाज तभी बदलेगा जब आप देश के अंतिम व्यक्ति की देखभाल करेंगे।”
उपराष्ट्रपति ने 22 जनवरी को अयोध्या में ‘राम लला’ के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जिक्र करते हुए, “देश में उत्सव के वातावरण” की ओर ध्यान आकर्षित किया। यह कहते हुए कि 500 वर्षों का दर्द प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूर हो गया है, उन्होंने कहा, “महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे कानून की स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से धार्मिकता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ फालीभूत किया गया।”
उपराष्ट्रपति ने जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए, भारत के नेतृत्व में हुए शिखर सम्मेलन के परिणामों की सराहना की, जिसमें अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में सम्मिलित करना और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे का शुभारंभ शामिल है। भारत की अध्यक्षता पद के आदर्श वाक्य- ‘एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य’ को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इस आदर्श वाक्य का सार “5000 वर्षों के हमारे सभ्यतागत लोकाचार में अंतर्निहित” रहा है।

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