डीसी ने उर्वरक डीलरों को निर्देश दिया कि वे जमाखोरी, अधिक कीमत वसूलने या उर्वरक के साथ अतिरिक्त कृषि इनपुट टैगिंग बिल्कुल ना करें

प्रत्येक डीलर को प्रतिदिन नोटिस बोर्ड पर उर्वरक स्टॉक प्रदर्शित करना होगा

कृषि अधिकारियों को प्रशासनिक अधिकारियों के साथ डीलरों के स्टॉक का निरीक्षण करने का निर्देश दिया

किसानों से डीएपी के विकल्प का उपयोग करने की अपील की, जिले में 3033 मीट्रिक टन वैकल्पिक उर्वरक स्टॉक उपलब्ध

एसएएस नगर, 05 नवंबर, 2024

डीएपी की जमाखोरी, अधिक कीमत वसूलने या उर्वरक के साथ अन्य कृषि इनपुट टैगिंग को गंभीरता से लेते हुए, उपायुक्त श्रीमती आशिका जैन ने जिले के मुख्य कृषि अधिकारी को एसएएस नगर जिले में कृषि इनपुट डीलरों के उर्वरक स्टॉक का निरीक्षण करने का निर्देश दिया है।

आज सुबह डी सी कार्यालय में एडीसी सोनम चौधरी, मुख्य कृषि अधिकारी (सीएओ) डॉ. गुरमेल सिंह और उप रजिस्ट्रार (डीआर) सहकारी सभाएँ गुरबीर सिंह ढिल्लों के साथ समीक्षा बैठक करते हुए डिप्टी कमिश्नर श्रीमती आशिका जैन ने सीएओ और डीआर को डीलरों और सहकारी सभायों के पास उपलब्ध खाद के स्टॉक को रोजाना नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करना अनिवार्य करने के लिए कहा। इसके अलावा, किसानों से डीएपी की बिक्री के लिए अधिक शुल्क या डीएपी की बिक्री के साथ अन्य इनपुट को टैग नहीं करने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि अधिकारी खाद डीलरों के निरीक्षण के लिए जिला प्रशासनिक अधिकारियों के साथ टीमें बनाएं। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि एसएएस नगर जिले में 3033 मीट्रिक टन वैकल्पिक खाद का स्टॉक है और किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। वे जिले में उपलब्ध डीएपी के वैकल्पिक उर्वरक जैसे एनपीके (12:32:16, 15:15:15, 20:20:0:13, 16:16:16), एसएसपी (सिंगल सुपर फास्फेट), टीएसपी (ट्रिपल सुपर फास्फेट) का उपयोग कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के भूमि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार डीएपी में 46 प्रतिशत फास्फोरस और 18 प्रतिशत नाइट्रोजन का मिश्रण होता है जब कि सिंगल सुपर फास्फेट में 16 प्रतिशत फास्फोरस होता है तथा किसान एक बैग डीएपी की जगह इस खाद के तीन बैग इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही, यह अतिरिक्त सल्फर भी प्रदान करता है। इसी तरह, एनपीके 12:32:16 में 32 प्रतिशत फास्फोरस होता है। एनपीके 12:32:16 का डेढ़ बैग डीएपी के एक बैग के बराबर होता है। इससे पोटाश का अतिरिक्त लाभ मिलता है, जो डीएपी में मौजूद नहीं होता है।

उन्होंने आगे कहा कि एडवाइजरी के अनुसार, ट्रिपल सुपरफॉस्फेट में 46% फॉस्फोरस होता है और इसे डीएपी के बराबर मात्रा में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे अतिरिक्त सल्फर लाभ मिलता है, जबकि एनपीके 10:26:26 में कुल फॉस्फोरस का 26% होता है और यह फसलों की फॉस्फोरस आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकता है। यह पोटाश का अतिरिक्त लाभ भी प्रदान करता है, जो डीएपी में मौजूद नहीं है।

डिप्टी कमिश्नर ने किसानों को कथित डीएपी की “कमी” के बारे में चिंता न करने का आश्वासन दिया व इस बात पर जोर दिया कि इन प्रभावी और आसानी से उपलब्ध विकल्पों का सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।