रंगों में छिपे भाव और ब्रश से निकले संदेश

विद्यालयों में आयोजित हुआ पेंटिंग चार्ट संकलन

बच्चों ने रंगों से सजाया समाजिक संदेशों का संसार

बच्चों ने दिखाया कि कला सिर्फ सुंदरता नहीं, समाज की आत्मा भी है: डॉ. गांधी

फ़ाज़िल्क़ा, 31 मई 2025

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह के निर्देशानुसार विश्व उच्च रक्तचाप दिवस के तहत सिविल सर्जन फ़ाज़िल्का डॉ. राज कुमार, सहायक सिविल सर्जन डॉक्टर रोहित गोयल व डॉ. कविता सिंह की योग अगुवाई तथा सीनियर मेडिकल अफसर डॉ. विकास गांधी की देखरेख में ब्लाक में  इस वर्ष की थीम: “अपने रक्तचाप को सही तरीके से मापें, इसे नियंत्रित करें, के तहत जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन प्रतिदिन किया जा रहा है। इसी कड़ी के अंतर्गत आज ब्लॉक के विभिन्न सरकारी स्कूलो में छात्रों के बीच स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने हेतु “हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) पर “पेंटिंग चार्ट प्रतियोगिता” का आयोजन किया गया। इस रचनात्मक कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को स्वास्थ्य विषयक ज्ञान देना और समाज में जागरूकता का संचार करना था।

इस बारे में जानकारी देते हुए ब्लॉक मास मीडिया प्रभारी सुशील कुमार ने बताया कि ब्लॉक खुईखेड़ा के अंतर्गत आते गांव चूहड़ीवाला धन्ना, आलमगढ़, कोयल खेड़ा, दलमीर खेड़ा में रचनात्मकता और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक विशेष “पेंटिंग चार्ट संकलन” कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में विद्यालय के कक्षा जैसे 6वीं से 10 तक के छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को अपनी कलात्मक प्रतिभा के माध्यम से समाज में सकारात्मक संदेश देने के लिए प्रेरित करना था। बच्चों ने विविध विषयों पर सुंदर और प्रभावशाली चित्रों का प्रदर्शन किया, जिसमें उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), डाइट, नशा मुक्ति और शिक्षा का महत्व जैसे गंभीर सामाजिक विषय शामिल थे।

बच्चों की रचनात्मकता रही आकर्षण का केंद्र

छात्रों ने पोस्टर बोर्ड, वाटरकलर, स्केच पेन और विभिन्न कला शैलियों का उपयोग कर अपने चार्ट्स को जीवंत बना दिया। हर एक चित्र में गहराई से सोच और समाज के लिए एक संदेश छिपा था

विद्यालय के प्रधानाचार्यों ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा,“बच्चों की कल्पनाशीलता और सामाजिक सरोकारों को देखकर गर्व होता है। ऐसे आयोजन न सिर्फ कला को बढ़ावा देते हैं, बल्कि बच्चों में समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव भी जागृत करते हैं।”

अभिभावकों और शिक्षकों ने बच्चों के चित्रों की भूरी-भूरी प्रशंसा की और कहा कि आज की पीढ़ी में सोच और संवेदनशीलता दोनों का अद्भुत मेल देखने को मिला।