हरियाणा में अब इंडस्ट्रियल-एस्टेट्स का 10 प्रतिशत हिस्सा श्रमिकों के रहने के लिए आवासीय क्षेत्र के रूप में आरक्षित किया जाएगा तथा ग्रामीणों की सहमति से पंचायती भूमि को पट्टे पर उपलब्ध कराया जाएगा

Ten percent area of industrial estates to be reserved as residential area for labour housing and Panchayati land to be made available on lease

हरियाणा में अब इंडस्ट्रियल-एस्टेट्स का 10 प्रतिशत हिस्सा श्रमिकों के रहने के लिए आवासीय क्षेत्र के रूप में आरक्षित किया जाएगा तथा ग्रामीणों की सहमति से पंचायती भूमि को पट्टे पर उपलब्ध कराया जाएगा

चंडीगढ़, 24 दिसंबर-हरियाणा में अब इंडस्ट्रियल-एस्टेट्स का 10 प्रतिशत हिस्सा श्रमिकों के रहने के लिए आवासीय क्षेत्र के रूप में आरक्षित किया जाएगा तथा ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा उद्योग स्थापित करने के लिए ग्रामीणों की सहमति से पंचायती भूमि को पट्टे पर उपलब्ध कराया जाएगा।

यह जानकारी हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, जिनके पास उद्योग एवं वाणिज्य विभाग का प्रभार भी है, ने आज प्रैस कान्फ्रैंस में दी। इस अवसर पर उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रधान सचिव श्री ए.के सिंह, उपमुख्यमंत्री के ओएसडी श्री कमलेश भादू , विभाग के अतिरिक्त निदेशक श्री वजीर सिंह भी उपस्थित थे।

उन्होंने आज ‘हरियाणा औद्योगिक एवं रोजगार नीति-2020’ के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि पांच वर्ष के लिए निर्मित इस नई नीति के तहत अगले पांच साल में 5 लाख नौकरियां पैदा करने और एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य है। नई नीति में निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके अंतर्गत 2 लाख करोड़ रूपए का निर्यात करने का लक्ष्य रखा गया है।

डिप्टी सीएम ने नई नीति को क्षेत्रीय विकास और ज्यादा से ज्यादा रोजगार उत्पन्न करने के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे हरियाणा देश में पसंदीदा निवेश के रूप में प्रतिस्थापित होगा। यही नहीं इससे होने वाले आर्थिक विकास के द्वारा आजीविका के अवसर बढ़ेंगे। नई नीति में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अनुसार इको-सिस्टम मजबूत करने पर जोर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस नीति में तीन साल के लिए मेगा और अल्ट्रा-मेगा परियोजनाओं को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 को छोडक़र कुछ शर्तों के अनुसार बाकी श्रमिक कानूनों से रियायत मिलेगी।

उन्होंने बताया कि ऊर्जा से संबंधित उद्योगों में फैक्ट्री कानून-1948 से छूट के लिए श्रमिकों की न्यूनतम संख्या 20 से बढ़ाकर 40 कर दी गई है। उन्होंने जानकारी दी कि नई नीति में औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के अंतर्गत आईटी, आईटीईएस, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो और कपड़ा उद्योग को सार्वजनिक उपयोगिताओं के रूप में घोषित किया गया है। यही नहीं सामान्य उद्योगों के मामलों में फर्श क्षेत्र अनुपात (एफएआर) को सामान्य 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 150 से 200 प्रतिशत किया गया है। भंडारण के मामलों में फर्श क्षेत्र अनुपात को सामान्य 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 150 फीसदी तक किया गया है।

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि डाटा सेंटर यूनिट्स के सरफेस पार्किंग पर्याप्त होने की स्थिति में बेसमेंट पार्किंग के प्रावधान की आवश्यकता को दूर किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि जहां कोई परियोजना लागू है और एचएसआईआईडीसी के बकाया का भुगतान हो चुका हो, उसके लिए भूखंडों के हस्तांतरण के लिए  स्वत: प्रावधान की मंजूरी दी गई है।  सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए फ्लेटिड-फैक्ट्री के लिए कम से कम 2000 वर्ग मीटर या उससे ज्यादा क्षेत्र के प्लॉटों का 250 प्रतिशत तक का एफएआर बढ़ाया गया है। श्रम आवास के लिए 2000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र के एचएसआईआईडीसी के भूखंडों की एफएआर में 250 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है। औद्योगिक सम्पदा के क्षेत्र का 5 प्रतिशत भंडारण गतिविधियों के लिए आरक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि लीज पर ली गई जमीन पर काम करने की एचएसआईआईडीसी अनुमति देकर निवेशकों पर अग्रिम लागत के बोझ को कम करने के लिए पट्टे पर भूमि की पेशकश करने के लिए एक नीति भी तैयार करेगा।

दुष्यंत चौटाला ने ‘हरियाणा औद्योगिक एवं रोजगार नीति-2020’ के बारे में आगे जानकारी देते हुए बताया कि एचएसआईआईडीसी द्वारा औद्योगिक सम्पदाओं में श्रमिकों के लिए शयनगृह व औद्योगिक आवास बनाने के लिए योजना तैयार की जाएगी। नई नीति एचईपीसी पोर्टल पर औद्योगिक मंजूरी से संबंधित विभिन्न विभागों की 36 अन्य सेवाएं प्रदान करने की भी परिकल्पना करती है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई इस नीति के तहत संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। पूरे राज्य को औद्योगिकीकरण, सामाजिक-आर्थिक विकास, स्थानीय लाभ और विभिन्न प्रकार के कौशल विकास के स्तर के आधार पर विभिन्न स्केल की प्रोत्साहन राशि के साथ 4 श्रेणियों ( ए, बी, सी और डी) में वर्गीकृत किया गया है।

डिप्टी सीएम ने नई नीति को युवाओं के लिए कल्याणकारी व रोजगारपरक बताते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के लिए उनके घर-द्वार पर रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए ‘हरियाणा ग्रामीण औद्यागिक विकास योजना’ शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि योजना के अंतर्गत 15 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी (अधिकतम 20 लाख रूपए तक की), सात प्रतिशत ब्याज सब्सिडी (अधिकतम 8 लाख रूपए तक की)और डीजी सेट की लागत में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि स्टार्टअपस के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। नई नीति में स्टार्टअप शुरू करने पर पांच वर्ष के लिए आठ प्रतिशत ब्याज सब्सिडी(अधिकतम 20 लाख रूपए तक की), प्रत्येक स्टार्टअप पर 10 लाख रूपए तक सीड ग्रांट तथा सात वर्ष तक 100 प्रतिशत स्टेट जीएसटी वापसी करने का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने नई नीति में इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने पर जोर दिया है। अब इंडस्ट्रियल पार्क के लिए प्रोजेक्ट कोस्ट की 50 प्रतिशत की वित्तीय सहायता (अधिकतम 40 करोड़ रूपए तक की), 80 प्रतिशत तक स्टांप ड्यूटी वापसी और औद्योगिक आवास व शयनगृह बनाने के लिए 50 प्रतिशत (अधिकतम 50 लाख रूपए तक की) वित्तीय सहायता दी जाएगी।

उपमुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि युवाओं को विभिन्न स्किल्स में निपुण करने के लिए उद्यम विकास कार्यक्रम भी बनाया गया है जिसके तहत सरकारी विश्वविद्यालयों,एनआईटी,आईआईटी व तकनीकी संस्थाओं को प्रति वर्ष 5 लाख रूपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी। प्रदेश के युवाओं के व्यवहार-कुशल बनाने के लिए आईटीआई व कालेजों में अगले शैक्षणिक सत्र से तीन माह का सटिफिकेट कोर्स भी करवाया जाएगा। यही नहीं राज्य के युवाओं को रोजगार देने पर उद्योगों को हर साल 48000 रूपए प्रति कर्मचारी सरकार की ओर से दिए जाएंगे।